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सेंट्रल डेपुटेशन की तैयारी में सीएम सुखविंदर सिंह के प्रधान सचिव, नौकरशाहों की कमी से परेशान सरकार कैसे करेगी व्यवस्था परिवर्तन ?

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान सचिव भरत खेड़ा सेंट्रल डेपुटेशन की तैयारी में हैं. इनके अलावा कई अधिकारी सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने की तैयारी में हैं, जिससे हिमाचल में नौकरशाहों की कमी हो जाएगी. ऐसे में सुक्खू सरकार कैसे व्यवस्था परिवर्तन करेगी, ये बड़ा सवाल है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 25, 2023, 8:09 PM IST

शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश नौकरशाहों की कमी के तौर पर बड़ी परेशानी झेल रहा है. सरकार किसी की भी हो, यहां से अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने को लालायित रहते हैं. अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान सचिव और सीनियर आईएएस अधिकारी भरत खेड़ा सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा एक और नौकरशाह ऋगवेद ठाकुर भी केंद्र में जाने वाले हैं. आलम ये है कि हिमाचल सरकार में सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने वाले अफसरों की होड़ के अलावा एक दिक्कत हर साल सेवानिवृत होते आईएएस अधिकारियों के रूप में भी है. चार सीनियर आईएएस इस साल रिटायर हुए तो तीन अधिकारी आने वाले समय में रिटायर होने वाले हैं.

हिमाचल में आईएएस का कुल कैडर 151 अफसरों का सेंक्शन है. इसमें से 113 अधिकारी ही राज्य में सेवाएं दे रहे हैं. अब दो अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले जाएंगे तो यह संख्या 111 रह जाएगी. फिर मार्च 2024 तक तीन अधिकारियों के रिटायर हो जाने पर ये संख्या 108 ही रह जाएगी. इसका नुकसान ये होता है कि एक अफसर को एक साथ अनेक विभाग देखने पड़ते हैं. इससे कामकाज पर असर पड़ता है. मौजूदा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार का नारा व्यवस्था परिवर्तन का है, लेकिन नौकरशाहों की कमी के कारण इस व्यवस्था परिवर्तन की राह में रोड़े आ रहे हैं.

भरत खेड़ा इसी साल यानी 2023 की शुरुआत में सीएम के प्रधान सचिव बनाए गए थे. उनके पास कई अन्य महत्वपूर्ण विभाग भी हैं. वे 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उनसे पहले आईएएस अधिकारी शुभाषीश पांडा सीएम के प्रधान सचिव थे. वे भी सेंट्रल डेपुटेशन पर चले गए थे. वहीं, डॉ. रजनीश भी सेंट्रल डेपुटेशन पर गए थे तो, उनके स्थान पर 1998 बैच के आईएएस देवेश कुमार को कार्यभार दिया गया था. इसके अलावा यंग आईएएस ऑफिसर देबाश्वेता बनिक भी डॉ. रजनीश, शुभाषीष पांडा के साथ ही सेंट्रल डेपुटेशन पर गई हैं. पूर्व जयराम सरकार के समय भरत खेड़ा के पास गृह विभाग जैसा अहम महकमा था. मजेदार बात ये थी कि दो साल पूर्व भी भरत खेड़ा सेंट्रल डेपुटेशन पर थे और वहां से हिमाचल लौटे थे. अब दो साल बाद वे फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी में हैं.

