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हिमाचल में कोरोना ने बढ़ा दिया बेरोजगारी का आंकड़ा, 15 हजार से ज्यादा लोगों की गई नौकरियां

हिमाचल में बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो देश में बेरोजगारी दर के मामले में हरियाणा 24.5 फीसदी के साथ पहले स्थान पर, दिल्ली 20.3 के साथ दूसरे स्थान पर और हिमाचल 16.7 साथ तीसरे स्थान पर है. प्रदेश में कोविड की वजह से बेरोजगारी का जो आंकड़ा पहले था उसमें बढ़ोतरी हो गई है.

Corona virus increased unemployment in himachal pradesh
फोटो.
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Published : Aug 30, 2020, 10:37 PM IST

शिमला: कोरोना वायरस महामारी अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक साबित है. लगभग हर हफ्ते किसी न किसी क्षेत्र से हजारों कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी देने, नौकरियों से निकालने, वेतन में भारी कटौती की खबरें आ रही हैं. हिमाचल में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं.

प्रदेश के बाहरी राज्यों में काम करने वाले हजारों लोग भी बेरोजगार हो गए है. बेरोजगार होने वाले लोगों का यह आंकड़ा हजारों में है. प्रदेश में कोविड की वजह से बेरोजगारी का जो आंकड़ा पहले था उसमें बढ़ोतरी हो गई है.

वीडियो रिपोर्ट

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी की दर पर ज्ञान,विज्ञान समिति के प्रदेश सचिव जियानंद शर्मा कहा कि प्रदेश में सरकारी आंकड़े पर गौर करें तो सरकारी आंकड़ों ने इनकी संख्या साढ़े आठ लाख के करीब है, लेकिन यह आंकड़ा वास्तव में 14 लाख के करीब होगा.

ऐसा नहीं है कि हिमाचल में बेरोजगारी का मुद्दा कोरोना काल में शुरू हुआ है.प्रदेश की आर्थिक संरचना और भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां के युवाओं को बरोजगारी की समस्या का सामना बहुत पहले से करना पड़ रहा है.

देश में बेरोजगारी दर की बात की जाए तो यह दर 7.93 फीसदी है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो देश में बेरोजगारी दर के मामले में हरियाणा 24.5 फीसदी के साथ पहले स्थान पर, दिल्ली 20.3 के साथ दूसरे स्थान पर और हिमाचल 16.7 साथ तीसरे स्थान पर है.

स्किल से जोड़ने का किया जा रहा प्रयास

प्रदेश सरकार ने कोविड के समय में जिन लोगों का रोजगार गया उन्हें रोगजार देने के लिए स्किल रजिस्टर पोर्टल पर पंजीकरण कर रोजगार के अवसर देने की पहल कि हैं. इस पोर्टल पर अभी तक 16 हजार से अधिक लोग पंजीकरण करवा चुके है. उसमें से 1100 लोगों की डिमांड उघोगों में थी लेकिन मात्र 250 लोग ही इंटव्यू देने के लिए आए.

हिमाचल में कोविड की वजह से बेरोजगार हुए लोगों में सबसे ज्यादा आंकड़ा टूरिज्म सेक्टर में काम करने वाले लोगों का है. प्रदेश के साथ ही बाहरी राज्यों में टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर काम कर रहे थे लेकिन अब कोविड की वजह से टूरिज्म इंडस्ट्री पूरी तरह से बंद पड़ी है जिसके चलते अधिकतर लोग बेरोजगार हुए हैं.

सरकार की ओर से बेरोजगार युवाओं को काम उपलब्ध करवाने के लिए योजनाएं बनाने की आवश्यकता है. मात्र कौशल रजिस्टर पोर्टल पर पंजीकरण से इन बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार नहीं मिल पाएगा. सरकार को इसके लिए एक कमेटी का गठन करना चाहिए.

प्रदेश में यह है बेरोजगारी की स्थिति

हिमाचल में 8,66,092 बेरोजगार है. इसमें से 75,046 पोस्ट ग्रेजुएट,1,35,069 ग्रेजुएट,6,15,309 अंडर मैट्रिक 40119 ओर 549 अनपढ़ बेरोजगार है. इसमें पुरुषों की संख्या 4,88,301 है, जबकि महिलाओं का आंकड़ा 3,77,791 है.

पात्रता के आधार पर मिलेगा रोजगार

कौशल रजिस्टर पोर्टल पर पंजीकृत नागरिकों को उनकी योग्यता, पात्रता और इच्छाओं के अनुसार ही नौकरी के अवसर देने के लिए योग्य उम्मीदवारों की पहचान की जा रही है. जिसकी इच्छा हो वो वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करवा सकते है और कंपनियों उद्योगों की आवश्यकता को भी पंजीकृत कर सकते है.

