ETV Bharat / state

सत्ता संभालते ही CM सुखविंदर सिंह के लिए सिरदर्द बनकर आया था सीमेंट विवाद, दो माह की कसरत के बाद ऐसे सुलझा मामला - Cement controversy in Himachal

हिमाचल में सीमेंट विवाद सुलझाने के पीछे प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का अहम योगदान है. सूत्रों के अनुसार उन्होंने अडानी प्रबंधन के उपरी स्तर पर बातचीत की. कहा जा रहा है कि समूह के मालिक गौतम अडानी से भी फोन पर चर्चा हुई और परिणाम स्वरूप 68 दिन तक चला सीमेंट विवाद सुलझ गया.

हिमाचल में सीमेंट विवाद
हिमाचल में सीमेंट विवाद
author img

By

Published : Feb 23, 2023, 3:49 PM IST

शिमला: हिमाचल में दिसंबर 2022 में सत्ता परिवर्तन हुआ और राज्य की बागडोर कांग्रेस के हाथ आई. इधर सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम बनते ही हिमाचल में अडानी समूह ने अपने दोनों सीमेंट प्लांट में प्रोडक्शन बंद कर दिया और कारखानों में तालाबंदी कर दी. विवाद माल ढुलाई की दरों को लेकर था. दो महीने से अधिक चले विवाद का आखिरकार पटाक्षेप हो गया. इस दौरान कई प्रयास पर्दे के आगे तो कुछ पर्दे के पीछे चले.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले में धैर्य का परिचय लेते हुए सरकार के मुखिया के तौर पर कोई भी बयान ऐसा नहीं दिया, जो आग में घी का काम करता. बताया जा रहा है कि पर्दे के पीछे की कसरत में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गौतम अडानी से भी फोन पर चर्चा की. सीएम का मानना था कि ये विवाद न तो राज्य के हित में है और न ही किसी कारोबारी समूह के. अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद शेयर मार्किट में मुश्किलें झेल रहा था.

अडानी समूह के शेयर डाउन चल रहे हैं. ऐसे में यदि हिमाचल में भी सीमेंट प्लांट्स न चलाने को लेकर अडानी समूह अड़ जाता तो स्थितियां और भी खराब हो जाती. इससे उद्योग जगत में गलत संकेत जाता. वहीं, हिमाचल सरकार के लिए भी ये मसला सुलझाना जरूरी था. यदि उद्योग जगत को ये संकेत जाता कि हिमाचल में सिस्टम अडियल है तो निवेश प्रभावित होता. यही कारण है कि सुखविंदर सिंह सरकार ने भी संयम बरता और अडानी समूह ने भी समझदारी दिखाई.

अडानी से फोन पर हुई थी CM सुक्खू की बात: बताया जा रहा है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कंपनी प्रबंधन में उपरी स्तर पर भी सरकार की मंशा को स्पष्ट किया था. सीएम सुखविंदर सिंह मीडिया और सीमेंट उद्योग से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत में कह चुके थे कि सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए गंभीर है और किसी भी कीमत पर ट्रक ऑपरेटर्स के हितों को सुरक्षित रखा जाएगा. सीएम सुखविंदर सिंह ने प्रयास करके ऐसा रास्ता निकाला कि ढुलाई दरों को लेकर ट्रक ऑपरेटर्स भी संतुष्ट हो गए और अडानी समूह ने भी छह से सात रुपए माल भाड़े की जिद को छोड़ दिया.

