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सीएम सुक्खू ने 'मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष' के लिए दिया अपना पहला वेतन

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना पहला वेतन सरकार की ओर से गठित मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष में प्रदान किया है. सीएम ने नव वर्ष के पावन अवसर पर प्रदेश में सुखाश्रय कोष स्थापित करने की घोषणा की थी, जिससे इस कोष के माध्यम से प्राप्त राशि से जरूरतमंद बच्चों और निराश्रित महिलाओं को उच्च शिक्षा दी जा सके. कांग्रेस के अन्य विधायक भी इस कोष में एक-एक लाख रुपये की मदद देंगे. (Chief Minister Sukhvinder Singh Sukhu)

mukhyamantri sukhashray yojana
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).
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Published : Jan 2, 2023, 9:47 PM IST

शिमला: हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना पहला वेतन 'मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष' में दान किया है. बीते कल ही उन्होंने 101 करोड़ रुपए के इस कोष का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के सभी विधायक भी एक-एक लाख रुपए इस कोष में डालेंगे और BJP के विधायकों से भी यही अपील करेंगे. (Chief Minister Sukhvinder Singh Sukhu) (mukhyamantri sukhashray yojana)

मगर सीएम ने एक लाख के बजाय अपना पूरा वेतन 'मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष' में दान किया है. कोरोना काल में सुखविंदर सुक्खू और ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने अपनी सैलरी सबसे पहले कोविड फंड में देने का ऐलान किया था. इस बार सीएम ने सुखाश्रय कोष में पूरी सैलरी देकर सामाजिक सरोकार के दायित्व की दिशा में अच्छी पहल की है. इससे और लोग भी इस कोष में दान करने के लिए प्रेरित होंगे.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने अनाथ बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की मदद के मकसद से इस कोष की स्थापना की है. दावा किया जा रहा है कि इस कोष से न केवल बच्चों की पढ़ाई, बल्कि उनके घूमने-फिरने, जेब खर्च और नौकरी लगने तक सहायता की जाएगी. वहीं, सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि हमारी सरकार ही अनाथ बच्चों की माता है, सरकार ही पिता है. हम अपने बच्चों की तरह अनाथ बच्चों की देखभाल करेंगे. प्रदेश में लगभग 6 हजार बच्चे हैं, जिनके मां-बाप नहीं हैं. चाहे वे आश्रम में रह रहे हों या किसी रिश्तेदार के पास रह रहे हो. सभी की सहायता करेंगे. उन्होंने कहा कि यह योजना करुणा नहीं, बल्कि उनका अधिकार है.

101 करोड़ से स्थापित किया गया है कोष: हिमाचल सरकार ने अनाथ आश्रमों सहित अन्य संस्थानों में रह रहे निराश्रित बच्चों के लिए 101 करोड़ रुपए के मुख्यमंत्री सुख आश्रय फंड की स्थापना की है. वे बच्चे जो 12वीं के बाद आगे पढ़ना चाहते हैं, या जो किसी भी संस्थान में जाते हैं. फिर चाहे मेडिकल कॉलेज हो या पेरा मेडिकल संस्थान हो या कोई इंजीनियरिंग संस्थान में पढ़ना चाहते हो या किसी भी कोर्स को करना चाहते हों. सरकार उनका पूरा खर्च उठाएगी. सरकार उनको एक बेटे ओर बेटी के तौर पर सुविधा देगी. सरकार उनको 4 हजार रुपए हर महीना खर्च भी देगी. इसी तरह एकल नारियां और आश्रमों में रहने वाले लोगों को भी सरकार यह सहायता देगी.

लाभार्थी को किसी आय प्रमाण पत्र देने की नहीं रहेगी जरूरत: इस कोष से सहायता प्राप्त करना सरकारी बंधनों से मुक्त होगा और इनसे कोई आय प्रमाण-पत्र भी नहीं लिया जाएगा. साधारण आवेदन पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संपूर्ण सहायता त्वरित रूप से सीधे लाभार्थी के खाते में दी जाएगी. इसलिए सरकार, कंपनियों से आदि से सीएसआर के अंतर्गत आर्थिक सहायता लेगी.

