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मल सयंत्र के लिए 23.70 करोड़ रुपये मंजूर, इन जिलों को मिलेगा लाभ

ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि जल शक्ति विभाग को मण्डी जिला के थुनाग, धर्मपुर और जंजैहली और ऊना के बंगाणा में पायलट आधार पर मल-संयंत्र स्थापित करने के लिए 23.70 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

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Published : Jun 7, 2020, 12:42 AM IST

cm jairam thakur
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

शिमला: ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत एक विशेष पहल की है.

जल शक्ति विभाग को मण्डी जिला के थुनाग, धर्मपुर और जंजैहली और ऊना के बंगाणा में पायलट आधार पर मल-संयंत्र स्थापित करने के लिए 23.70 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

सड़कों के किनारे सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए शिमला, सोलन, सिरमौर और ऊना जिलों के लिए एक-एक करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई हैं.

पंचायतों के समावेशी स्थानीय शासन की क्षमताओं में वृद्धि पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों और अभिसरण योजनाओं के अधिकतम उपयोग के प्रयास किए जाने चाहिए. पंचायतों को भी अपने राजस्व संसाधनों को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए.

ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि विभिन्न तकनीकी स्वीकृतियों में देरी रोकने के लिए प्रभावी तंत्र बनाने की आवश्यकता है, जिससे काम जल्जी शुरू हो सके. हिमाचल प्रदेश मनरेगा के अंतर्गत 100 दिनों की सीमा को 120 दिनों तक करने में अग्रणी राज्य रहा है.

पढ़ें: जानिए सुंदरनगर के गुलेरिया ब्रदर्स की कहानी, जैविक खेती के प्रति किसानों को कर रहे जागरुक

शिमला: ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत एक विशेष पहल की है.

जल शक्ति विभाग को मण्डी जिला के थुनाग, धर्मपुर और जंजैहली और ऊना के बंगाणा में पायलट आधार पर मल-संयंत्र स्थापित करने के लिए 23.70 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

सड़कों के किनारे सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए शिमला, सोलन, सिरमौर और ऊना जिलों के लिए एक-एक करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई हैं.

पंचायतों के समावेशी स्थानीय शासन की क्षमताओं में वृद्धि पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों और अभिसरण योजनाओं के अधिकतम उपयोग के प्रयास किए जाने चाहिए. पंचायतों को भी अपने राजस्व संसाधनों को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए.

ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि विभिन्न तकनीकी स्वीकृतियों में देरी रोकने के लिए प्रभावी तंत्र बनाने की आवश्यकता है, जिससे काम जल्जी शुरू हो सके. हिमाचल प्रदेश मनरेगा के अंतर्गत 100 दिनों की सीमा को 120 दिनों तक करने में अग्रणी राज्य रहा है.

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