शिमला: हिमाचल की राजनीति में आने वाले समय में अहम घटनाएं हो सकती हैं. बजट सत्र के पहले दिन ही जिस तरह से हंगामा हुआ और राज्यपाल के साथ अभद्र व्यवहार हुआ, उससे एक साथ कई राजनीतिक हलचलें होंगी. राज्यपाल के साथ दुर्व्यवहार के बाद कांग्रेस के पांच सदस्यों का निलंबन किया गया है और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है.
अब नई परिस्थितियों में देखना ये होगा कि क्या जयराम सरकार मुकेश अग्निहोत्री से नेता प्रतिपक्ष का पद वापिस लेगी. वजह ये भी है कि सदस्य संख्या के हिसाब से कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं मिल सकता. नेता प्रतिपक्ष के लिए विपक्ष के पास हिमाचल विधानसभा में 23 सीटें होनी चाहिए.
सुजान सिंह पठानिया के निधन से एक सीट और कम हो गई
कांग्रेस के 21 विधायक हैं और हाल ही में सुजान सिंह पठानिया के निधन से एक सीट और कम हो गई है. नियमों और सदस्य संख्या के हिसाब से तो कांग्रेस को ये पद नहीं मिल सकता, लेकिन जयराम सरकार ने मुकेश अग्निहोत्री को ये दर्जा दिया.
सरकार हुई नाराज
मुकेश को विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने विधायक दल का नेता चुना था. बाद में सरकार ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे दिया था. अब परिस्थितियां बदली हैं. जिस तरह से कांग्रेस के सदस्यों ने मुकेश अग्निहोत्री की अगुवाई में राज्यपाल का विरोध किया और अभद्रता की उससे सरकार नाराज है.
विधानसभा अध्यक्ष ये संकेत दे चुके हैं
सीएम जयराम ठाकुर ने भी सदन में विपक्ष पर कड़ी टिप्पणियां की. सीएम सदन में गुस्से में दिखे थे. उसके बाद से ही क्यास लगाया जा रहा है कि क्या मुकेश अग्निहोत्री से नेता प्रतिपक्ष का पद वापिस लिया जाएगा. अटकलें तो यही चल रही हैं, लेकिन सारी स्थितियां सोमवार को ही स्पष्ट होंगी. विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ये संकेत दे चुके हैं कि ये मामला गंभीर है और सरकार को इस बारे में फैसला करना है.
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