जब सरकार ने अडानी ग्रुप पर की थी सख्ती: बताया जा रहा है कि सीएम सुखविंदर सिंह ने खुद पहल करते हुए गौतम अडानी से भी संपर्क किया, जिसका परिणाम विवाद हल होने के रूप में निकला. एक समय ऐसा भी आया था, जब हिमाचल सरकार ने अडानी समूह पर सख्ती का फैसला कर लिया था. तब दाड़लाघाट सीमेंट प्लांट में एक टीम ने लीज एरिया आदि के कागजात खंगाले थे. यही नहीं, अडानी समूह के एक अन्य कारोबार को लेकर परवाणू के गोदाम में छापा मारा गया था. यहां से फार्च्यून ब्रांड से रिफाइंड ऑयल आदि की सप्लाई होती थी. फिर ये भी सुनने में आया कि हिमाचल सरकार सीमेंट प्लांट की लीज डीड को लेकर सख्त फैसला ले सकती है.

लगातार सरकार पर हमलावर था विपक्ष: उधर, विपक्षी दल भाजपा भी सरकार पर हमलावर थी. भाजपा के अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने तो यहां तक कहा था कि यदि कांग्रेस सरकार विवाद को हल नहीं कर पा रही है तो भाजपा दो दिन में मामला सुलझा सकती है. इसी प्रकार ट्रक ऑपरेटर्स का धैर्य भी चुक रहा था. उद्योग विभाग के मंत्री हर्षवर्धन चौहान भी अपने स्तर पर प्रयास कर रहे थे. सोलन व बिलासपुर के डीसी भी जुटे हुए थे. बैठकों के कई दौर हुए, लेकिन नतीजा नहीं निकल रहा था. फिर सीएम सुखविंदर सिंह ने पूरी तरह से कमान अपने हाथ में ली.

CM सुक्खू के कॉल ले सुलझा मामल: सूत्रों के अनुसार उन्होंने अडानी प्रबंधन के उपरी स्तर पर बातचीत की. कहा जा रहा है कि समूह के मालिक गौतम अडानी से भी फोन पर चर्चा हुई और परिणाम स्वरूप 68 दिन तक चला सीमेंट विवाद सुलझ गया. हिमाचल में सात हजार से अधिक ट्रक ऑपरेटर की रोजी-रोटी सीमेंट प्लांट में क्लिंकर आदि की ढुलाई से चलती है. जिन लोगों ने किश्तों पर ट्रक खरीद कर रोजगार शुरू किया था, उन्हें दो माह से प्लांट बंद होने से बैंक लोन की किश्त चुकानी मुश्किल हो रही थी. वहीं, राज्य में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए भी सीमेंट की उपलब्धता कम हो रही थी. केवल आदित्य बिरला समूह का अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट चल रहा था.

दोनों पक्षों में हुआ समझौता: कांग्रेस की सरकार के सत्ता में आने के बाद 16 दिसंबर 2022 को अडानी समूह ने सीमेंट प्लांट बंद कर दिए थे. तब माल ढुलाई दर 10 रुपये 58 पैसे थी. अडानी समूह चाहता था कि ये दर 6 रुपये 50 पैसे हो. खैर, 20 फरवरी को विवाद सुलझ गया. अब सिंगल एक्सेल ट्रक के लिए 10 रुपए की ढुलाई दर तय हुई है. मल्टी एक्सेल ट्रक की दर नौ रुपए तीस पैसे रखी गई है. अब सभी पक्षों के बीच ये तय हुआ है कि ढुलाई दरों में सालाना बढ़ोतरी से संबंधित मामले उद्योग विभाग के प्रधान सचिव देखेंगे. इसके लिए फार्मूला तय किया जाएगा और सभी पक्षों की उसमें सहमति ली जाएगी.

हिमाचल में ढाई दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय वरिष्ठ मीडिया कर्मी डॉ. संजीव शर्मा के अनुसार सीएम सुखविंदर सिंह की पहल से ही ये विवाद सुलझा है. उन्होंने अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी से संपर्क किया और सभी मसलों पर हिमाचल सरकार की राय से अवगत करवाया. संवाद से ही समस्याओं का समाधान संभव है, ये सीएम सुखविंदर सिंह भली-भांति जानते हैं. फिलहाल,सीमेंट विवाद तो सुलझ गया है कि लेकिन एक सवाल अभी भी अनसुलझा है. सुखविंदर सिंह सरकार ने वादा किया है कि हिमाचल के निवासियों को सस्ता सीमेंट मिलेगा. क्या ये वादा पूरा होगा, ये देखना होगा.

