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ट्राइबल क्षेत्रों के विकास की जरूरत, जटिल मुद्दों को सुलझाने के लिए होगा कमेटी का गठन: जयराम - shimla news

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को जन-जातीय सलाहकार परिषद की 47वीं बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में ट्राइबल क्षेत्रों में लंबे समय से अटके कार्यों को पूरा करने के लिए कमेटी का गठन करने की घोषणा की गई.

CM jairam led meeting with TAC in shimla
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जन-जातीय सलाहकार परिषद बैठक की अध्यक्षता की.
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Published : Jan 10, 2020, 6:39 PM IST

शिमलाः मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को 47वीं जन-जातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में ट्राइबल क्षेत्रों में लंबे समय से अटके कार्यों को पूरा करने के लिए कमेटी का गठन करने की घोषणा की गई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि टीएसी की बैठक लंबे समय से नहीं हो पा रही थी. इसलिए इस बैठक को करने का निर्णय लिया गया है. ट्राइबल क्षेत्रों में विकास कार्यों की अधिक जरूरत है. ऐसे में इन क्षेत्रों की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो सालों में जितने भी विकास कार्य किए जा सकते थे, वह किए गए हैं और विकास कार्यों में और तेजी लाई जाएगी.

वीडियो.

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने जन-जातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की 47वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि एकल प्रशासन प्रणाली अपनाने के बाद जन-जातीय सलाहकार परिषद ने जन-जातीय क्षेत्रों के लोगों के विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए हैं.

जन-जातीय क्षेत्रों के सम्पूर्ण विकास के लिए प्रदेश सरकार ने राज्य के बजट का 09 प्रतिशत हिस्सा जन-जातीय उप-योजना के लिए निर्धारित किया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान जन-जातीय उप-योजना के तहत 904 करोड़ रुपये योजना और 831 करोड़ रुपये गैर योजना के तहत आवंटित किए गए हैं.

इसके अलावा जन-जातीय क्षेत्रों में 144.17 करोड़ रुपये भवनों, सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए, 169.37 करोड़ रुपये शिक्षा क्षेत्र, 99.42 करोड़ रुपये स्वास्थ्य क्षेत्र और 59.54 करोड़ रुपये सिंचाई व पेयजल आपूर्ति योजनाओं के लिए निर्धारित किए गए हैं.

जयराम ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य सरकार की पहल पर जन-जातीय क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों के लिए केंद्रीय जन-जातीय विकास मंत्रालय से 70 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त हुई है. उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बार्डर एरिया डवलेपमेंट प्रोग्राम) के तहत राज्य सरकार वर्ष 2017-18 में 10 करोड़ रुपये और वर्ष 2018-19 में 8.45 करोड़ रुपये प्राप्त करने में सफल रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को वर्ष 2019-20 में संविधान के अनुच्छेद-275 (1) के तहत 67 करोड़ रुपये विशेष केंद्रीय सहायता के रूप में प्रदान किए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार, प्रदेश के जन-जातीय क्षेत्रों में तीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्वीकृत करवाने में सफल रही है.

इन स्कूलों को भरमौर, पांगी और लाहौल में खोला गया है. उन्होंने कहा कि जन-जातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार ने इन स्कूलों के भवनों के निर्माण के लिए 56 करोड़ रुपये प्रदान किए है, जिसमें से अभी तक 33.66 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं.

जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने भरमौर और पांगी जन-जातीय क्षेत्रों के लिए टैली-मेडिसीन सुविधा प्रदान की है. इसके लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 में दो करोड़ रुपये विशेष सहायता के रूप में प्रदान किए हैं और इस वर्ष के लिए 1.74 करोड़ रुपये अनुमोदित किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि जन-जातीय क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के लिए केलांग, काजा और पूह में भी टैली-मेडिसीन सुविधा शुरू की जा चुकी है. सीथ ही किन्नौर और स्पीति में जन-जातीय लोगों की सुविधा के लिए रामपुर में 6.79 करोड़ रुपये की लागत से जन-जातीय भवन का निर्माण किया जा रहा है.

सीएम जयराम ठाकुर ने जन-जातीय सलाहकार परिषद की बैठक नियमित रूप से आयोजित करने का आश्वासन दिया और कहा कि बैठक में लिए गए निर्णयों के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि जन-जातीय क्षेत्रों में नौतोड़ और एफआरए के मामलों के निवारण के लिए कदम उठाए जाएंगे.

