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CM का नेता प्रतिपक्ष को जवाब, जनहित के लिए रद्द किया गया शीतकालीन सत्र

सीएम जयराम ने नेता प्रतिपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य को देखते हुए शीतकालीन सत्र को रद्द किया गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने साल 2014 के मॉनसून सत्र को बिना किसी कारण के स्थगित कर दिया था.

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Published : Dec 3, 2020, 10:37 PM IST

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नेता प्रतिपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मुकेश अग्निहोत्री असहज और अस्त-व्यस्त लग रहे हैं. धर्मशाला में शीतकालीन सत्र को लेकर मुकेश अग्निहोत्री क्या हासिल करना चाह रहे हैं ये बात अभी तक समझ नहीं आई है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 12वीं विधानसभा के छठे सत्र के दौरान जो 6 अगस्त से 29 अगस्त तक मॉनसून सत्र 2014 में नोटिफाइड किया गया था. सत्र शुरू हुआ और 5 बैठकें हुई. इस सत्र में 16 बैठकें होनी थी. 12 अगस्त 2014 को अचानक मुख्यमंत्री सदन में खड़े होते हैं और कहते हैं कि अध्यक्ष महोदय इस सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देना चाहिए.

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हमारे पास कोई बिजनेस ट्रांजेक्शन के लिए नहीं है जबकि सत्र के दौरान विपक्ष के सदस्यों के प्रश्न लगे हुए थे. इसके अलावा सत्ता पक्ष के सदस्यों के प्रश्न भी लगे हुए थे और ये सत्र बीच में ही स्थगित कर दिया गया.

हिमाचल के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब विधानसभा का चला हुआ सत्र बिना कारण से स्थगित कर दिया गया हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि गौर करने की बात है उस वक्त के संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री थे. जो कि आजकल विपक्ष के नेता हैं. उन्होंने ही विधानसभा में प्रस्ताव लाया और कहा कि सरकार इस सत्र को यहीं अनिश्चितकाल के लिए समाप्त करना चाहती है.

उस वक्त ना ही कोरोना था और ना ही किसी व्यक्ति का जीवन संकट में था. उस वक्त कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगे थे जिनका उत्तर देने में उनको कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन आज के दौर में कोरोना एक ऐसा संकट है जो कि वैश्विक है.

हिमाचल में ही नहीं पूरी दुनिया में लोगों का जीवन संकट में है. ऐसे मौके पर सभी लोगों के सुझाव आए कांग्रेस पार्टी के भी अनेक विधायकों के सुझाव आए और उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर यह भी कहा कि ये सत्र नहीं होना चाहिए.

इस सत्र से संक्रमण अधिक फैलने आशंका थी. इसके अलावा सत्र धर्मशाला में होना था तो ऐसे में 1200 के करीब कर्मचारियों और अधिकारियों का यहां से धर्मशाला आना जाना होता, जिसके कारण संक्रमण फैलने की आशंका और अधिक बढ़ जाती.

ऐसे में कांग्रेस के अनेक सदस्यों ने कहा कि सत्र शिमला में होना चाहिए ये सत्र नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को इस बात का पूरा अधिकार है कि कोई भी निर्णय जो प्रदेश हित में है ले सकें इसलिए प्रदेश सरकार ने जनता की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए शीतकालीन सत्र रद्द करने का निर्णय लिया है.

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नेता प्रतिपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मुकेश अग्निहोत्री असहज और अस्त-व्यस्त लग रहे हैं. धर्मशाला में शीतकालीन सत्र को लेकर मुकेश अग्निहोत्री क्या हासिल करना चाह रहे हैं ये बात अभी तक समझ नहीं आई है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 12वीं विधानसभा के छठे सत्र के दौरान जो 6 अगस्त से 29 अगस्त तक मॉनसून सत्र 2014 में नोटिफाइड किया गया था. सत्र शुरू हुआ और 5 बैठकें हुई. इस सत्र में 16 बैठकें होनी थी. 12 अगस्त 2014 को अचानक मुख्यमंत्री सदन में खड़े होते हैं और कहते हैं कि अध्यक्ष महोदय इस सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देना चाहिए.

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हमारे पास कोई बिजनेस ट्रांजेक्शन के लिए नहीं है जबकि सत्र के दौरान विपक्ष के सदस्यों के प्रश्न लगे हुए थे. इसके अलावा सत्ता पक्ष के सदस्यों के प्रश्न भी लगे हुए थे और ये सत्र बीच में ही स्थगित कर दिया गया.

हिमाचल के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब विधानसभा का चला हुआ सत्र बिना कारण से स्थगित कर दिया गया हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि गौर करने की बात है उस वक्त के संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री थे. जो कि आजकल विपक्ष के नेता हैं. उन्होंने ही विधानसभा में प्रस्ताव लाया और कहा कि सरकार इस सत्र को यहीं अनिश्चितकाल के लिए समाप्त करना चाहती है.

उस वक्त ना ही कोरोना था और ना ही किसी व्यक्ति का जीवन संकट में था. उस वक्त कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगे थे जिनका उत्तर देने में उनको कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन आज के दौर में कोरोना एक ऐसा संकट है जो कि वैश्विक है.

हिमाचल में ही नहीं पूरी दुनिया में लोगों का जीवन संकट में है. ऐसे मौके पर सभी लोगों के सुझाव आए कांग्रेस पार्टी के भी अनेक विधायकों के सुझाव आए और उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर यह भी कहा कि ये सत्र नहीं होना चाहिए.

इस सत्र से संक्रमण अधिक फैलने आशंका थी. इसके अलावा सत्र धर्मशाला में होना था तो ऐसे में 1200 के करीब कर्मचारियों और अधिकारियों का यहां से धर्मशाला आना जाना होता, जिसके कारण संक्रमण फैलने की आशंका और अधिक बढ़ जाती.

ऐसे में कांग्रेस के अनेक सदस्यों ने कहा कि सत्र शिमला में होना चाहिए ये सत्र नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को इस बात का पूरा अधिकार है कि कोई भी निर्णय जो प्रदेश हित में है ले सकें इसलिए प्रदेश सरकार ने जनता की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए शीतकालीन सत्र रद्द करने का निर्णय लिया है.

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