शिमला: राजधानी का एतोहसिक डिग्री कॉलेज संजौली के भवन की हालत जर्जर हो चुकी है. भवन की हालत ये चुकी है कि अब इसके छत से पानी टपकता है. सरकार की तरफ से सीएम जयराम ने मरम्मत के लिए 15 लाख रुपये दिए हैं, लेकिन कागजों के फेर में यह मामला आठ महीनों से लटका पड़ा है.
बरसात के दिनों में भवन में कर्मचारियों को काम करना और छात्रों को क्लास लगाना बड़ा मुश्किल हो जाता है. सरकार ने संजौली कॉलेज को उत्कृष्ठ शिक्षा केन्द्र का दर्जा तो दे दिया है, लेकिन इसके रखरखाव व मरस्मत करना भूल गया है. बीते साल मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक भवन के रिपेयर के लिए 15 लाख रुपये दिए थे, लेकिन कॉलेज प्रशासन आज तक इस पैसे को प्रयोग में नहीं ला सका.
कॉलेज प्रशासन को भवन की मरम्मत के लिए टीसीपी व निगम के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. टीसीपी का कहना है कि नगर निगम इसकी एनओसी देगा, जबकि निगम कहना है कि टीसीपी के अधीन है. आठ महीने से ज्यादा का समय हो गया है और बरसात शुरू हो गई है. ऐसे में छात्र-छात्राओं को अपनी पढ़ाई की चिंता सताने लगी है.
ऐतिहासिक भवन के छत से बरसात के तेज पानी गिरता है और बैठना मुश्किल हो जाता है. लगातार पानी गिरने से लकड़ियां पूरी तरह सड़ गई है और अंदर रखा सारा सामान खराब हो रहा है. इस भवन में ऑफिस का सारा काम व कॉलेज की विभिन्न विषयों की क्लास लगती है.
इस भवन का निर्माण 1 जुलाई 1969 को हुआ था. ऐसे भवन को 50 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन भवन अभी तक मरम्मत के लिए आंसू बहा रहा है. इस बारे में कॉलेज के प्रधानाचार्य सीबी मेहता ने कहना है कि छत को बदलने के लिए टीसीपी व निगम को पत्र लिखा था, लेकिन किसी की तरफ से एनओसी नहीं दिया गया और इसी के चलते मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो पाया.