शिमला: मौसम की मार अबकी बार सेब पर पड़ी है. फ्लावरिंग के समय खराब मौसम और ओलावृष्टि के चलते सेब की सेटिंग प्रभावित हुई है. ऊंचाई वाले इलाकों में ठंड, बारिश और कई जगह ओलावृष्टि ने सेब की फसल को नुकसान पहुंचाया है. इसी तरह मध्यम व निचले इलाकों में भी मौसम की मार से सेब की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है.
हिमाचल में अधिकतर हिस्सों में सेब की फ्लावरिंग हो चुकी है, जबकि कई ऊंचाई वाले इलाकों में इन दिनों सेब के बागीचों में फूल आ रहे हैं, लेकिन मौसम के बिगड़े मिजाज से सेब की सही सेटिंग नहीं हो पाई है. हालांकि एक दो दिन से मौसम साफ बना हुआ है मगर बीते कुछ दिनों में भारी बारिश, ओलावृष्टि हुई है. यह तब हुआ जबकि कई इलाकों में सेब की फ्लावरिंग हो रही थी. शिमला जिले के ऊपरी क्षेत्रों में ओलावृष्टि ने भी बागवानों की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया. जिला शिमला के जुब्बल, कोटखाई, रोहड़ू, चौपाल और ठियोग के सेब बहुल इलाकों में ओलावृष्टि ने फसलों को बुरी तरह से प्रभावित किया है. कुल्लू जिला और अन्य जिलों में भी सेब की फसल को इससे नुकसान पहुंचा है.
बेमौसमी बारिश से सेटिंग हुई है प्रभावित: सेब के बागीचों में फ्लावरिंग के समय बारिश हुई है जिससे सेब की फसल को सीधा नुकसान हुआ है. ऊंचाई वाले इलाको में इस दौरान सेब के पौधों में फूल आए थे. इस दौरान अनूकूल तापमान की जरूरत होती है, मगर ठंड और बारिश का सीधा असर सेब की फ्वारिंग पर पड़ता. इससे एक तो फूल झड़ते हैं वहीं सेटिंग भी इसके नहीं हो पाती. सेब की सेटिंग के लिए अच्छे तापमान की जरूरत होती है. मगर ठंड और बारिश ने सेब की सेटिंग को प्रभावित किया है.
सेब के बागीचों पर पहले पड़ी सूखे की मार: राज्य में लंबे समय तक ड्राई स्पेल होने की वजह से इसकी मार पहले सेब के बागीचों पर पड़ी. हालात यह रही कि सर्दियों में तापमान ज्यादा बढ़ने से सेब के बागीचों को चिलिंग ऑवर भी पूरे नहीं मिले, जिसमें न्यूनतम 7 डिग्री सेल्सियस की जरूरत रहती है, लेकिन यह तापमान सर्दियों में निचले और मध्यम इलाकों में सेब के पौधों को नहीं मिला.
वहीं, सूखे की वजह से बागवान पौधों में खाद भी नहीं डाल पाए और न ही तौलिये बना पाए. अब बेमौसमी बारिश ने बागवानों की अच्छी फसल की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. इसी तरह जहां पर सेब की सेटिंग हो चुकी थी वहां पर ओलावृष्टि ने इसको नुकसान पहुंचाया है. हालांकि अब लोग एंटीहेल नेट का इस्तेमाल भी कर रहे हैं लेकिन भारी ओलावृष्टि से यह नेट भी काम नहीं कर पाए और इससे कई जगह पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा है.