शिमला: माकपा राज्य सचिव मण्डल संजय चौहान ने नीति की कड़ी निंदा की है और सरकार से मांग की है कि इस कोविड-19 महामारी पर समय पर रोकथाम के लिय 18 वर्ष की आयु से ऊपर सभी का समयबद्ध तरीके से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर निशुल्क वैक्सीनशन कर अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करें. उनका कहना है कि सरकार द्वारा 18 से 44 वर्ष के लिए जो वैक्सीनशन की नीति लागू की है वह पूर्ण रूप से भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है.
युवाओं के लिए निशुल्क वैक्सीनशन की मांग
हाल ही में सरकार द्वारा युवा वर्ग के लिए जो ऑनलाइन बुकिंग के आधार पर थोड़ी बहुत वैक्सीनशन की जा रही थी वह भी सरकार के अनुसार अब वैक्सीन उपलब्ध न होने के कारण बंद कर दी गई है और अब देश व प्रदेश में महंगी दरों पर निजी अस्पतालों व अन्य संस्थानों को युवा वर्ग को वैक्सीनशन की इजाजत देकर शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है क्योंकि भारत के संविधान की धारा 21 सभी को जीवन व धारा 14 सभी को बराबरी का अधिकार प्रदान करती है.
माकपा का सरकार पर आरोप
इसलिए देश मे सभी युवा, वृद्ध, बच्चों, गरीब, अमीर व हर वर्ग के लोगों के जीवन की रक्षा करना सरकार का संवैधानिक दायित्व बनता है. सरकार की वैक्सीनशन को लेकर लागू नीति व कार्य प्रणाली यहां भी संदेह के घेरे में आती है क्योंकि प्रदेश सरकार के अनुसार उनको वैक्सीन नहीं मिल रही है इसलिए 18 से 44 आयु वर्ग की वैक्सीनशन नहीं की जा रही है तो इन निजी अस्पतालों व संस्थानों के पास वैक्सीन कहां से आ रही है. सरकार का यह निर्णय स्पष्ट रूप से इन निजी अस्पतालों व संस्थानों को लाभ पहुंचाने का है और इससे कोविड-19 से पैदा हुए संकट से जूझ रहे सभी जिनमें विशेष रूप में गरीब व दूरदराज के लोग वैक्सीन से वंचित रह जाएंगे और इनकी जान का खतरा बढ़ जाएगा.
वैक्सीनशन ही एकमात्र सहारा
चौहान ने कहा कि कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए वैक्सीनशन ही एकमात्र चारा है. जब तक 70 प्रतिशत आबादी की वैक्सीनशन नहीं की जाती तब तक इससे होने वाली तबाही पर रोक लगाना संभव नहीं है. यदि सरकार समय रहते अपनी लचर वैक्सीनशन नीति में गुणात्मक बदलाव नहीं करती और इसको सभी को मुफ्त समय रहते उपलब्ध नहीं करवाती तो देश मे कोविड-19 की और कई वेव आने से कोई नहीं रोक सकता और देश के कई लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ गंवाने होंगे और इसके लिए सरकार ही दोषी होगी.
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