शिमला: स्कूली छात्रों की एकाग्रता को बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा एक नई पहल की जा रही है. अब प्रदेश के सरकारी स्कूल्स में चैस को सिलेबस का हिस्सा बनाया जाएगा. चैस को सिलेबस में शामिल करने से छात्रों के मनोरंजन के साथ-साथ एकाग्रता भी बढ़ेगी.
लंबे समय से प्रदेश के स्कूल्स में शतरंज विषय को पढ़ाने को लेकर योजना चल रही थी, लेकिन अब सरकार की मंजूरी मिलने के बाद यह विषय स्कूल्स में शुरू हो जाएगा. शिक्षा विभाग की ओर से शतरंज का सिलेबस भी तैयार कर लिया गया है और सरकार ने इसे मंजूर भी कर दिया है. इस विषय को छात्रों को पढ़ाने के लिए सरकार पहले से तैनात शिक्षकों सेवाएं लेगी. इसके लिए स्कूल्स में उपस्थित शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसके बाद वो स्कूल्स में छात्रों को चैस खेलने का प्रशिक्षण देंगे.
शिक्षा विभाग के पास वर्तमान समय में 300 शिक्षक ऐसे हैं, जो शतरंज विषय को पढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित है. इसमें से तीन शिक्षक तो शतंरज के नेशनल चैंपियन रह चुके हैं. विषय प्रेक्टिकल और थ्योरी पर आधारित रहेगा. अब चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सरकार चर्चा करेगी और उसके बाद इस विषय को स्कूल्स में पहली से दसवीं कक्षा तक पढ़ाया जाएगा.
प्रदेश शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि हिमाचल के स्कूल्स में जल्द चैस विषय को शुरू किया जाएगा. बीजेपी के विजन डॉक्यूमेंट में भी इसे शामिल किया गया था. इसका सिलेबस तैयार है और विषय को किस रूप में छात्रों के सिलेबस में शामिल किया जाएगा इसको लेकर चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद चर्चा की जाएगी.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चे गणित और इंग्लिश विषयों से घबराते हैं और छात्र इन विषयों में रुचि लें, इसी को देखते हुए चैस को सिलेबस में शामिल किया जा रहा है. बता दें कि शतरंज एक ऐसा खेल है, जिससे बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है और पढ़ने की क्षमता बढ़ने के साथ ही याददाश्त भी तेज होती है. शतरंज के दीमागी फायदों को देखते हुए इसे स्कूली छात्रों के सिलेबस में शामिल किया जा रहा है.