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Debt On Himachal: सुरसा के मुंह की तरह बढ़ कर 86,589 करोड़ हुआ कर्ज, एक साल में वेतन-पेंशन पर 15,669 करोड़ का खर्च

Debt On Himachal: हिमाचल प्रदेश पर 86 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज हो गया है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 50,539 करोड़ रुपए खर्च किए. पढ़ें पूरी खबर...

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सांकेतिक तस्वीर.
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 24, 2023, 10:04 PM IST

शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य कर्ज के बड़े जाल में फंसता ही चला जा रहा है. वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद राज्य की आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है. आलम ये है कि राज्य सरकार को बजट का अधिकांश हिस्सा वेतन व पेंशन पर खर्च करना पड़ रहा है. विधानसभा के विंटर सेशन में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में कैग की रिपोर्ट रखी. रिपोर्ट के अनुसार जरूरत से अधिक कर्ज लेने के कारण हिमाचल लोन के दुष्चक्र में फंसता चला जा रहा है. हालांकि कैग दो दशक से ही हिमाचल को चेता रहा है कि कर्ज कम किया जाए. खैर, कैग की रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल पर कर्ज बढ़कर 86 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. कैग की रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल पर वित्तीय वर्ष 2021-22 में 73,534 करोड़ रुपए कर्ज था. अब ये कर्ज वित्तीय वर्ष 2022-23 में छलांग लगाकर 86,589 करोड़ रुपए तक चला गया है. वर्ष 2022-23 की कैग रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष में प्रदेश का राजस्व घाटा 6335 करोड़ रुपए था. यह वर्ष 2021-22 के 7962 करोड़ रुपए से मामूली सा कम है.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 50,539 करोड़ रुपए खर्च किए. चिंता की बात है कि इस खर्च में अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च हो रहा है. करीब पचास प्रतिशत हिस्सा इसी मद पर खर्च हुआ है. छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद खर्च बढ़ा है. पहले वित्त वर्ष 2021-22 में वेतन पर एक साल में 11,641 करोड़ रुपए खर्च हो रहे थे. वहीं, इस वित्तीय वर्ष में नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद वेतन-पेंशन पर खर्च बढक़र 15,669 करोड़ रुपए पहुंच गया. पेंशन के भुगतान पर भी खर्च की राशि वर्ष 2021-22 के 6088 करोड़ रुपए से बढक़र वर्ष 2022-23 में 9283 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है. ऐसे में विकास कार्यों पर खर्च के लिए रकम न के बराबर बचती है.

कर्ज का ब्याज देना भी हो रहा कठिन: सरकार की मुसीबत यहीं कम नहीं हो रही. कर्ज पर ब्याज देना भी सरकार को भारी पड़ रहा है. वर्ष 2021-22 की बात करें तो सरकार ने लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए 4472 करोड़ रुपए खर्च किए थे. वित्तीय वर्ष 2022-23 में कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए 4828 करोड़ रुपए चुकाने पड़े. सब्सिडी पर खर्च की जा रही रकम भी वर्ष 2021-22 के 1240 करोड़ रुपए के मुकाबले बढक़र वर्ष 2022-23 में 1973 करोड़ रुपए हो गई. सरकार को लगातार कर्ज भी निरंतर लेना पड़ रहा है. इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने 13055 करोड़ रुपए कर्ज ले लिया है. वहीं, कैग रिपोर्ट में यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट न जारी करने पर भी कैग ने सवाल उठाए हैं. हालांकि ये हर बार की बात है. हर सरकार के समय में यूसी यानी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा करने में कोताही बरती जाती है. वर्ष 2021-22 व वर्ष 2022-23 में सरकार ने करीब 4,242 करोड़ रुपए की राशि खर्च करने के बावजूद इनके यूसी नहीं लिए.

क्यों बिगड़ रही हिमाचल की आर्थिक सेहत: हिमाचल में सरकार सब्सिडी, वेतन और पेंशन के चक्रव्यूह में फंसी हुई है. हिमाचल के कर राजस्व प्राप्ति में कमी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल का मौजूदा वित्त वर्ष का फिस्कल डेफिसिट ग्रास जीडीपी का 5.82 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में कर राजस्व 13025.97 करोड़ रहने का अनुमान था, लेकिन अब ताजा अनुमानों के मुताबिक यह राशि 12 हजार 273 करोड़ से कुछ अधिक रहेगी. ऐसे में कर राजस्व (टैक्स रेवेन्यू) में बजट अनुमानों से 752.33 करोड़ की कमी आएगी. हिमाचल का पेंशन खर्च बजट अनुमानों के 8693 करोड़ से बढक़र 9315 पहुंचने का अनुमान है. पेंशन खर्च में करीब 621.72 करोड़ की बढ़ोतरी का अनुमान है.