आईएएस ही नहीं, आईपीएस भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर: हिमाचल में केवल आईएएस अधिकारी ही नहीं, बल्कि आईपीएस अफसर भी सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं. इनमें सबसे प्रमुख नाम तपन डेका का है। वर्ष 1998 बैच के हिमाचल कैडर के आईपीएस अफसर तपन डेका इस समय आईबी प्रमुख हैं. उनके अलावा 1990 बैच के अफसर एसबी नेगी केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय में एडिशनन सेक्रेटरी हैं. वर्ष 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी डॉ. अतुल वर्मा डीजी कम्पीटिशन कमीशन के पद पर हैं. डॉ. अतुल मई 2020 तक हिमाचल में ही सेवारत थे और बाद में डेपुटेशन पर गए. इसी तरह वर्ष 1993 बैच के अनुराग गर्ग, अशोक तिवारी, रित्विक रुद्र भी सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं. कुल मिलाकर हिमाचल के इस समय 19 आईपीएस अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं. इनमें तपन डेका के अलावा एसआर ओझा, एसबी नेगी, डा. अतुल वर्मा, अनुराग गर्ग, अशोक तिवारी, रित्विक रुद्र, राकेश अग्रवाल, एन वेणुगोपाल, अजय कुमार यादव, ज्ञानेश्वर सिंह, डा. अतुल डी. फुलझेले, आसिफ जलाल, सोनल मोहन अग्निहोत्री, अशोक कुमार, अभिषेक दुल्लर, रानी बिंदु, वीना भारती व अनुपम शर्मा का नाम शामिल है.

हिमाचल के बड़े अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर: हिमाचल सरकार में कई बड़े अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर जाते रहे हैं. इनमें से अधिकांश मुख्य सचिव भी रहे हैं. सीनियर मोस्ट ऑफिसर्स जो सेंट्रल डेपुटेशन पर रहे हैं, उनमें पूर्व मुख्य सचिव विनीत चौधरी, बीके अग्रवाल, अजय मित्तल, उपमा चौधरी, तरुण श्रीधर, अरविंद मेहता आदि का नाम प्रमुख है. इनमें से विनीत चौधरी, बीके अग्रवाल राज्य सरकार के मुख्य सचिव रहे हैं.

अफसर एक, विभाग अनेक: हिमाचल सरकार में आईएएस अफसरों की कमी के कारण एक अफसर के पास अनेक विभाग होते हैं. इस कारण कामकाज प्रभावित होता है. मौजूदा समय में प्रधान सचिव रैंक के अफसर ओंकार शर्मा के पास जलशक्ति, राजस्व और जनजातीय विभाग हैं. इसी तरह भरत खेड़ा के पास सीएम के प्रधान सचिव के अलावा आबकारी व कराधान, जीएडी, आईपीआर, गैर परंपरागत उर्जा स्रोत, लोक निर्माण विभाग, सचिवालय प्रशासन आदि विभाग हैं. आरडी नजीम के पास खाद्य व नागरिक आपूर्ति, उद्योग व परिवहन विभाग हैं. मनीष गर्ग इस समय प्रधान सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं. उनके पास निर्वाचन विभाग है. देवेश कुमार के पास आर्थिकी व सांख्यिकी, वित्त, हाउसिंग, पर्यटन, टीसीपी, अर्बन डवलपमेंट जैसे विभाग हैं. जाहिर है, एक से अधिक विभाग होने के कारण काम का बोझ भी अधिक पड़ता है. इसी तरह से सचिव रैंक के अफसरों के पास भी एक से अधिक विभाग हैं.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा के अनुसार अफसर कई कारणों से सेंट्रल डेपुटेशन पर जाते हैं. उनमें पारिवारिक कारण, आवश्यक केंद्रीय सेवा की शर्त व अन्य निजी कारण होते हैं. वे सेंट्रल डेपुटेशन के लिए आवेदन करते हैं और राज्य सरकार को उन्हें रिलीव करना पड़ता है. कई बार केंद्र सरकार अपने स्तर पर भी कुछ अफसरों को बुलाती है. हिमाचल से अजय मित्तल, तरुण श्रीधर, बीके अग्रवाल, अशोक ठाकुर आदि कई अफसर ऐसे हैं, जिनके कामकाज से प्रभावित होकर केंद्र सरकार उन्हें डेपुटेशन पर बुलाती रही है. वहीं, पूर्व आईएएस अधिकारी केआर भारती का मानना है कि सेंट्रल डेपुटेशन भी एक आईएएस अधिकारी के सेवाकाल का अहम हिस्सा होता है. हिमाचल में सरकार कोई भी हो, आईएएस अफसरों की कमी एक प्रमुख मुद्दा रहता ही आया है.