कृषि एवं जन-जातीय विकास मंत्री डॉ. राम लाल मारकण्डा ने कहा कि जनता पार्टी सरकार ने वर्ष 1977 में परिषद का गठन किया था और 1978 में परिषद की पहली बैठक आयोजित की गई. उन्होंने जन-जातीय क्षेत्रों के विकास एवं जन-जातीय लोगों के कल्याण में गहरी रूचि के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया.

शिमलाः मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को 47वीं जन-जातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में ट्राइबल क्षेत्रों में लंबे समय से अटके कार्यों को पूरा करने के लिए कमेटी का गठन करने की घोषणा की गई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि टीएसी की बैठक लंबे समय से नहीं हो पा रही थी. इसलिए इस बैठक को करने का निर्णय लिया गया है. ट्राइबल क्षेत्रों में विकास कार्यों की अधिक जरूरत है. ऐसे में इन क्षेत्रों की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो सालों में जितने भी विकास कार्य किए जा सकते थे, वह किए गए हैं और विकास कार्यों में और तेजी लाई जाएगी.

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मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने जन-जातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की 47वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि एकल प्रशासन प्रणाली अपनाने के बाद जन-जातीय सलाहकार परिषद ने जन-जातीय क्षेत्रों के लोगों के विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए हैं.

जन-जातीय क्षेत्रों के सम्पूर्ण विकास के लिए प्रदेश सरकार ने राज्य के बजट का 09 प्रतिशत हिस्सा जन-जातीय उप-योजना के लिए निर्धारित किया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान जन-जातीय उप-योजना के तहत 904 करोड़ रुपये योजना और 831 करोड़ रुपये गैर योजना के तहत आवंटित किए गए हैं.

इसके अलावा जन-जातीय क्षेत्रों में 144.17 करोड़ रुपये भवनों, सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए, 169.37 करोड़ रुपये शिक्षा क्षेत्र, 99.42 करोड़ रुपये स्वास्थ्य क्षेत्र और 59.54 करोड़ रुपये सिंचाई व पेयजल आपूर्ति योजनाओं के लिए निर्धारित किए गए हैं.

जयराम ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य सरकार की पहल पर जन-जातीय क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों के लिए केंद्रीय जन-जातीय विकास मंत्रालय से 70 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त हुई है. उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बार्डर एरिया डवलेपमेंट प्रोग्राम) के तहत राज्य सरकार वर्ष 2017-18 में 10 करोड़ रुपये और वर्ष 2018-19 में 8.45 करोड़ रुपये प्राप्त करने में सफल रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को वर्ष 2019-20 में संविधान के अनुच्छेद-275 (1) के तहत 67 करोड़ रुपये विशेष केंद्रीय सहायता के रूप में प्रदान किए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार, प्रदेश के जन-जातीय क्षेत्रों में तीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्वीकृत करवाने में सफल रही है.

इन स्कूलों को भरमौर, पांगी और लाहौल में खोला गया है. उन्होंने कहा कि जन-जातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार ने इन स्कूलों के भवनों के निर्माण के लिए 56 करोड़ रुपये प्रदान किए है, जिसमें से अभी तक 33.66 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं.

जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने भरमौर और पांगी जन-जातीय क्षेत्रों के लिए टैली-मेडिसीन सुविधा प्रदान की है. इसके लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 में दो करोड़ रुपये विशेष सहायता के रूप में प्रदान किए हैं और इस वर्ष के लिए 1.74 करोड़ रुपये अनुमोदित किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि जन-जातीय क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के लिए केलांग, काजा और पूह में भी टैली-मेडिसीन सुविधा शुरू की जा चुकी है. सीथ ही किन्नौर और स्पीति में जन-जातीय लोगों की सुविधा के लिए रामपुर में 6.79 करोड़ रुपये की लागत से जन-जातीय भवन का निर्माण किया जा रहा है.

सीएम जयराम ठाकुर ने जन-जातीय सलाहकार परिषद की बैठक नियमित रूप से आयोजित करने का आश्वासन दिया और कहा कि बैठक में लिए गए निर्णयों के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि जन-जातीय क्षेत्रों में नौतोड़ और एफआरए के मामलों के निवारण के लिए कदम उठाए जाएंगे.

