शिमला: हिमाचल विधानसभा सदन में बजट पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के जवाब से नाखुश विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया और सदन के बाहर जमकर नारेबाजी की. साथ में बजट को प्रदेश का दिवालिया निकालने के आरोप लगाए. वहीं, कर्ज लेने की लिमिट बढ़ाने का सरकार का फैसला भी विपक्ष को पसंद नहीं आया.
बजट के किसी भी पहलू को नहीं छुआः नेता प्रतिपक्ष
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 34 विधायकों ने छह मार्च को पेश किए बजट पर चर्चा की है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चर्चा का जवाब देते हुए बजट के किसी भी पहलू को नहीं छुआ है. नेता विपक्ष ने कहा कि जयराम सरकार का बजट डॉक्यूमेंट प्रदेश का दिवाला निकाल देगा. एफबीआरएम एक्ट में संशोधन लाया गया है. 2005 में कानून लाया गया था जिसमें कर्ज लेने के लिए लिमिट रखी गई थी. आज ये लिमिट टूट गई और जो कर्ज की सीमा 3% थी उसे बढ़ाकर सरकार 5% करने जा रही है, जबकि आज तक कभी भी कर्ज की सीमा बढ़ाने की कोशिश नहीं की गई. सरकार कर्ज की बैसाखियों पर चल रही है विपक्ष के ये आरोप बिल्कुल सही साबित हो रहे हैं और सरकार ने भी अब इस बात को मान लिया है. उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री ने हिमाचल की जनता के साथ बड़ा विश्वासघात किया है और इस बिल का विपक्ष समर्थन नहीं करता जिसके चलते सदन से वॉकआउट किया गया है.
पंजाब की तर्ज पर पे-कमीशन लागू करने की नहीं की घोषणा
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि बजट पर चर्चा के दौरान कर्मचारियों को उम्मीद थी की मुख्यमंत्री पंजाब की तर्ज पर पे-कमीशन लागू करने की घोषणा करेंगे, लेकिन इस कोई बात मुख्यमंत्री नहीं कर रहे थे. इसके अलावा सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करेगी या नहीं इसपर भी कोई जिक्र नहीं किया गया. बीजेपी के दृष्टिपत्र में अनुबंध 3 से 2 साल करने की बात कही थी उसकी भी बजट में मुख्यमंत्री ने कोई बात नहीं की.
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