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4 लाख के सैर-सपाटे वाला बिल पारित, भाजपा-कांग्रेस एकमत, विरोध में सिर्फ माकपा MLA सिंघा

मानसून सत्र के अंतिम दिन माननीयों के लिए चार लाख सालाना निशुल्क यात्रा भत्ते का बिल पारित. कांग्रेस के विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू और रामलाल ठाकुर ने बिल के पक्ष में दी दलीलें. माकपा विधायक राकेश सिंघा ने किया विरोध.

Himachal Pradesh Assembly
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Published : Aug 31, 2019, 8:06 PM IST

Updated : Aug 31, 2019, 10:44 PM IST

शिमलाः हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन माननीयों के लिए चार लाख सालाना निशुल्क यात्रा भत्ते का बिल पारित हो गया. अमूमन सदन के भीतर सत्ता पक्ष का विरोध करने वाली कांग्रेस ने भी बिल के समर्थन में खूब उत्साह दिखाया. सदन में विरोध की अकेली आवाज माकपा नेता राकेश सिंघा की थी. उन्होंने बिल का विरोध किया और इसे वापिस लेने की मांग की, लेकिन कांग्रेस के विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू और रामलाल ठाकुर ने बिल के पक्ष में जोरदार दलीलें दीं.
रामलाल ठाकुर ने तो यहां तक कहा कि विधायकों का स्टेट्स राज्य के मुख्य सचिव के बराबर है, लिहाजा उन्हें मुख्य सचिव से एक रुपए अधिक वेतन मिलना चाहिए. मुख्य सचिव का वेतन ढाई लाख रुपए मासिक है. विधायकों को वेतन व भत्तों सहित 2.10 लाख रुपए मासिक मिलते हैं. कांग्रेस की तरफ से हर्षवर्धन चौहान, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, रामलाल ठाकुर ने बिल के समर्थन में अपने तर्क रखे. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि आम आदमी पार्टी का उदय इन्हीं मुद्दों पर हुआ था. अब दिल्ली में दो विधानसभा क्षेत्रों पर एमएएल के लिए एक रिसर्चर की नियुक्ति है, जिसे एक लाख रुपए वेतन दिया जाता है. दिल्ली में विधायकों को तीन लाख रुपए मासिक वेतन-भत्ते के रूप में मिलते हैं.
सदन में प्रश्नकाल के बाद करीब 12 बजकर 7 मिनट पर बिल को पारित करने के लिए लाया गया. राकेश सिंघा ने चर्चा के दौरान कहा कि बेशक सालाना 1.99 करोड़ का अतिरिक्त बोझ एक बड़ी रकम नहीं है, लेकिन इससे समाज में संकेत क्या जाएगा? अर्थव्यवस्था खराब दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा- व्हाट वी प्रीच, वी शुड प्रैक्टिस दैट. उन्होंने कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, विधायकों, मंत्रियों आदि के प्रति विनम्रतापूर्वक क्षमा याचना सहित कहता हूं कि कृपया इस बिल को पारित न करें.
कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जोरदार तरीके से बिल का समर्थन किया. उन्होंने साफ कहा कि विधायकों की सुविधा में और विस्तार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बड़ा संघर्ष करने के बाद विधायक बनते हैं. हिमाचल निर्माता यशवंत सिंह परमार ने 48 साल पहले सोचा था कि विधायकों को पेंशन भी मिलनी चाहिए, जब उन्होंने एक पूर्व विधायक को सड़क किनारे रोड़ी कूटते देखा था. विधायकों को इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि उन्हें कितना वेतन व भत्ते मिलते हैं. सुक्खू ने तो यहां तक कहा कि ये बिल नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली बात दर्शाता है. समय-समय पर वेतन-भत्तों में इजाफा भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि चार लाख सालाना यात्रा भत्ता विधायकों को तब मिलेगा, जब वे इसे क्लेम करना चाहें. सुक्खू ने कहा कि उन्होंने खुद विधानसभा की सुख-सुविधा कमेटी में जाकर पता किया तो जानकारी मिली की नब्बे फीसदी विधायक तो इस सुविधा को अवेल ही नहीं करते. उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर 2.50 लाख रुपए मासिक वेतन लेता है. विधायक प्रोटोकॉल में मुख्य सचिव के बराबर होता है. वास्तविकता से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए. जब कोई विधायक पूर्व हो जाता है तो उसकी दशा खराब हो जाती है. कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन ने कहा कि इसमें चर्चा की जरूरत नहीं, भत्ता बढऩा चाहिए. जिसकी सेलेरी अच्छी नहीं है, वो ईमानदारी से काम कैसे चलाएगा. सरकारी कर्मियों का वेतन हर साल बढ़ता है.
कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर भी बिल के समर्थन में खूब जोश भरी बातें कहते नजर आए. रामलाल ठाकुर ने तो यहां तक कहा कि विधायकों को मुख्य सचिव के एक रुपए प्रतीकात्मक रूप से अधिक वेतन मिलना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि बिल के नाम को बदला जाए. इस नाम ने विधायकों को बदनाम किया है. बिल का नाम वेतन-भत्तों में संशोधन से जुड़ा है, लिहाजा मीडिया के जरिए जनता में संदेश जाता है कि विधायकों का वेतन बढ़ रहा है. इसे बिहार की तर्ज पर कर दो. उन्होंने कहा कि कई विधायक तो इस सुविधा को अवेल ही नहीं करते. रामलाल ठाकुर ने बिल के समर्थन के साथ ही ये भी कहा कि विधायकों का वेतन मुख्य सचिव से एक रुपए अधिक होना चाहिए. बाद में बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. बिल के प्रावधानों के अनुसार विधायकों से लेकर मंत्रियों व अन्य सभी माननीयों को अब सालाना चार लाख रुपए निशुल्क यात्रा भत्ता मिलेगा. इस सुविधा में विधायक के परिवार के साथ उनके अटैंडेंट को भी शामिल किया गया है. रेल, विमान के साथ टैक्सी से भी यात्रा खर्च की अधिकतम सीमा चार लाख होगी. टैक्सी का बिल चालीस हजार रुपए तक लिया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें: माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी से गुस्साए समाजिक कार्यकर्ता, अनोखे अंदाज में जताया विरोध

