शिमला: प्रदेश कांग्रेस महासचिव विनोद सुल्तानपुरी ने ई-मेल व डाक से कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजा है. महासचिव जल्द ही दिल्ली जाकर प्रदेश अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर भी सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे.
बताया जा रहा है कि विनोद सुल्तानपुरी ने कसौली कांग्रेस संगठन में की गई नियुक्ति में उनकी अनदेखी से नाराज होकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर के विरोध में इस्तीफा दिया है. विनोद सुल्तानपुरी ने बताया कि वह एक कांग्रेस परिवार से संबंध रखते हैं, लेकिन कसौली में उनकी जानबूझकर अनदेखी की जा रही है.
विनोद सुल्तानपुरी का कहना है कि पीसीसी चीफ दोनों चुनावों के दौरान पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ काम करने वालों को उंचे ओहदे दे रहे हैं. वह लगातार आठ वर्षों से महासचिव हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से रणनीति के अनुसार उनको दरकिनार कर बिना जनसमर्थन वाले नेताओं को ओहदे बांटे जा रहे हैं.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए विनोद सुल्तानपुरी ने कहा कि कुलदीप राठौर ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से भी सबक नहीं लिया. उन्होंने कुलदीप राठौर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि वह तानाशाही पूर्ण रवैया अपना रहे हैं, इससे मात्र संगठन कमजोर हो रहा है.
कसौली कांग्रेस में बड़ा चेहरा है विनोद सुल्तानपुरी
विनोद सुल्तानपुरी कसौली कांग्रेस का बड़ा व जनसमर्थन वाला चेहरा है और वो युकां में राष्ट्रीय पदों से लेकर कई पदों पर आसीन रह चुके हैं. विनोद सुल्तानपुरी वर्ष 2012 में भाजपा के विधायक डॉ. राजीव सैजल से मात्र 24 वोटों से हारे थे.
वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में वह वर्तमान कसौली के विधायक व प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल से 443 वोटों के मामूली से अंतर से परास्त हुए हैं. दोनों बार ही कांग्रेस की गुटबाजी ने उनको विधायक के पद के नजदीक पहुंचने के बावजूद सफल नहीं होने दिया.
बता दें कि कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं का एक बड़ा धड़ा आज भी उनके साथ खड़ा है. ऐसे में पार्टी प्रदेशाध्यक्ष द्वारा विनोद सुल्तानपुरी की अनदेखी कसौली कांग्रेस को बड़ा झटका दे सकती है. उनके देर शाम इस्तीफा भेजने के बाद से उनके समर्थकों में भी प्रदेश पार्टी संगठन के खिलाफ खासा रोष देखा जा रहा है. कुलदीप राठौर के खिलाफ खुले तौर पर मोर्चा खोलकर विनोद सुल्तानपुरी ने उनके नेतृत्व को मानने से इनकार कर दिया है.