शिमला: हिमाचल में धारा-118 को लेकर राज्य सरकार कोई फेरबदल नहीं करने जा रही. मंगलवार को विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि धारा-118 में अब तक जितने भी संशोधन हुए हैं, वे कांग्रेस सरकारों के समय ही हुए हैं. भाजपा सरकारों ने धारा-118 में कोई संशोधन नहीं किया है.
मुख्यमंत्री ने सदन में कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह की तरफ से लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में बोल रहे थे. सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल निर्माता और और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार ने यहां की सीमित भूमि को देखते हुए धारा-118 का प्रावधान किया था. मकसद यही था कि यहां के किसानों की खेती लायक भूमि बाहरी राज्यों के संपन्न लोग न खरीद सकें. उन्होंने कहा कि धारा-118 को लेकर कांग्रेस के सदस्य फिजूल की शंकाएं व अविश्वास का माहौल पैदा कर रहे हैं. भाजपा सरकार इसमें कोई भी संशोधन नहीं करेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक इसमें जो भी संशोधन हुए हैं, वो कांग्रेस की पूर्व सरकारों ने किए हैं. उन्होंने गिनाया कि कैसे वर्ष 1976 से लेकर अब तक कांग्रेस की सरकारों ने धारा-118 में पांच बार संशोधन किया. पहला संशोधन 28 अप्रैल 1976 को किया गया. फिर 14 अप्रैल 1988 को दूसरा, 4 अप्रैल 1995 को तीसरा, 28 दिसंबर 1996 को चौथा और वर्ष 2006 में पांचवीं दफा संशोधन किया गया. भाजपा की सरकार बने पौने दो साल हो चले हैं और विपक्ष लगातार शोर कर रहा है कि सरकार का धारा-118 के साथ छेड़छाड़ का इरादा है.
सीएम ने स्पष्ट कहा कि ऐसी कोई मंशा नहीं है. जिस प्रकार से विपक्ष शोर कर रहा है, उससे जनता में कांग्रेस के खिलाफ ही धारणा बन रही है. जयराम ठाकुर ने कहा कि ये जमाना संचार क्रांति का है. कोई भी सूचना किसी से छिपी नहीं रह सकती. मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि 2014-15 में कांग्रेस सरकार के समय इसी सदन में निवेश को आकर्षित करने के लिए धारा-118 के सरलीकरण की बात हुई थी. बजट भाषण के पैरा नंबर 81 में इसका जिक्र है.
सीएम ने कहा कि जहां तक धारा-118 के तहत जमीन खरीद की अनुमति का सवाल है, कांग्रेस सरकार के समय तीन साल में यानी वर्ष 2015, 2016 व 2017 में 1061 अनुमतियां दी गईं. वहीं, भाजपा सरकार के अब तक के कार्यकाल में 511 लोगों को जमीन खरीदने की अनुमति दी गई है. इससे पहले अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि धारा-118 को लेकर पिछले कुछ समय से लेकर सरकार के इरादों को लेकर शंकाएं उठ रही हैं. उन्होंने इस धारा की पृष्ठभूमि का जिक्र किया और कहा कि कैसे हिमाचल निर्माता ने दूरदर्शी सोच के जरिए प्रदेश की सीमित जमीन को बचाए रखने के लिए धारा-118 को लागू किया.
दरअसल विक्रमादित्य सिंह ने विधानसभा में कहा था कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद लैंड सीलिंग एक्ट के कारण जिन बड़े सरमायादारों ने जमीन खोई, उनमें उनका परिवार भी शामिल है. वीरभद्र सिंह के परिवार की 7806 बीघा जमीन लैंड सीलिंग एक्ट के कारण सरकार के पास गई. ये धारा हिमाचल की पहचान से जुड़ी है और संवेदनशील मामला है. धन्नासेठों की लालची नजरों से हिमाचल की बेशकीमती जमीन को बचाए रखने में ये धारा 118 हिमाचल निर्माता की दूरदर्शिता का परिचायक है. उन्होंने कहा कि हिमाचल की जमीन पर अमीर लोगों की नजर है.
विक्रमादित्य सिंह ने अनुच्छेद 370 व 35-ए हटाए जाने के बाद असद्दुदीन औवेसी व सुखबीर बादल के बयान का जिक्र भी किया, जिसमें उन्होंने हिमाचल से भी धारा-118 को हटाने की बात कही थी. इस पर सीएम जयराम ठाकुर ने अपने जवाब में सदन में कहा कि उक्त दोनों नेताओं को वस्तुस्थिति की जानकारी नहीं है. सीएम ने जोर देकर कहा कि किसी भी सूरत में हिमाचल के हितों से समझौता नहीं किया जा सकता.