कृषि एवं जन-जातीय विकास मंत्री डॉ. राम लाल मारकण्डा ने कहा कि जनता पार्टी सरकार ने वर्ष 1977 में परिषद का गठन किया था और 1978 में परिषद की पहली बैठक आयोजित की गई. उन्होंने जन-जातीय क्षेत्रों के विकास एवं जन-जातीय लोगों के कल्याण में गहरी रूचि के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया.

Intro:ट्राइवल क्षेत्रों में विकास की अधिक जरूरत. जटिल मुद्दों को सुलझाने के लिए होगा कमेटी का गठन


शिमला. ट्राइवल क्षेत्रों में लंबे समय से अटके कार्यों को करने के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा. यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जन-जातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि टीएसी की बैठक लंबे समय से नहीं हो पा रही थी. इसलिए आज इस बैठक को करने का निर्णय लिया गया है. ट्राइवल क्षेत्रों में विकास कार्यों की अधिक जरूरत है ऐसे में इन क्षेत्रों की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो सालों में जितने भी विकास कार्य किए जा सकते थे वो किए गए हैं और विकास कार्यों में और तेजी लाई जाएगी.




Body:मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने जन-जातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की 47वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि एकल प्रशासन प्रणाली अपनाने के बाद जन-जातीय सलाहकार परिषद द्वारा जन-जातीय क्षेत्रों के लोगों के विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जन-जातीय क्षेत्रों के सम्पूर्ण विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के बजट का 09 प्रतिशत, जन-जातीय उप-योजना के लिए निर्धारित किया गया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान जन-जातीय उप-योजना के तहत 904 करोड़ रुपये योजना तथा 831 करोड़ रुपये गैर योजना के तहत आवंटित किए गए हैं. इसके अलावा जन-जातीय क्षेत्रों में 144.17 करोड़ रुपये भवनों, सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए, 169.37 करोड़ रुपये शिक्षा क्षेत्र, 99.42 करोड़ रुपये स्वास्थ्य क्षेत्र और 59.54 करोड़ रुपये सिंचाई व पेयजल आपूर्ति योजनाओं के लिए निर्धारित किए गए हैं.


जय राम ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य सरकार की पहल पर जन-जातीय क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों के लिए केन्द्रीय जन-जातीय विकास मंत्रालय से 70 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त हुई है. उन्होेंने कहा कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बार्डर एरिया डवलेपमेंट प्रोग्राम) के तहत राज्य सरकार वर्ष 2017-18 में 10 करोड़ रुपये और वर्ष 2018-19 में 8.45 करोड़ रुपये प्राप्त करने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को वर्ष 2019-20 में संविधान के अनुच्छेद-275 (1) के तहत 67 करोड़ रुपये विशेष केन्द्रीय सहायता के रूप में प्रदान किए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार, प्रदेश के जन-जातीय क्षेत्रों में तीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्वीकृत करवाने में सफल रही है. इन स्कूलों को भरमौर, पांगी और लाहौल में खोला गया है. उन्होंने कहा कि जन-जातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इन स्कूलों के भवनों के निर्माण के लिए 56 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे, जिसमें से अभी तक 33.66 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं. जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने भरमौर और पांगी जन-जातीय क्षेत्रों के लिए टैली-मेडिसीन सुविधा प्रदान की है. इसके लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018-19 में दो करोड़ रुपये विशेष सहायता के रूप में प्रदान किए हैं और इस वर्ष के लिए 1.74 करोड़ रुपये अनुमोदित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि जन-जातीय क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के लिए केलांग, काजा और पूह में भी टैली-मेडिसीन सुविधा आरम्भ की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि किन्नौर और स्पीति में जन-जातीय लोगों की सुविधा के लिए रामपुर में 6.79 करोड़ रुपये की लागत से जन-जातीय भवन का निर्माण किया जा रहा है.Conclusion:जय राम ठाकुर ने जन-जातीय सलाहकार परिषद की बैठक नियमित रूप से आयोजित करने का आश्वासन दिया और कहा कि बैठक में लिए गए निर्णयों के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जन-जातीय क्षेत्रों में नौतोड़ और एफआरए के मामलों के निवारण के लिए कदम उठाए जाएंगे. कृषि एवं जन-जातीय विकास मंत्री डॉ. राम लाल मारकण्डा ने कहा कि जनता पार्टी सरकार द्वारा वर्ष 1977 में परिषद का गठन किया गया और 1978 में परिषद की पहली बैठक आयोजित की गई। उन्होंने जन-जातीय क्षेत्रों के विकास एवं जन-जातीय लोगों के कल्याण में गहरी रूचि के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया.
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