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बदहाली के आंसू रो रहा संजौली कॉलेज का भवन, छात्रों को सता रही पढ़ाई की चिंता

सेंटर ऑफ एक्सिलेंस एजुकेशन का दर्जा पाने वाला हिमाचल प्रदेश का एकमात्र संजौली कॉलेज का भवन इन दिनों बदहाली के आंसू रो रहा है. जिस कॉलेज में एडमिशन लेना छात्रों का सपना होता है, उस कॉलेज के भवन की हालत ये हो चुकी है कि छत से टपकते पानी के बीच ही छात्रों को क्लास लगानी पड़ती है.

संजौली कॉलेज ऐतिहासिक भवन की हालत जर्जर.
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Published : Jul 12, 2019, 7:41 PM IST

Updated : Jul 12, 2019, 9:37 PM IST

शिमला: राजधानी का एतोहसिक डिग्री कॉलेज संजौली के भवन की हालत जर्जर हो चुकी है. भवन की हालत ये चुकी है कि अब इसके छत से पानी टपकता है. सरकार की तरफ से सीएम जयराम ने मरम्मत के लिए 15 लाख रुपये दिए हैं, लेकिन कागजों के फेर में यह मामला आठ महीनों से लटका पड़ा है.

वीडियो.

बरसात के दिनों में भवन में कर्मचारियों को काम करना और छात्रों को क्लास लगाना बड़ा मुश्किल हो जाता है. सरकार ने संजौली कॉलेज को उत्कृष्ठ शिक्षा केन्द्र का दर्जा तो दे दिया है, लेकिन इसके रखरखाव व मरस्मत करना भूल गया है. बीते साल मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक भवन के रिपेयर के लिए 15 लाख रुपये दिए थे, लेकिन कॉलेज प्रशासन आज तक इस पैसे को प्रयोग में नहीं ला सका.

कॉलेज प्रशासन को भवन की मरम्मत के लिए टीसीपी व निगम के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. टीसीपी का कहना है कि नगर निगम इसकी एनओसी देगा, जबकि निगम कहना है कि टीसीपी के अधीन है. आठ महीने से ज्यादा का समय हो गया है और बरसात शुरू हो गई है. ऐसे में छात्र-छात्राओं को अपनी पढ़ाई की चिंता सताने लगी है.

ऐतिहासिक भवन के छत से बरसात के तेज पानी गिरता है और बैठना मुश्किल हो जाता है. लगातार पानी गिरने से लकड़ियां पूरी तरह सड़ गई है और अंदर रखा सारा सामान खराब हो रहा है. इस भवन में ऑफिस का सारा काम व कॉलेज की विभिन्न विषयों की क्लास लगती है.

इस भवन का निर्माण 1 जुलाई 1969 को हुआ था. ऐसे भवन को 50 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन भवन अभी तक मरम्मत के लिए आंसू बहा रहा है. इस बारे में कॉलेज के प्रधानाचार्य सीबी मेहता ने कहना है कि छत को बदलने के लिए टीसीपी व निगम को पत्र लिखा था, लेकिन किसी की तरफ से एनओसी नहीं दिया गया और इसी के चलते मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो पाया.

शिमला: राजधानी का एतोहसिक डिग्री कॉलेज संजौली के भवन की हालत जर्जर हो चुकी है. भवन की हालत ये चुकी है कि अब इसके छत से पानी टपकता है. सरकार की तरफ से सीएम जयराम ने मरम्मत के लिए 15 लाख रुपये दिए हैं, लेकिन कागजों के फेर में यह मामला आठ महीनों से लटका पड़ा है.

वीडियो.

बरसात के दिनों में भवन में कर्मचारियों को काम करना और छात्रों को क्लास लगाना बड़ा मुश्किल हो जाता है. सरकार ने संजौली कॉलेज को उत्कृष्ठ शिक्षा केन्द्र का दर्जा तो दे दिया है, लेकिन इसके रखरखाव व मरस्मत करना भूल गया है. बीते साल मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक भवन के रिपेयर के लिए 15 लाख रुपये दिए थे, लेकिन कॉलेज प्रशासन आज तक इस पैसे को प्रयोग में नहीं ला सका.

