शिमला: कोरोना वायरस महामारी चीन, यूरोप समेत पूरी दुनिया में कहर बरपा रही है. भारत में भी इसके संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में अबतक कोरोना के 151 मामले सामने आ चुके हैं. अगर हम हिमाचल प्रदेश की बात करें तो कोरोना वायरस से प्रभावित 19 देशों की यात्रा करने के बाद हिमाचल में 657 लोगों वापस लौटें हैं. प्रदेश में इन लोगों को अब तक निगरानी में रखा गया है. इनमें से 279 को घरों में आइसोलेशन में ही रखा गया जबकि 117 लोगों ने हिमाचल छोड़ अन्य राज्यों का रुख कर लिया है.
हालांकि कोविड-19 का कोई भी मामला अभी तक हिमाचल से ना हो लेकिन प्रदेश सरकार इसे लेकर बेहद सतर्क है और कोरोना से बचाव के लिए हर संभव कोशिशों में जुटी हुई है. वहीं, कोरोना का खौफ अब धार्मिक आस्था पर भी दिख रहा है. हिमाचल सरकार ने एहतियात बरतते हुए प्रदेशभर के शक्तिपीठों को बंद करने का फैसला लिया है. 25 मार्च से शुरू हो रहे नवरात्रि के दौरान मंदिरों में खासी भीड़ उमड़ने की आशंका को देखते हुए सरकार ने सभी मंदिरों के कपाट बंद करने का फैसला लिया है.
वहीं, राजधानी शिमला के मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ में भी काफी कमी आई है और लोग कम संख्या में ही भगवान के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन जो श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं, उनके लिए भी खास प्रबंध मंदिरों में जिला प्रशासन के निर्देशों के बाद किए गए हैं. शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर की बात करें तो यहां भी जिला प्रशासन के निर्देशों के बाद खास इंतजाम किए गए हैं. मंदिर में ज्यादा भीड़ इकट्ठा ना हो इस बात का भी खास ध्यान रखा जा रहा है.
मंदिर के प्रांगण में ही प्रवेश द्वार के साथ ही कोरोना वायरस के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए पोस्टर लगाए गए हैं. मंदिर परिसर में सेनिटाइजर का भी प्रावधान किया है. कोरोना वायरस के कारण व्यापारियों के साथ-साथ छोटे दुकानदारों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है.
बता दें कि राजधानी शिमला के कालीबाड़ी सहित जाखू, संकट मोचन, तारादेवी मंदिरों में हर रविवार और मंगलवार को लगाए जाने वाले भंडारों पर भी रोक लगा दी गई है, लेकिन शक्तिपीठों की तरह अभी मंदिरों को बंद नहीं किया गया है. अभी श्रद्धालु कम ही सही, लेकिन मंदिरों में दर्शनों के लिए आ रहे हैं. वहीं, 25 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इस दौरान मंदिरों में ज्यादा भीड़ उमड़ती है, लेकिन कोरोना वायरस को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से राजधानी में मंदिरों को बंद करने का फैसला भी लिया जा सकता है.
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