शिमलाः हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन माननीयों के लिए चार लाख सालाना निशुल्क यात्रा भत्ते का बिल पारित हो गया. अमूमन सदन के भीतर सत्ता पक्ष का विरोध करने वाली कांग्रेस ने भी बिल के समर्थन में खूब उत्साह दिखाया. सदन में विरोध की अकेली आवाज माकपा नेता राकेश सिंघा की थी. उन्होंने बिल का विरोध किया और इसे वापिस लेने की मांग की, लेकिन कांग्रेस के विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू और रामलाल ठाकुर ने बिल के पक्ष में जोरदार दलीलें दीं.
रामलाल ठाकुर ने तो यहां तक कहा कि विधायकों का स्टेट्स राज्य के मुख्य सचिव के बराबर है, लिहाजा उन्हें मुख्य सचिव से एक रुपए अधिक वेतन मिलना चाहिए. मुख्य सचिव का वेतन ढाई लाख रुपए मासिक है. विधायकों को वेतन व भत्तों सहित 2.10 लाख रुपए मासिक मिलते हैं. कांग्रेस की तरफ से हर्षवर्धन चौहान, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, रामलाल ठाकुर ने बिल के समर्थन में अपने तर्क रखे. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि आम आदमी पार्टी का उदय इन्हीं मुद्दों पर हुआ था. अब दिल्ली में दो विधानसभा क्षेत्रों पर एमएएल के लिए एक रिसर्चर की नियुक्ति है, जिसे एक लाख रुपए वेतन दिया जाता है. दिल्ली में विधायकों को तीन लाख रुपए मासिक वेतन-भत्ते के रूप में मिलते हैं.
सदन में प्रश्नकाल के बाद करीब 12 बजकर 7 मिनट पर बिल को पारित करने के लिए लाया गया. राकेश सिंघा ने चर्चा के दौरान कहा कि बेशक सालाना 1.99 करोड़ का अतिरिक्त बोझ एक बड़ी रकम नहीं है, लेकिन इससे समाज में संकेत क्या जाएगा? अर्थव्यवस्था खराब दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा- व्हाट वी प्रीच, वी शुड प्रैक्टिस दैट. उन्होंने कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, विधायकों, मंत्रियों आदि के प्रति विनम्रतापूर्वक क्षमा याचना सहित कहता हूं कि कृपया इस बिल को पारित न करें.
कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जोरदार तरीके से बिल का समर्थन किया. उन्होंने साफ कहा कि विधायकों की सुविधा में और विस्तार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बड़ा संघर्ष करने के बाद विधायक बनते हैं. हिमाचल निर्माता यशवंत सिंह परमार ने 48 साल पहले सोचा था कि विधायकों को पेंशन भी मिलनी चाहिए, जब उन्होंने एक पूर्व विधायक को सड़क किनारे रोड़ी कूटते देखा था. विधायकों को इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि उन्हें कितना वेतन व भत्ते मिलते हैं. सुक्खू ने तो यहां तक कहा कि ये बिल नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली बात दर्शाता है. समय-समय पर वेतन-भत्तों में इजाफा भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि चार लाख सालाना यात्रा भत्ता विधायकों को तब मिलेगा, जब वे इसे क्लेम करना चाहें. सुक्खू ने कहा कि उन्होंने खुद विधानसभा की सुख-सुविधा कमेटी में जाकर पता किया तो जानकारी मिली की नब्बे फीसदी विधायक तो इस सुविधा को अवेल ही नहीं करते. उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर 2.50 लाख रुपए मासिक वेतन लेता है. विधायक प्रोटोकॉल में मुख्य सचिव के बराबर होता है. वास्तविकता से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए. जब कोई विधायक पूर्व हो जाता है तो उसकी दशा खराब हो जाती है. कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन ने कहा कि इसमें चर्चा की जरूरत नहीं, भत्ता बढऩा चाहिए. जिसकी सेलेरी अच्छी नहीं है, वो ईमानदारी से काम कैसे चलाएगा. सरकारी कर्मियों का वेतन हर साल बढ़ता है.
कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर भी बिल के समर्थन में खूब जोश भरी बातें कहते नजर आए. रामलाल ठाकुर ने तो यहां तक कहा कि विधायकों को मुख्य सचिव के एक रुपए प्रतीकात्मक रूप से अधिक वेतन मिलना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि बिल के नाम को बदला जाए. इस नाम ने विधायकों को बदनाम किया है. बिल का नाम वेतन-भत्तों में संशोधन से जुड़ा है, लिहाजा मीडिया के जरिए जनता में संदेश जाता है कि विधायकों का वेतन बढ़ रहा है. इसे बिहार की तर्ज पर कर दो. उन्होंने कहा कि कई विधायक तो इस सुविधा को अवेल ही नहीं करते. रामलाल ठाकुर ने बिल के समर्थन के साथ ही ये भी कहा कि विधायकों का वेतन मुख्य सचिव से एक रुपए अधिक होना चाहिए. बाद में बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. बिल के प्रावधानों के अनुसार विधायकों से लेकर मंत्रियों व अन्य सभी माननीयों को अब सालाना चार लाख रुपए निशुल्क यात्रा भत्ता मिलेगा. इस सुविधा में विधायक के परिवार के साथ उनके अटैंडेंट को भी शामिल किया गया है. रेल, विमान के साथ टैक्सी से भी यात्रा खर्च की अधिकतम सीमा चार लाख होगी. टैक्सी का बिल चालीस हजार रुपए तक लिया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें: माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी से गुस्साए समाजिक कार्यकर्ता, अनोखे अंदाज में जताया विरोध

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Last Updated : Aug 31, 2019, 10:44 PM IST
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