ये भी पढ़ें: पांवटा-गुमा नेशनल हाईवे 707 पर भूस्खलन: कई गावों में बिजली गुल, लगी वाहनों की कतार

शिमला: हिमाचल में दिसंबर 2022 में सत्ता परिवर्तन हुआ और राज्य की बागडोर कांग्रेस के हाथ आई. इधर सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम बनते ही हिमाचल में अडानी समूह ने अपने दोनों सीमेंट प्लांट में प्रोडक्शन बंद कर दिया और कारखानों में तालाबंदी कर दी. विवाद माल ढुलाई की दरों को लेकर था. दो महीने से अधिक चले विवाद का आखिरकार पटाक्षेप हो गया. इस दौरान कई प्रयास पर्दे के आगे तो कुछ पर्दे के पीछे चले.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले में धैर्य का परिचय लेते हुए सरकार के मुखिया के तौर पर कोई भी बयान ऐसा नहीं दिया, जो आग में घी का काम करता. बताया जा रहा है कि पर्दे के पीछे की कसरत में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गौतम अडानी से भी फोन पर चर्चा की. सीएम का मानना था कि ये विवाद न तो राज्य के हित में है और न ही किसी कारोबारी समूह के. अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद शेयर मार्किट में मुश्किलें झेल रहा था.

अडानी समूह के शेयर डाउन चल रहे हैं. ऐसे में यदि हिमाचल में भी सीमेंट प्लांट्स न चलाने को लेकर अडानी समूह अड़ जाता तो स्थितियां और भी खराब हो जाती. इससे उद्योग जगत में गलत संकेत जाता. वहीं, हिमाचल सरकार के लिए भी ये मसला सुलझाना जरूरी था. यदि उद्योग जगत को ये संकेत जाता कि हिमाचल में सिस्टम अडियल है तो निवेश प्रभावित होता. यही कारण है कि सुखविंदर सिंह सरकार ने भी संयम बरता और अडानी समूह ने भी समझदारी दिखाई.

अडानी से फोन पर हुई थी CM सुक्खू की बात: बताया जा रहा है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कंपनी प्रबंधन में उपरी स्तर पर भी सरकार की मंशा को स्पष्ट किया था. सीएम सुखविंदर सिंह मीडिया और सीमेंट उद्योग से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत में कह चुके थे कि सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए गंभीर है और किसी भी कीमत पर ट्रक ऑपरेटर्स के हितों को सुरक्षित रखा जाएगा. सीएम सुखविंदर सिंह ने प्रयास करके ऐसा रास्ता निकाला कि ढुलाई दरों को लेकर ट्रक ऑपरेटर्स भी संतुष्ट हो गए और अडानी समूह ने भी छह से सात रुपए माल भाड़े की जिद को छोड़ दिया.

जब सरकार ने अडानी ग्रुप पर की थी सख्ती: बताया जा रहा है कि सीएम सुखविंदर सिंह ने खुद पहल करते हुए गौतम अडानी से भी संपर्क किया, जिसका परिणाम विवाद हल होने के रूप में निकला. एक समय ऐसा भी आया था, जब हिमाचल सरकार ने अडानी समूह पर सख्ती का फैसला कर लिया था. तब दाड़लाघाट सीमेंट प्लांट में एक टीम ने लीज एरिया आदि के कागजात खंगाले थे. यही नहीं, अडानी समूह के एक अन्य कारोबार को लेकर परवाणू के गोदाम में छापा मारा गया था. यहां से फार्च्यून ब्रांड से रिफाइंड ऑयल आदि की सप्लाई होती थी. फिर ये भी सुनने में आया कि हिमाचल सरकार सीमेंट प्लांट की लीज डीड को लेकर सख्त फैसला ले सकती है.