कांग्रेस विधायक भी इसके लिए एक एक लाख अपनी पहली सैलरी से देंगी. इसकी पहल खुद मुख्यमंत्री ने फंड में अपना पहला वेतन देकर कर दी है. विभिन्न बाल आश्रमों रह रहे बच्चों, संस्थागत देखभाल, फॉस्टर केयर के अंतर्गत लाभान्वित हो रहे सभी बच्चे, नारी सेवा सदन, शक्ति सदन में रह रही निराश्रित महिलाएं और वृद्धाश्रमों में रह रहे आवासी को इस योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा. कोई अन्य अनाथ बच्चा जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा चिन्हित किया जाता है तो उसे भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा.

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शिमला: हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना पहला वेतन 'मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष' में दान किया है. बीते कल ही उन्होंने 101 करोड़ रुपए के इस कोष का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के सभी विधायक भी एक-एक लाख रुपए इस कोष में डालेंगे और BJP के विधायकों से भी यही अपील करेंगे. (Chief Minister Sukhvinder Singh Sukhu) (mukhyamantri sukhashray yojana)

मगर सीएम ने एक लाख के बजाय अपना पूरा वेतन 'मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष' में दान किया है. कोरोना काल में सुखविंदर सुक्खू और ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने अपनी सैलरी सबसे पहले कोविड फंड में देने का ऐलान किया था. इस बार सीएम ने सुखाश्रय कोष में पूरी सैलरी देकर सामाजिक सरोकार के दायित्व की दिशा में अच्छी पहल की है. इससे और लोग भी इस कोष में दान करने के लिए प्रेरित होंगे.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने अनाथ बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की मदद के मकसद से इस कोष की स्थापना की है. दावा किया जा रहा है कि इस कोष से न केवल बच्चों की पढ़ाई, बल्कि उनके घूमने-फिरने, जेब खर्च और नौकरी लगने तक सहायता की जाएगी. वहीं, सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि हमारी सरकार ही अनाथ बच्चों की माता है, सरकार ही पिता है. हम अपने बच्चों की तरह अनाथ बच्चों की देखभाल करेंगे. प्रदेश में लगभग 6 हजार बच्चे हैं, जिनके मां-बाप नहीं हैं. चाहे वे आश्रम में रह रहे हों या किसी रिश्तेदार के पास रह रहे हो. सभी की सहायता करेंगे. उन्होंने कहा कि यह योजना करुणा नहीं, बल्कि उनका अधिकार है.

101 करोड़ से स्थापित किया गया है कोष: हिमाचल सरकार ने अनाथ आश्रमों सहित अन्य संस्थानों में रह रहे निराश्रित बच्चों के लिए 101 करोड़ रुपए के मुख्यमंत्री सुख आश्रय फंड की स्थापना की है. वे बच्चे जो 12वीं के बाद आगे पढ़ना चाहते हैं, या जो किसी भी संस्थान में जाते हैं. फिर चाहे मेडिकल कॉलेज हो या पेरा मेडिकल संस्थान हो या कोई इंजीनियरिंग संस्थान में पढ़ना चाहते हो या किसी भी कोर्स को करना चाहते हों. सरकार उनका पूरा खर्च उठाएगी. सरकार उनको एक बेटे ओर बेटी के तौर पर सुविधा देगी. सरकार उनको 4 हजार रुपए हर महीना खर्च भी देगी. इसी तरह एकल नारियां और आश्रमों में रहने वाले लोगों को भी सरकार यह सहायता देगी.

लाभार्थी को किसी आय प्रमाण पत्र देने की नहीं रहेगी जरूरत: इस कोष से सहायता प्राप्त करना सरकारी बंधनों से मुक्त होगा और इनसे कोई आय प्रमाण-पत्र भी नहीं लिया जाएगा. साधारण आवेदन पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संपूर्ण सहायता त्वरित रूप से सीधे लाभार्थी के खाते में दी जाएगी. इसलिए सरकार, कंपनियों से आदि से सीएसआर के अंतर्गत आर्थिक सहायता लेगी.

कांग्रेस विधायक भी इसके लिए एक एक लाख अपनी पहली सैलरी से देंगी. इसकी पहल खुद मुख्यमंत्री ने फंड में अपना पहला वेतन देकर कर दी है. विभिन्न बाल आश्रमों रह रहे बच्चों, संस्थागत देखभाल, फॉस्टर केयर के अंतर्गत लाभान्वित हो रहे सभी बच्चे, नारी सेवा सदन, शक्ति सदन में रह रही निराश्रित महिलाएं और वृद्धाश्रमों में रह रहे आवासी को इस योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा. कोई अन्य अनाथ बच्चा जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा चिन्हित किया जाता है तो उसे भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा.

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