शिमला: शुक्रवार को देशभर में कोरोना वैक्सीन के दूसरे चरण का ड्राइ रन हुआ. हिमाचल में भी दूसरे चरण का ड्राइ रन हुआ. राजधानी शिमला में भी इस प्रक्रिया के लिए 3 सेंटर बनाए गए थे. जिसमें से सबसे बड़ा सेंटर प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में लगाया गया था. जहां वैक्सीनेशन के ड्राइ रन को बखूबी अंजाम दिया गया. आईजीएमसी के नए फेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर में इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया.
ड्राइ रन की जरूरत क्यों ?
देशभर में वैक्सीनेशन के ड्राइ रन का ये दूसरा चरण है. इस दौरान देश के हर जिले में वैक्सीनेशन के ड्राइ रन के केंद्र स्थापित किए गए. जहां एक तरह से वैक्सीनेशन की रिहर्सल की गई. जिसमें वैक्सीन के स्टोरेज से लेकर ट्रांसपोर्टेशन और वैक्सीनेशन तक की प्रक्रिया का रिहर्सल किया गया. ड्राइ रन एक तरह की मॉक ड्रिल है जहां किसी कार्य विशेष का अभ्यास किया जाता है. कोरोना की मार झेल रही दुनिया में कुछ वैक्सीन बनकर तैयार है तो भारत सरकार ने भी दो वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. वैक्सीन आते ही बड़ी मात्रा में देशभर में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू होगी.
इतने बड़े देश में वैक्सीनेशन से पहले तैयारी और अभ्यास बहुत जरूरी है. ऐसे में देशभर में वैक्सीनेशन का ड्राइ रन चल रहा है. हर राज्य में चल रहे इस ड्राइ रन में वैक्सीनेशन के दौरान होने वाली हर प्रक्रिया की रिहर्सल की गई ताकि वैक्सीन आने के बाद जब वैक्सीनेशन का दौर शुरू हो तो सबकुछ पूर्व नियोजित तरीके से अंजाम दिया जाए.
वैक्सीनेशन ड्राइ रन में क्या हुआ ?
- वैक्सीनेशन के ड्राइ रन में वैक्सीन लगाने आए शख्स की गेट पर थर्मल स्कैनिंग हुई. उसको भेजे गए मैसेज और संबंधित कागजातों की जांच हुई.
- दूसरे स्टेज में स्वास्थ्य अधिकारियों ने उस शख्स की सभी जानकारियों को वेरिफाई किया. ताकि सही व्यक्ति को वैक्सीन लगे और फिर उसपर नजर भी रखी जा सके
- पूरी वेरिफिकेशन होने के बाद अगले स्टेज पर उस शख्स को वैक्सीन (सांकेतिक) दी गई.
- वैक्सीन लगने के बाद उस शख्स को आधे घंटे के लिए निगरानी में रखा गया. इसके लिए बकायदा बैड का बंदोबस्त किया गया था ताकि वैक्सीन लगने के बाद होने वाले असर पर डॉक्टरों की नजर बनी रहे और साइड इफेक्ट होने की स्थिति में उसे तुरंत इलाज मिल सके
- वैक्सीनेशन और निगरानी से गुजरने के बाद आखिरी स्टेज पर स्वास्थ्य अधिकारी की परमिशन के बाद वो शख्स घर जा सकता है. इस दौरान उसे वैक्सीन के दूसरे डोज़ की जानकारी भी दी जाती है जो कि निश्चित दिनों के बाद ऐसी ही प्रक्रिया के तहत लगेगा.
ड्राइ रन है जरूरी
आईजीएमसी में हुए वैक्सीनेशन के ड्राइ रन के दौरान IGMC के एमएस डॉ. जनक और प्रिंसिपल रजनीश पठानिया समेत कई आला अधिकारी मौजूद रहे.
डॉ. जनक ने बताया कि वैक्सीनेशन का ड्राइ रन बहुत जरूरी है और इसे अच्छे से अंजाम दिया जा रहा है. ड्राइ रन से समय और वैक्सीन के सदुपयोग होता है. जो भी व्यवस्था वैक्सीनेशन के दौरान होगी ड्राइ रन के दौरान उस पूरी व्यवस्था और प्रक्रिया की रिहर्सल होती है. ताकि जब वैक्सीनेशन का दौर शुरू हो तो सब कुछ तय प्रक्रिया के साथ हो.
![Corona vaccine dry run](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hp-sml-02-dry-run-pkj-7204045_08012021122655_0801f_00949_334.jpg)
कोरोना वैक्सीनेशन में वैक्सीन की स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन बहुत अहम कड़ी है. आईजीएमसी के प्रिंसिपल रजनीश पठानिया ने बताया कि डाइ रन में इसकी भी रिहर्सल हो रही है ताकि वैक्सीनेशन को अच्छे से अंजाम दिया जा सके.
11 जनवरी को फिर से ड्राइ रन
हिमाचल में वैक्सीनेशन के ड्राइ रन का तीसरा चरण 11 जनवरी को होगा. उस दिन प्रदेशभर में ब्लॉक स्तर पर वैक्सीनेशन के ड्राइ रन को अंजाम दिया जाएगा.
इससे पहले 2 जनवरी को भी शिमला में 3 केंद्रों पर कोरोना वैक्सीनेशन का ड्राइ रन हुआ था और शुक्रवार को हुए ड्राइ रन के दूसरे चरण में प्रदेश के सभी जिलों में 3-3 केंद्रों पर इस रिहर्सल को अंजाम दिया गया. हिमाचल के सभी 12 जिलों में कुल 36 केंद्रों में ड्राइ रन हुआ. इनमें से ज्यादातर जिला मुख्यालयों पर स्थित थे.
सबसे पहले कोरोना वॉरियर्स को लगेगी वैक्सीन
कोरोना काल में अपनी ड्यूटी पर जमे रहकर कोरोना वॉरियर्स की भूमिका निभाने वालों को सबसे पहले कोरोना वैक्सीन दी जाएगी. केंद्र सरकार भी इसका ऐलान कर चुकी है. हिमाचल में भी करीब 1 लाख 35 हजार कोरोना वॉरियर्स को वैक्सीन दी जाएगी. जिनमें डॉक्टर्स के अलावा पैरामेडिकल स्टाफ, आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर्स, पुलिस और अन्य फ्रंट लाइन वॉरियर्स शामिल हैं.