लगातार सरकार पर हमलावर था विपक्ष: उधर, विपक्षी दल भाजपा भी सरकार पर हमलावर थी. भाजपा के अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने तो यहां तक कहा था कि यदि कांग्रेस सरकार विवाद को हल नहीं कर पा रही है तो भाजपा दो दिन में मामला सुलझा सकती है. इसी प्रकार ट्रक ऑपरेटर्स का धैर्य भी चुक रहा था. उद्योग विभाग के मंत्री हर्षवर्धन चौहान भी अपने स्तर पर प्रयास कर रहे थे. सोलन व बिलासपुर के डीसी भी जुटे हुए थे. बैठकों के कई दौर हुए, लेकिन नतीजा नहीं निकल रहा था. फिर सीएम सुखविंदर सिंह ने पूरी तरह से कमान अपने हाथ में ली.

CM सुक्खू के कॉल ले सुलझा मामल: सूत्रों के अनुसार उन्होंने अडानी प्रबंधन के उपरी स्तर पर बातचीत की. कहा जा रहा है कि समूह के मालिक गौतम अडानी से भी फोन पर चर्चा हुई और परिणाम स्वरूप 68 दिन तक चला सीमेंट विवाद सुलझ गया. हिमाचल में सात हजार से अधिक ट्रक ऑपरेटर की रोजी-रोटी सीमेंट प्लांट में क्लिंकर आदि की ढुलाई से चलती है. जिन लोगों ने किश्तों पर ट्रक खरीद कर रोजगार शुरू किया था, उन्हें दो माह से प्लांट बंद होने से बैंक लोन की किश्त चुकानी मुश्किल हो रही थी. वहीं, राज्य में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए भी सीमेंट की उपलब्धता कम हो रही थी. केवल आदित्य बिरला समूह का अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट चल रहा था.

दोनों पक्षों में हुआ समझौता: कांग्रेस की सरकार के सत्ता में आने के बाद 16 दिसंबर 2022 को अडानी समूह ने सीमेंट प्लांट बंद कर दिए थे. तब माल ढुलाई दर 10 रुपये 58 पैसे थी. अडानी समूह चाहता था कि ये दर 6 रुपये 50 पैसे हो. खैर, 20 फरवरी को विवाद सुलझ गया. अब सिंगल एक्सेल ट्रक के लिए 10 रुपए की ढुलाई दर तय हुई है. मल्टी एक्सेल ट्रक की दर नौ रुपए तीस पैसे रखी गई है. अब सभी पक्षों के बीच ये तय हुआ है कि ढुलाई दरों में सालाना बढ़ोतरी से संबंधित मामले उद्योग विभाग के प्रधान सचिव देखेंगे. इसके लिए फार्मूला तय किया जाएगा और सभी पक्षों की उसमें सहमति ली जाएगी.

हिमाचल में ढाई दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय वरिष्ठ मीडिया कर्मी डॉ. संजीव शर्मा के अनुसार सीएम सुखविंदर सिंह की पहल से ही ये विवाद सुलझा है. उन्होंने अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी से संपर्क किया और सभी मसलों पर हिमाचल सरकार की राय से अवगत करवाया. संवाद से ही समस्याओं का समाधान संभव है, ये सीएम सुखविंदर सिंह भली-भांति जानते हैं. फिलहाल,सीमेंट विवाद तो सुलझ गया है कि लेकिन एक सवाल अभी भी अनसुलझा है. सुखविंदर सिंह सरकार ने वादा किया है कि हिमाचल के निवासियों को सस्ता सीमेंट मिलेगा. क्या ये वादा पूरा होगा, ये देखना होगा.

ये भी पढ़ें: पांवटा-गुमा नेशनल हाईवे 707 पर भूस्खलन: कई गावों में बिजली गुल, लगी वाहनों की कतार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.