ये भी पढ़ें: नगर निगम चुनाव में विधायकों को वोटिंग राइट देने का विरोध, सरकार के फैसले के खिलाफ बीजेपी जाएगी कोर्ट

शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश नौकरशाहों की कमी के तौर पर बड़ी परेशानी झेल रहा है. सरकार किसी की भी हो, यहां से अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने को लालायित रहते हैं. अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान सचिव और सीनियर आईएएस अधिकारी भरत खेड़ा सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा एक और नौकरशाह ऋगवेद ठाकुर भी केंद्र में जाने वाले हैं. आलम ये है कि हिमाचल सरकार में सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने वाले अफसरों की होड़ के अलावा एक दिक्कत हर साल सेवानिवृत होते आईएएस अधिकारियों के रूप में भी है. चार सीनियर आईएएस इस साल रिटायर हुए तो तीन अधिकारी आने वाले समय में रिटायर होने वाले हैं.

हिमाचल में आईएएस का कुल कैडर 151 अफसरों का सेंक्शन है. इसमें से 113 अधिकारी ही राज्य में सेवाएं दे रहे हैं. अब दो अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले जाएंगे तो यह संख्या 111 रह जाएगी. फिर मार्च 2024 तक तीन अधिकारियों के रिटायर हो जाने पर ये संख्या 108 ही रह जाएगी. इसका नुकसान ये होता है कि एक अफसर को एक साथ अनेक विभाग देखने पड़ते हैं. इससे कामकाज पर असर पड़ता है. मौजूदा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार का नारा व्यवस्था परिवर्तन का है, लेकिन नौकरशाहों की कमी के कारण इस व्यवस्था परिवर्तन की राह में रोड़े आ रहे हैं.

भरत खेड़ा इसी साल यानी 2023 की शुरुआत में सीएम के प्रधान सचिव बनाए गए थे. उनके पास कई अन्य महत्वपूर्ण विभाग भी हैं. वे 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उनसे पहले आईएएस अधिकारी शुभाषीश पांडा सीएम के प्रधान सचिव थे. वे भी सेंट्रल डेपुटेशन पर चले गए थे. वहीं, डॉ. रजनीश भी सेंट्रल डेपुटेशन पर गए थे तो, उनके स्थान पर 1998 बैच के आईएएस देवेश कुमार को कार्यभार दिया गया था. इसके अलावा यंग आईएएस ऑफिसर देबाश्वेता बनिक भी डॉ. रजनीश, शुभाषीष पांडा के साथ ही सेंट्रल डेपुटेशन पर गई हैं. पूर्व जयराम सरकार के समय भरत खेड़ा के पास गृह विभाग जैसा अहम महकमा था. मजेदार बात ये थी कि दो साल पूर्व भी भरत खेड़ा सेंट्रल डेपुटेशन पर थे और वहां से हिमाचल लौटे थे. अब दो साल बाद वे फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी में हैं.

