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सावन के पहले सोमवार पर मंदिरों में जुटी भक्तों की भीड़, जानें किस वजह से महत्वपूर्ण है ये मास - Etv Bharat

राजधानी शिमला में सोमवार को सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. इस दौरान भक्तों ने दूध और बेल पत्र चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की.

मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़
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Published : Jul 22, 2019, 3:09 PM IST

Updated : Jul 22, 2019, 3:20 PM IST

शिमला: राजधानी में सोमवार को देवालयों मे भक्तों की भीड़ देखने को मिली. श्रद्धालुओं ने लंबी कतारों में लग कर शिवलिंग का जलाभिषेक व पूजा अर्चना की.

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सावन माह को भगवान शिव से जोड़ा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से पुण्य और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

वासुदेव शर्मा, मंदिर के पुजारी

शिव मंदिर के पुजारी ने बताया कि सावन महीने में समंद्र मंथन के दौरान सागर के गर्भ से निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था. शिव ने विष को अपने गले में रोक लिया था. विष के प्रभाव से शिव का शरीर नीला पड़ गया था. इसके बाद शिव भगवान को नीलकंठ भी कहा जाने लगा. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सावन माह में शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

ये भी कहा जाता हि कि इसी माह में ही पार्वती ने शिव को पाने के लिए तपस्या की थी और उनकी मनोकामना पूरी हुई थी. साथ ही पुजारी ने ये भी बताया कि सावन में सूर्य कर्क लग्न में प्रवेश करता है. इस माह में सच्चे मन और लग्न से शिव की विशेष पूजा अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

ये भी पढ़ें: हमीरपुर में लगेंगी बच्चों की समर क्लासेस, प्रतियोगी परिक्षाओं की करवाई जाएगी तैयारी

शिमला: राजधानी में सोमवार को देवालयों मे भक्तों की भीड़ देखने को मिली. श्रद्धालुओं ने लंबी कतारों में लग कर शिवलिंग का जलाभिषेक व पूजा अर्चना की.

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सावन माह को भगवान शिव से जोड़ा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से पुण्य और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

वासुदेव शर्मा, मंदिर के पुजारी

शिव मंदिर के पुजारी ने बताया कि सावन महीने में समंद्र मंथन के दौरान सागर के गर्भ से निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था. शिव ने विष को अपने गले में रोक लिया था. विष के प्रभाव से शिव का शरीर नीला पड़ गया था. इसके बाद शिव भगवान को नीलकंठ भी कहा जाने लगा. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सावन माह में शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

ये भी कहा जाता हि कि इसी माह में ही पार्वती ने शिव को पाने के लिए तपस्या की थी और उनकी मनोकामना पूरी हुई थी. साथ ही पुजारी ने ये भी बताया कि सावन में सूर्य कर्क लग्न में प्रवेश करता है. इस माह में सच्चे मन और लग्न से शिव की विशेष पूजा अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

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Intro:सावन सोमबार के पहले दिन ऐतिहासिक शिव मंदिर में उमड़ा भक्तो का सैलाब । सागर मंथन ओर पार्वती शिव पूजा से स्वान के सम्बंध ।
शिमला।
राजधानी में सोमबार को शहर के देवालयों मे भक्तो का तांता लगा रहा ।सभी लंबी कतारों में लग कर शिव लिंग का जलाबिषेक व पूजा अर्चना की।


Body:स्वान महीने के पहले सोमबार को सभी मंदिरों में भक्तों ने लंबी कतारों मे लगे रहे और अपनी बारी आने पर शिव लिंग की बिल्वपत्री ,भांग धतूर दूध से पूजा अर्चना की ।मान्यता के अनुसार सावन माह को भगवान शिव से जोड़ा जाता है और इस समय भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से पुण्य ओर मनोकामना की पूर्ति होना माना जाता है।


Conclusion:शिव मंदिर के पुजारी ने बताया कि सावन महीना इस लिए महत्वपूर्ण है क्यो की इस महीने में सागर का मंथन हुआ था ओर भगवान शिव ने विष पी लिया था इस लिए उन्हें शांत करने के उद्देश्य से सावन महीने में शिव लिंग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। उन्होंने बताया कि दूसरा सावन के महीने में ही पार्वती ने शिव को पाने के लिए तपस्या की थी और उनकी मनोकामना पूरी हुई थी। पुजारी ने बताया कि सावन में सूर्य कर्क लग्न में प्रवेश करता है।जिससे इस महीने विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
Last Updated : Jul 22, 2019, 3:20 PM IST
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