कॉलेज प्रशासन को भवन की मरम्मत के लिए टीसीपी व निगम के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. टीसीपी का कहना है कि नगर निगम इसकी एनओसी देगा, जबकि निगम कहना है कि टीसीपी के अधीन है. आठ महीने से ज्यादा का समय हो गया है और बरसात शुरू हो गई है. ऐसे में छात्र-छात्राओं को अपनी पढ़ाई की चिंता सताने लगी है.

ऐतिहासिक भवन के छत से बरसात के तेज पानी गिरता है और बैठना मुश्किल हो जाता है. लगातार पानी गिरने से लकड़ियां पूरी तरह सड़ गई है और अंदर रखा सारा सामान खराब हो रहा है. इस भवन में ऑफिस का सारा काम व कॉलेज की विभिन्न विषयों की क्लास लगती है.

इस भवन का निर्माण 1 जुलाई 1969 को हुआ था. ऐसे भवन को 50 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन भवन अभी तक मरम्मत के लिए आंसू बहा रहा है. इस बारे में कॉलेज के प्रधानाचार्य सीबी मेहता ने कहना है कि छत को बदलने के लिए टीसीपी व निगम को पत्र लिखा था, लेकिन किसी की तरफ से एनओसी नहीं दिया गया और इसी के चलते मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो पाया.

Intro:संजौली कॉलेज ऐतिहासिक भवन की हालत जर्जर ,छत से टपक रहा पानी ।
सीएम की घोषणा के बाद नही सुधरी हालत ,कागजो के फेर के।लटका मामला।
शिमला।
राजधानी में एतोहसिक भवन डिग्री कॉलेज सँजोली के भवन की हालत जर्जर हो चुकी है और अब इसके छत से पानी टपक रहा है ।बरसात में इस भवन में जहाँ कर्मचारियों को काम करना मुशिकल होता है वही कम्पुयूटर के विद्यार्थियों को क्लास लगाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। सरकार की तरफ से सीएम जयराम ने मुरम्मत के लिए 15लाख रुपए दिए है लेकिन कागजो के फेर में यह मामला 8महीनों से लटका पड़ा है।


Body:सरकार ने संजौली कॉलेज को उत्कृष्ठ शिक्षा केन्द्र का दर्जा देदिया है लेकिन इसकी रख रखाव व मुरस्मत करना भूल गया है। बीते साल मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक भवन के रिपियर के लिए 15लाख रुपए दिए थे लेकिन कॉलेज प्रशासन आज तक इस पैसे को प्रयोग में नही ला सका। कॉलेज प्रशासन को भवन के मुरम्मत के लिए टीसीपी व निगम के चक्कर काटने पड़ रहे है लेकिन कोई भी एनओसी नही दे रहा है। टीसीपी कहता है कि यह नगर निगम इसकी एसओसी देगा जबकि निगम कहता टीसीपी के अधीन है इसलिये एसओसी वही देगा ।अब 8महीने से ज्यादा का समय हो गया है और बरसात शुरू हो गयी है ऐसे में छात्र छात्राओं को अपनी पढ़ाई की चिंता सताने लगी है।

ऐतिहासिक भवन के छत से टपक रहा पानी।
ऐतिहासिक भवन के छत से बरसात के तेज पानी गिरता है और बैठना मुश्किल हो जाता है।लगातार पानी गिरने से लकड़ियां पूरी तरह सड़ गयी है और अंदर रखा सारा सामान खराब हो रहा है।इस भवन में आफिस का सारा काम ,व कॉलेज की विभिन्न विषयों की क्लास लगती है।

इस भवन का निर्माण 1जुलाई 1969 को हुआ था और इस भवन को 50 साल पूरे हो चुके है लेकिन अब यह भवन अपने मुरम्मत के लिए आंसू बहा रहा है


Conclusion:इस सम्बंध में कॉलेज के प्रधानाचार्य सीबी मेहता ने कहा कि छत को बदलने के लिए टीसीपी व निगम को पत्र लिखा था लेकिंन किसी की तरफ से एनओसी नही दिया गया जिससे यह काम नहि शुरू हुआ है।
Last Updated : Jul 12, 2019, 9:37 PM IST
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