आईएएस ही नहीं, आईपीएस भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर: हिमाचल में केवल आईएएस अधिकारी ही नहीं, बल्कि आईपीएस अफसर भी सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं. इनमें सबसे प्रमुख नाम तपन डेका का है। वर्ष 1998 बैच के हिमाचल कैडर के आईपीएस अफसर तपन डेका इस समय आईबी प्रमुख हैं. उनके अलावा 1990 बैच के अफसर एसबी नेगी केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय में एडिशनन सेक्रेटरी हैं. वर्ष 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी डॉ. अतुल वर्मा डीजी कम्पीटिशन कमीशन के पद पर हैं. डॉ. अतुल मई 2020 तक हिमाचल में ही सेवारत थे और बाद में डेपुटेशन पर गए. इसी तरह वर्ष 1993 बैच के अनुराग गर्ग, अशोक तिवारी, रित्विक रुद्र भी सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं. कुल मिलाकर हिमाचल के इस समय 19 आईपीएस अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं. इनमें तपन डेका के अलावा एसआर ओझा, एसबी नेगी, डा. अतुल वर्मा, अनुराग गर्ग, अशोक तिवारी, रित्विक रुद्र, राकेश अग्रवाल, एन वेणुगोपाल, अजय कुमार यादव, ज्ञानेश्वर सिंह, डा. अतुल डी. फुलझेले, आसिफ जलाल, सोनल मोहन अग्निहोत्री, अशोक कुमार, अभिषेक दुल्लर, रानी बिंदु, वीना भारती व अनुपम शर्मा का नाम शामिल है.

हिमाचल के बड़े अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर: हिमाचल सरकार में कई बड़े अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर जाते रहे हैं. इनमें से अधिकांश मुख्य सचिव भी रहे हैं. सीनियर मोस्ट ऑफिसर्स जो सेंट्रल डेपुटेशन पर रहे हैं, उनमें पूर्व मुख्य सचिव विनीत चौधरी, बीके अग्रवाल, अजय मित्तल, उपमा चौधरी, तरुण श्रीधर, अरविंद मेहता आदि का नाम प्रमुख है. इनमें से विनीत चौधरी, बीके अग्रवाल राज्य सरकार के मुख्य सचिव रहे हैं.

अफसर एक, विभाग अनेक: हिमाचल सरकार में आईएएस अफसरों की कमी के कारण एक अफसर के पास अनेक विभाग होते हैं. इस कारण कामकाज प्रभावित होता है. मौजूदा समय में प्रधान सचिव रैंक के अफसर ओंकार शर्मा के पास जलशक्ति, राजस्व और जनजातीय विभाग हैं. इसी तरह भरत खेड़ा के पास सीएम के प्रधान सचिव के अलावा आबकारी व कराधान, जीएडी, आईपीआर, गैर परंपरागत उर्जा स्रोत, लोक निर्माण विभाग, सचिवालय प्रशासन आदि विभाग हैं. आरडी नजीम के पास खाद्य व नागरिक आपूर्ति, उद्योग व परिवहन विभाग हैं. मनीष गर्ग इस समय प्रधान सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं. उनके पास निर्वाचन विभाग है. देवेश कुमार के पास आर्थिकी व सांख्यिकी, वित्त, हाउसिंग, पर्यटन, टीसीपी, अर्बन डवलपमेंट जैसे विभाग हैं. जाहिर है, एक से अधिक विभाग होने के कारण काम का बोझ भी अधिक पड़ता है. इसी तरह से सचिव रैंक के अफसरों के पास भी एक से अधिक विभाग हैं.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा के अनुसार अफसर कई कारणों से सेंट्रल डेपुटेशन पर जाते हैं. उनमें पारिवारिक कारण, आवश्यक केंद्रीय सेवा की शर्त व अन्य निजी कारण होते हैं. वे सेंट्रल डेपुटेशन के लिए आवेदन करते हैं और राज्य सरकार को उन्हें रिलीव करना पड़ता है. कई बार केंद्र सरकार अपने स्तर पर भी कुछ अफसरों को बुलाती है. हिमाचल से अजय मित्तल, तरुण श्रीधर, बीके अग्रवाल, अशोक ठाकुर आदि कई अफसर ऐसे हैं, जिनके कामकाज से प्रभावित होकर केंद्र सरकार उन्हें डेपुटेशन पर बुलाती रही है. वहीं, पूर्व आईएएस अधिकारी केआर भारती का मानना है कि सेंट्रल डेपुटेशन भी एक आईएएस अधिकारी के सेवाकाल का अहम हिस्सा होता है. हिमाचल में सरकार कोई भी हो, आईएएस अफसरों की कमी एक प्रमुख मुद्दा रहता ही आया है.

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