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शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व निदेशक कोर्ट में तलब, आदेश का पालन न करने पर HC सख्त - Secretary General

प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व उच्च शिक्षा निदेशक को न्यायालय के आदेशों की अनुपालना न करने पर 22 अगस्त को कोर्ट में तलब किया है.

शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व निदेशक कोर्ट में तलब, आदेश का पालन न करने पर HC सख्त
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Published : Aug 8, 2019, 8:39 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव कमलेश कुमार पंत व उच्च शिक्षा निदेशक डॉक्टर अमरजीत शर्मा को न्यायालय के आदेशों की अनुपालना न करने पर 22 अगस्त को कोर्ट में तलब किया है.

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि प्रधान सचिव द्वारा न्यायालय के समक्ष दायर किए गए आवेदन पर उन्हें 30 अक्टूबर 2018 को पारित निर्णय की अनुपालना के लिए 2 महीने का अतिरिक्त समय दिया गया था, जो 31 जुलाई को खत्म हो गया था. मगर अभी तक कोर्ट के आदेशों की अनुपालना नहीं की गई.

न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के मुताबिक डीएवी पीजी कॉलेज धौलपुर चौक को राज्य सरकार ने 14 सितंबर 2006 को अपने अधीन ले लिया था. 4 जनवरी 2007 को राज्य सरकार ने कुछ टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ की सेवाओं को भी ले लिया था, मगर प्रार्थी कमलेश कुमार व अन्यो की सेवाओं को इस कारण लेने से मना कर दिया था कि उन्हें डीएवी कॉलेज दौलतपुर चौक द्वारा निजी तौर पर इकट्ठे किए गए फंड द्वारा वेतन का हस्तांतरण किया जाता था. उनके वेतन के लिए शिक्षा विभाग की ओर से ग्रांट इन एड नहीं दी जाती थी.

प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार के इस निर्णय को गलत ठहराते हुए राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए थे कि प्रार्थी शिक्षकों को अन्य शिक्षकों की तरह 14 सितंबर 2006 से समायोजित किया जाए. हाईकोर्ट ने वरिष्ठता समायोजन की तारीख से देने के अलावा अन्य लाभ नेशनल बेसिस पर दिए जाने के आदेश भी जारी किए थे. प्रार्थियों का यह आरोप है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद राज्य सरकार ने इन आदेशों की अनुपालना नहीं की है.

ये भी पढ़े: मां नैना देवी के मंदिर में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, देश-विदेश से पहुंच रहे श्रद्धालु

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव कमलेश कुमार पंत व उच्च शिक्षा निदेशक डॉक्टर अमरजीत शर्मा को न्यायालय के आदेशों की अनुपालना न करने पर 22 अगस्त को कोर्ट में तलब किया है.

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि प्रधान सचिव द्वारा न्यायालय के समक्ष दायर किए गए आवेदन पर उन्हें 30 अक्टूबर 2018 को पारित निर्णय की अनुपालना के लिए 2 महीने का अतिरिक्त समय दिया गया था, जो 31 जुलाई को खत्म हो गया था. मगर अभी तक कोर्ट के आदेशों की अनुपालना नहीं की गई.

न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के मुताबिक डीएवी पीजी कॉलेज धौलपुर चौक को राज्य सरकार ने 14 सितंबर 2006 को अपने अधीन ले लिया था. 4 जनवरी 2007 को राज्य सरकार ने कुछ टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ की सेवाओं को भी ले लिया था, मगर प्रार्थी कमलेश कुमार व अन्यो की सेवाओं को इस कारण लेने से मना कर दिया था कि उन्हें डीएवी कॉलेज दौलतपुर चौक द्वारा निजी तौर पर इकट्ठे किए गए फंड द्वारा वेतन का हस्तांतरण किया जाता था. उनके वेतन के लिए शिक्षा विभाग की ओर से ग्रांट इन एड नहीं दी जाती थी.

प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार के इस निर्णय को गलत ठहराते हुए राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए थे कि प्रार्थी शिक्षकों को अन्य शिक्षकों की तरह 14 सितंबर 2006 से समायोजित किया जाए. हाईकोर्ट ने वरिष्ठता समायोजन की तारीख से देने के अलावा अन्य लाभ नेशनल बेसिस पर दिए जाने के आदेश भी जारी किए थे. प्रार्थियों का यह आरोप है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद राज्य सरकार ने इन आदेशों की अनुपालना नहीं की है.

ये भी पढ़े: मां नैना देवी के मंदिर में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, देश-विदेश से पहुंच रहे श्रद्धालु

प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव कमलेश कुमार पंत व उच्च शिक्षा निदेशक डॉक्टर अमरजीत के शर्मा को न्यायालय के आदेशों की अनुपालना न करने पर 22 अगस्त को कोर्ट में तलब किया है। अगली सुनवाई को उनके खिलाफ  लगाए जाने वाले चार्ज पर भी इन्हें सुना जाएगा। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि प्रधान सचिव द्वारा न्यायालय के समक्ष दायर किए गए आवेदन पर उन्हें 30 अक्टूबर 2018 को पारित निर्णय की अनुपालना के लिए 2 महीने का अतिरिक्त समय दिया गया था। जो 31 जुलाई को खत्म हो गया था। मगर आभी तक कोर्ट के आदेशों की अनुपालना नहीं की गई। न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के मुताबिक डीएवी पीजी कॉलेज धौलपुर चौक को राज्य सरकार ने 14 सितम्बर 2006 को अपने अधीन ले लिया था। 4 जनवरी 2007 को राज्य सरकार ने  कुछ टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ की सेवाओं को भी ले लिया था मगर प्रार्थी कमलेश कुमार व अन्यो की सेवाओं को इस कारण लेने से मना कर दिया था कि उन्हें डीएवी कॉलेज दौलतपुर चौक द्वारा निजी तौर पर इकट्ठे किए गए फंड द्वारा वेतन का हस्तांतरण किया जाता था। उनके वेतन के लिए शिक्षा विभाग की ओर से ग्रांट इन एड नहीं दी जाती थी।  प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार के इस निर्णय को गलत ठहराते हुए राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए थे कि प्रार्थी शिक्षकों को अन्य शिक्षकों की तरह 14 सितम्बर 2006 से समायोजित किया जाए। हाईकोर्ट ने वरिष्ठता समायोजन की तारीख से देने के अलावा अन्य लाभ नोशनल बेसिस पर दिए जाने के आदेश भी जारी किए थे। प्रार्थियों का यह आरोप है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद राज्य सरकार ने इन आदेशों की अनुपालना नहीं की है।
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