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि प्रदेश सरकार लोगों को रोजगार दिलवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है, 2019 में इंवेस्टर मीट करवाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, लेकिन इस वक्त अगर बेरोजगारी की बढ़ती दर पर लगाम नहीं लगाई गई तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति को अपने न्यूनतम स्थर से भी गुजरना पड़ सकता है.

शिमला: कोरोना वायरस महामारी अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक साबित है. लगभग हर हफ्ते किसी न किसी क्षेत्र से हजारों कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी देने, नौकरियों से निकालने, वेतन में भारी कटौती की खबरें आ रही हैं. हिमाचल में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं.

प्रदेश के बाहरी राज्यों में काम करने वाले हजारों लोग भी बेरोजगार हो गए है. बेरोजगार होने वाले लोगों का यह आंकड़ा हजारों में है. प्रदेश में कोविड की वजह से बेरोजगारी का जो आंकड़ा पहले था उसमें बढ़ोतरी हो गई है.

वीडियो रिपोर्ट

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी की दर पर ज्ञान,विज्ञान समिति के प्रदेश सचिव जियानंद शर्मा कहा कि प्रदेश में सरकारी आंकड़े पर गौर करें तो सरकारी आंकड़ों ने इनकी संख्या साढ़े आठ लाख के करीब है, लेकिन यह आंकड़ा वास्तव में 14 लाख के करीब होगा.

ऐसा नहीं है कि हिमाचल में बेरोजगारी का मुद्दा कोरोना काल में शुरू हुआ है.प्रदेश की आर्थिक संरचना और भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां के युवाओं को बरोजगारी की समस्या का सामना बहुत पहले से करना पड़ रहा है.

देश में बेरोजगारी दर की बात की जाए तो यह दर 7.93 फीसदी है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो देश में बेरोजगारी दर के मामले में हरियाणा 24.5 फीसदी के साथ पहले स्थान पर, दिल्ली 20.3 के साथ दूसरे स्थान पर और हिमाचल 16.7 साथ तीसरे स्थान पर है.

स्किल से जोड़ने का किया जा रहा प्रयास

प्रदेश सरकार ने कोविड के समय में जिन लोगों का रोजगार गया उन्हें रोगजार देने के लिए स्किल रजिस्टर पोर्टल पर पंजीकरण कर रोजगार के अवसर देने की पहल कि हैं. इस पोर्टल पर अभी तक 16 हजार से अधिक लोग पंजीकरण करवा चुके है. उसमें से 1100 लोगों की डिमांड उघोगों में थी लेकिन मात्र 250 लोग ही इंटव्यू देने के लिए आए.

हिमाचल में कोविड की वजह से बेरोजगार हुए लोगों में सबसे ज्यादा आंकड़ा टूरिज्म सेक्टर में काम करने वाले लोगों का है. प्रदेश के साथ ही बाहरी राज्यों में टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर काम कर रहे थे लेकिन अब कोविड की वजह से टूरिज्म इंडस्ट्री पूरी तरह से बंद पड़ी है जिसके चलते अधिकतर लोग बेरोजगार हुए हैं.

सरकार की ओर से बेरोजगार युवाओं को काम उपलब्ध करवाने के लिए योजनाएं बनाने की आवश्यकता है. मात्र कौशल रजिस्टर पोर्टल पर पंजीकरण से इन बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार नहीं मिल पाएगा. सरकार को इसके लिए एक कमेटी का गठन करना चाहिए.

प्रदेश में यह है बेरोजगारी की स्थिति

हिमाचल में 8,66,092 बेरोजगार है. इसमें से 75,046 पोस्ट ग्रेजुएट,1,35,069 ग्रेजुएट,6,15,309 अंडर मैट्रिक 40119 ओर 549 अनपढ़ बेरोजगार है. इसमें पुरुषों की संख्या 4,88,301 है, जबकि महिलाओं का आंकड़ा 3,77,791 है.

पात्रता के आधार पर मिलेगा रोजगार

कौशल रजिस्टर पोर्टल पर पंजीकृत नागरिकों को उनकी योग्यता, पात्रता और इच्छाओं के अनुसार ही नौकरी के अवसर देने के लिए योग्य उम्मीदवारों की पहचान की जा रही है. जिसकी इच्छा हो वो वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करवा सकते है और कंपनियों उद्योगों की आवश्यकता को भी पंजीकृत कर सकते है.

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि प्रदेश सरकार लोगों को रोजगार दिलवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है, 2019 में इंवेस्टर मीट करवाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, लेकिन इस वक्त अगर बेरोजगारी की बढ़ती दर पर लगाम नहीं लगाई गई तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति को अपने न्यूनतम स्थर से भी गुजरना पड़ सकता है.

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