ये भी पढे़ं- हिमाचल में दो मंत्रियों की शपथ से कांग्रेस में घमासान, हाईकमान ने दिल्ली बुलाए सीएम व डिप्टी CM और सभी कैबिनेट मंत्री

शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य कर्ज के बड़े जाल में फंसता ही चला जा रहा है. वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद राज्य की आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है. आलम ये है कि राज्य सरकार को बजट का अधिकांश हिस्सा वेतन व पेंशन पर खर्च करना पड़ रहा है. विधानसभा के विंटर सेशन में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में कैग की रिपोर्ट रखी. रिपोर्ट के अनुसार जरूरत से अधिक कर्ज लेने के कारण हिमाचल लोन के दुष्चक्र में फंसता चला जा रहा है. हालांकि कैग दो दशक से ही हिमाचल को चेता रहा है कि कर्ज कम किया जाए. खैर, कैग की रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल पर कर्ज बढ़कर 86 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. कैग की रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल पर वित्तीय वर्ष 2021-22 में 73,534 करोड़ रुपए कर्ज था. अब ये कर्ज वित्तीय वर्ष 2022-23 में छलांग लगाकर 86,589 करोड़ रुपए तक चला गया है. वर्ष 2022-23 की कैग रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष में प्रदेश का राजस्व घाटा 6335 करोड़ रुपए था. यह वर्ष 2021-22 के 7962 करोड़ रुपए से मामूली सा कम है.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 50,539 करोड़ रुपए खर्च किए. चिंता की बात है कि इस खर्च में अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च हो रहा है. करीब पचास प्रतिशत हिस्सा इसी मद पर खर्च हुआ है. छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद खर्च बढ़ा है. पहले वित्त वर्ष 2021-22 में वेतन पर एक साल में 11,641 करोड़ रुपए खर्च हो रहे थे. वहीं, इस वित्तीय वर्ष में नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद वेतन-पेंशन पर खर्च बढक़र 15,669 करोड़ रुपए पहुंच गया. पेंशन के भुगतान पर भी खर्च की राशि वर्ष 2021-22 के 6088 करोड़ रुपए से बढक़र वर्ष 2022-23 में 9283 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है. ऐसे में विकास कार्यों पर खर्च के लिए रकम न के बराबर बचती है.

कर्ज का ब्याज देना भी हो रहा कठिन: सरकार की मुसीबत यहीं कम नहीं हो रही. कर्ज पर ब्याज देना भी सरकार को भारी पड़ रहा है. वर्ष 2021-22 की बात करें तो सरकार ने लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए 4472 करोड़ रुपए खर्च किए थे. वित्तीय वर्ष 2022-23 में कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए 4828 करोड़ रुपए चुकाने पड़े. सब्सिडी पर खर्च की जा रही रकम भी वर्ष 2021-22 के 1240 करोड़ रुपए के मुकाबले बढक़र वर्ष 2022-23 में 1973 करोड़ रुपए हो गई. सरकार को लगातार कर्ज भी निरंतर लेना पड़ रहा है. इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने 13055 करोड़ रुपए कर्ज ले लिया है. वहीं, कैग रिपोर्ट में यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट न जारी करने पर भी कैग ने सवाल उठाए हैं. हालांकि ये हर बार की बात है. हर सरकार के समय में यूसी यानी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा करने में कोताही बरती जाती है. वर्ष 2021-22 व वर्ष 2022-23 में सरकार ने करीब 4,242 करोड़ रुपए की राशि खर्च करने के बावजूद इनके यूसी नहीं लिए.

क्यों बिगड़ रही हिमाचल की आर्थिक सेहत: हिमाचल में सरकार सब्सिडी, वेतन और पेंशन के चक्रव्यूह में फंसी हुई है. हिमाचल के कर राजस्व प्राप्ति में कमी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल का मौजूदा वित्त वर्ष का फिस्कल डेफिसिट ग्रास जीडीपी का 5.82 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में कर राजस्व 13025.97 करोड़ रहने का अनुमान था, लेकिन अब ताजा अनुमानों के मुताबिक यह राशि 12 हजार 273 करोड़ से कुछ अधिक रहेगी. ऐसे में कर राजस्व (टैक्स रेवेन्यू) में बजट अनुमानों से 752.33 करोड़ की कमी आएगी. हिमाचल का पेंशन खर्च बजट अनुमानों के 8693 करोड़ से बढक़र 9315 पहुंचने का अनुमान है. पेंशन खर्च में करीब 621.72 करोड़ की बढ़ोतरी का अनुमान है.

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