शिमला: पीएम मोदी के संबोधन के साथ ही देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान शुरु हुआ है. देशभर के करीब 3006 चिंहित स्थानों पर करीब तीन लाख से ज्यादा हेल्थ वर्करों को वैक्सीन लगाई गई है. इसके तहत राजधानी शिमला में वैक्सीनेशन का अभियान शुरू हुआ है. वैक्सीनेशन लगाने को लेकर सभी स्थानों पर सौ लोगों का चयन किया गया है.
सीएमओ ने की अभियान की शुरुआत
वैक्सीनेशन लगाने को लेकर संस्थान के मुख्य प्रबंधक भ्रम और आशंका को दूर करते हुए नजर आए. शिमला के आईजीएमसी में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने टीकाकरण अभियान को शुरू किया. राजधानी शिमला के सबसे पुराने अस्पताल दीन दयाल उपाध्याय यानी डीडीयू में संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश चौहान ने वैक्सीन का टीका लगाकर अभियान की शुरूआत की. इसके बाद विभिन्न विभागों के हेल्थ वर्करों और फ्रंटियरों ने वैक्सीन को टीका लगाया.
डीडीयू एमएस डॉ रमेश चौहान ने लगवाया पहला टीका
डीडीयू एमएस डॉ रमेश चौहान ने बताया कि लोगों की आशंका को दूर करने के लिए उन्होंने टीका लगाने का निर्णय लिया, जिससे लोगों के मन में आशंका और भय को दूर किया जा सके. उन्होंने कहा कि कोरोना ने एक साल पूरे देश को बर्बाद किया है. वैक्सीन से सब लोग कोरोना की बीमारी से बच पाएंगे. उन्होंने कहा कि भारत की वैक्सीन सुरक्षित है, जिसको लगाने से हमे परहेज नहीं करना है. डीडीयू एमएस डॉ रमेश चौहान ने कहा कि बीमारी से बचाव के लिए टीका लगाना जरूरी है. सबको कोविन एप में रजिस्टर्ड कर टीका लगाना चाहिए.
वैक्सीन से कोरोना को हराने में मिलेगी मदद
वहीं, हेल्थ वर्कर भी वैक्सीन लगाने के लिए आगे आये हैं, जिन्होंने कोरोना के दौर में फ्रंट लाइनर की अहम भूमिका निभाई है. हेल्थ वर्करों का कहना है कि नई वैक्सीन से देश में कोरोना को हराने में मदद मिलेगी, जिसका वे सभी स्वागत करते हैं और आने वाले दिनों में सभी लोग वैक्सीन लगाकर कोरोना को खत्मे करने में सहयोग करें. वहीं डॉ. मनीषा ने टीका लगाकर महिलाओं के मन की आशंकाओं को दूर किया और कहा पहला टीका लगाना लोगों को संदेश देने का है.
वैक्सीनेशन को लेकर दिखी अव्यवस्था
देश के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को लेकर भले ही सभी चिन्हित स्थानों पर पहले से ही तैयारियां की गई थी, लेकिन राजधानी शिमला के डीडीयू सेंटर में अव्यवस्था का आलम दिखाई दिया. विभाग की ओर से रजिस्टर्ड हेल्थ वर्करों को पहले टीका लगाने की योजना थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने आशा वर्करों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आयुर्वेद विभाग के कर्मचारियों को बुलाया गया था.
कुछ लोगों को नहीं लगा टीका
पहले सौ फ्रंट वॉरियर की सूची में नाम न होने से उन्हें टीका नहीं लग पाया, जिसके चलते उन्हें मायूस होकर अपने घर लौटना पड़ा. विभाग की ओर से मना करने के बाद यह फ्रंट वॉरियर निराश जरुर हुए, लेकिन कोरोना की महामारी में इन लोगों का बड़ा योगदान रहा जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता.
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