शिमला: हिमाचलवासियों को जमीन संबंधी मामलों के दस्तावेज और जानकारी के लिए अब पटवारियों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. अब आप लोगों को एक क्लिक पर ही घर बैठे यह सुविधा मिलने वाली है. सचिवालय में डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड के तहत राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली का शुभारम्भ किया गया है.
लैंड रिकॉर्ड के ऑनलाइन पंजीकरण का यह कार्यक्रम प्रायोगिक आधार पर सर्वप्रथम शिमला (शहरी) और शिमला जिला की कुमारसेन तहसील में शुरू किया गया है. अधिकारियों के साथ मीटिंग में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया से राज्य में शीघ्र पंजीकरण के साथ ऑनलाइन मूल्यांकन और भुगतान की सुविधा शुरू होगी.
उन्होंने कहा कि इस पायलेट प्रोजेक्ट की सफलता के उपरांत इसे पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा. जयराम ठाकुर ने कहा कि नागरिकों को ऑनलाइन पंजीकरण, स्टाम्प ड्यूटी और ई-मेल अलर्ट की सुविधा प्राप्त हो सकेगी.
उन्होंने कहा कि इसके द्वारा राजस्व रिकॉर्ड के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ रोकने में भी सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह प्रणाली भूमि मालिकों के हित में राजस्व रिकॉर्ड के प्रभावी रखरखाव में सहायक सिद्ध होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि से जुड़े विवादों को प्रभावी तरीके से निपटाने और राजस्व संबंधी मुकदमों में कमी लाने में भी यह प्रणाली मील पत्थर साबित होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि नकली स्टाम्प पेपर को रोकने के लिए एनजीडीआरएस सहायक सिद्ध होगी. पंजीकृत दस्तावेज की प्रतिलिपि स्कैनिंग तकनीक के द्वारा सुरक्षित रखी जाएगी और डाउनलोड किए गए दस्तावेज को अधिकृत उपयोगकर्ता द्वारा प्रमाणित प्रतिलिपि उत्पन्न कर देखा जा सकता है.
जयराम ठाकुर ने कहा कि भूमि मालिकों और खरीददारों को ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करने की भी सुविधा प्राप्त होगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश इस परियोजना को लागू करने वाला देश का 7वां राज्य है.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वन नेशन-वन सॉफ्टवेयर' के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम और आगे बढे़ हैं.
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