शिमला: राजधानी शिमला के कृष्णा नगर इलाके पर खतरा टला नहीं है. इस इलाके में कई अन्य मकान भी खतरे की जद में आ गए हैं. इसको देखते हुए प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यहां से हादसे के साथ लगते कई मकानों को भी खाली करवा दिया है. इन सभी को अंबेडकर भवन और सामुदायिक केंद्रों में ठहराया गया है. करीब चालीस घरों को खाली करवाकर यहां से लोगों को राहत शिविर में रखा गया है. इससे पहले बीते मंगलवार यहां पर करीब 6 मकान गिर गए थे.
कृष्णा नगर पर मंडराया खतरा: शिमला शहर का कृष्णा नगर वार्ड का एक हिस्सा खतरे की जद में आ गया है. यहां मंगलवार को स्लॉटर हाउस के साथ करीब 6 मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गए थे. जिसके बाद यहां अन्य मकानों को भी खतरा पैदा हो गया है. यहां कई मकानों के आगे दरारें आ गई हैं. जिनके चलते इन मकानों के गिरने का खतरा लगातार बना हुआ है. इसके चलते प्रशासन ने यहां से लोगों को मकान खाली करवाने को कहा है. करीब चालीस घर हैं जिनको खाली करवा दिया गया है. कुछ मकान यहां बिल्कुल गिरने की कगार पर हैं जो कि कभी भी ढह सकते हैं. इन मकानों में रहने वालों को सामान तक निकालने का मौका भी नहीं मिला है क्योंकि प्रशासन ने इन मकानों में जाने पर रोक लगा दी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ये मकान कभी भी गिर सकते हैं. जिसके चलते प्रशासन जोखिम नहीं ले सकता.
अंबेडकर भवन और कम्युनिटी भवन में बसेरा: प्रशासन ने कृष्णा नगर से खाली करवाए मकानों के परिवारों को अंबेडकर भवन और सामुदायिक भवन में ठहराया है. यहां पर इनके रहने खाने का का इंतजाम किया गया है. रेड क्रॉस की ओर से इन लोगों को यहां सोने के लिए कपड़े उपलब्ध करवाए गए हैं. वहीं गुरु सिंह सभा की ओर से इनके लिए लंगर लगाया गया है. गुरु सिंह सभा के पदाधिकारी निछतर सिंह का कहना है कि प्रभावित परिवारों के लिए गुरु सिंह सभा की ओर से लंगर लगाया गया है. इसमें 300 से ज्यादा लोग हैं, जिनको लंगर में खाना खिलाया जा रहा है. इसके अलावा शहर में आपदा प्रभावित अन्य लोगों के लिए भी लंगर सभा द्वारा लंगर लगाया जा रहा है.
'राजीव आवास योजना के तहत बने मकानों में शिफ्ट हो प्रभावित': कृष्णा नगर वार्ड के पार्षद बिट्टू पाना का कहा है कि हादसे में मकान छह गिरे थे, इसमें करीब 30 परिवार थे. इसके बाद विष्णु मंदिर और मंडयाल कॉलोनी में भी दरारें आ गई हैं और यहां से भी मकानों को खाली करवा दिया गया है, ताकि कोई अनहोनी न हो. उनका कहना है कि करीब 250-300 लोगों को अंबेडकर भवन और सामुदायिक भवन में रखा गया है. उन्होंने कहा कि प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द रहने के लिए आवास उपलब्ध करवाए जाने चाहिए. कृष्णा नगर में राजीव आवास योजना के बनाए मकान प्रभावित परिवारों को आवंटित किए जाने चाहिए.
सिर्फ पहने हुए कपड़े हैं अपने साथ: कृष्णा नगर में अन्य मकानों को भी इतना खतरा पैदा हो गया है, लोग अपना सामान तक नहीं निकाल पा रहे हैं. कई परिवार ऐसे हैं जो सिर्फ पहनने के कपड़े अपने साथ लाए हैं. बाकी सामान घर पर पड़ा है जिसको वे निकाल नहीं पा रहे. हालांकि कुछ परिवारों ने अपना सामान निकाल लिया है, लेकिन वे इसको एकदम कहां ले जाएंगे. यह चिंता उनको सता रही है. किराए पर रह रहे खेमराज का कहना है कि मैं बीस साल से किराए पर रहता हूं, हमारा सारा सामान घर पर पड़ा है. अब नया कमरा किराए पर नहीं ले सकता. ऐसे में सरकार से वे उम्मीद लगाए हुए हैं.
अभिभावकों को सता रही बच्चों की पढ़ाई की चिंता: राहत शिविर में जिस तरह से परिवार रह रहे हैं उससे उनके बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. यहां रही रही संतोष कुमारी का कहना है कि हमारे घरों को खतरा पैदा हो गया है, जिसके चलते वह राहत शिविर में ठहर रहे हैं. वह कहती हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी एक बेटी आईजीएमसी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है, जबकि बेटा बीएससी कर रहा है. राहत शिविर में रहने से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रशासन उनके लिए एक कमरा रहने के लिए दे. उन्होंने कहा कि स्लॉटर हाउस के लिए कटिंग के चलते यहां पर मकान के लिए खतरा हुआ है. सरकार इसकी भरपाई करे.
खराब पेड़ों से हुआ हादसा: साहिल चावला कहते हैं कि मकानों की स्थिति खराब नहीं थी लेकिन पेड़ों की स्थिति खराब थी. उन्होंने कहा कि पेड़ों को काटने के बारे में कई बार प्रशासन को शिकायत दी गई, लेकिन उनको काटा नहीं गया. एक पेड़ की वजह से सारे मकानों को खतरा पैदा हुआ और अपने साथ आधा दर्जन मकान ले गया.
सिंकिंग जोन में है कृष्णा नगर का बड़ा हिस्सा: शिमला से सकुर्लर रोड के साथ लगते कृष्णा नगर का एक बड़ा हिस्सा सिंकिंग जोन में है. यहां के कुछ हिस्सों में पहले भी मकान गिरने की घटनाएं हुई हैं. लेकिन इतने बड़े स्तर पर यहां मकानों को खतरा पहली बार पैदा हुआ है. यहां लोग दहशत के साए में जी रहे हैं. प्रशासन ने मकान खाली करवा दिए हैं, ताकि कोई जानी नुकसान न हो.