शिमला: सुप्रीम कोर्ट द्वारा 605 परियोजनाओं को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिलने के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने देश की सर्वोच्च अदालत का आभार व्यक्त किया.
'हमने अपना पक्ष प्रमुखता से रखा'
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि हमने प्रदेश सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और फिर सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा. इसका परिणाम है कि सुप्रीम कोर्ट से प्रदेश को राहत मिली. मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल एफसीए की 138 परियोजना की स्वीकृति से ही 2 हज़ार करोड़ रुपये के निवेश का रास्ता साफ हो गया है. एफआरए के भी 465 परियोजनाओं को भी स्वीकृती मिली है. अब प्रदेश के विकास के काम तेजी से हो सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट से मिली है राहत
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इन परियोजनाओं से जुड़ी अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई के दौरान 138 प्रोजेक्ट को सीधे-सीधे मंजूर कर दिए हैं. इसके अलावा 467 परियोजनाओं को कुछ राइडर्स के साथ मंजूर किया है. यही नहीं हिमाचल प्रदेश को सबसे बड़ी राहत नेशनल हाइवे परियोजनाओं के रूप में मिली है. अदालत ने हिमाचल के लिहाज से अहम दो बड़े नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट में भी अपनाई गई प्रक्रिया को सही पाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इन दो नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट को लेकर राज्य सरकार को आगे बढ़ाने के लिए मंजूरी दी है. इनमें 1337 करोड़ की लागत वाला ग्रीन कोरिडोर नेशनल हाइवे, शिमला से फेडज़पुल पांवटा साहिब ग्रीन कॉरिडोर शामिल है. इसे एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) की फंडिंग से बनाया जाएगा. दूसरा ग्रीन कॉरिडोर हमीरपुर और मंडी के बीच बनना है, जिसे अभी अप्लाई नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 61.48 करोड़ की लागत वाले टू लेन एनएच 20-ए मैहतपुर मुबारिकपुर को भी अपना ग्रीन सिग्नल दे दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
सीएम जयराम ठाकुर के अलावा वन मंत्री राकेश पठानिया ने सर्वोच्च अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से मंजूर किये गए प्रोजेक्ट्स में सडक़ों के ही 332 प्रोजेक्ट क्लीयर हुए हैं. करीब 50 स्कूल भवनों, आईआईटी, बिजली प्रोजेक्ट, पेयजल योजनाएं और हेलीपैड जैसे प्रोजेक्ट भी क्लीयर हो गए हैं. इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में छह अलग-अलग याचिकाएं दाखिल हुई थीं.
हिमाचल के लिए बड़ी खुशी की बात ये है कि केवल सिल्वीकल्चर को छोड़ कर एफसीए और एफआरए के बाकी सभी मामलों में राज्य सरकार को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला टीएन गोवर्धन थिरुमुल्लपड़ बनाम भारत सरकार केस में दिया है. इसमें हिमाचल सरकार भी प्रतिवादी थी. राज्य सरकार की ओर से इस केस में भारत सरकार सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता और हिमाचल सरकार के एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा ने पक्ष रखा था.
कई योजनाओं को मिली सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी
इस फैसले के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने 3 हाईड्रो प्रोजेक्टों, एक आईआईटी, मॉडल स्कूल, एक हाईब्रिड पावर प्रोजेक्ट, कार पार्किंग, एक हेलिपेड, 4 ट्रांसमिशन लाइनों, 2 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, 5 पेयजल योजनाओं, 4 हाइड्रो प्रोजेक्ट्स समेत कुछ अन्य मामलों में राइडर लगाकर मंजूरी दी है. इन मामलों में डीएफओ आगे की कार्यवाही पूरी करेंगे. कुछ मामलों में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय मंजूरी देगा. इसके अलावा 4 विद्युत सब स्टेशनों, 2 आंगनबाड़ी केंद्रों, 12 पेयजल योजनाओं समेत 289 अन्य प्रोजेक्टों को भी सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी. अकेले सडक़ों के ही 332 केस मंजूर हो गए हैं और 50 स्कूलों को भी मंजूरी मिल गई है.
ये भी पढ़ें: सीएम जयराम ठाकुर का करारा हमला, कर्ज के लिए सिर्फ और सिर्फ कांग्रेसी दोषी