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बिजली कर्मचारियों ने लगाया घटिया किस्म की स्नो किट देने का आरोप - कर्मचारियों को घटिया किस्म की स्नो किट

बिजली व्यवस्था सुचारू रखने वाले कर्मचारियों को घटिया किस्म की स्नो किट दी जा रही है. ये आरोप बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने बोर्ड प्रशासन पर लगाया है.यूनियन का कहना है कि कर्मियों को पैरा मिल्ट्री की तरह स्नो सूज, विशेष ऐनक और स्नो सूट दिया जाता है.

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Published : Dec 9, 2019, 11:06 PM IST

शिमला: बर्फबारी के बीच अपनी जान हथेली पर रखकर बिजली व्यवस्था सुचारू रखने वाले कर्मचारियों को घटिया किस्म की स्नो किट दी जा रही है. ये आरोप बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने बोर्ड प्रशासन पर लगाया है.यूनियन का कहना है कि कर्मियों को पैरा मिल्ट्री की तरह स्नो सूज, विशेष ऐनक और स्नो सूट दिया जाता है.

ये स्नो किट तीन साल में एक बार दी जाती है, लेकिन इस बार बोर्ड प्रबंधन ने घटिया किस्म की स्नो किट दी है. कर्मचारियों का कहना है कि ये किट इतनी मजबूत नहीं है कि तीन साल तक चल सके.इसके अलावा जूते भी घटिया किस्म के हैं. ऐसे में बिना स्नो किट के जनजातीय क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था सुचारू बनाए रखने में परेशानी झेलनी पड़ती है. कर्मचारियों को जीरो डिग्री से भी कम तापमान में काम करना पड़ता है और पहले भी कई कर्मचारी इस वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं.

वीडियो.

यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि इस किट के तहत कर्मचारियों को गिरगिट शूज दिए जाने थे, लेकिन शूज घटिया किस्म के हैं. किट में शामिल गॉगल भी सफेद रंग के हैं जबकि ये गॉगल रंगीन होनी चाहिए थी. बर्फ में सफेद गॉगल चमकती है, जिस वजह से कर्मचारी सही तरीके से काम नहीं कर पाते.

शिमला व मंडी जोन के जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को बोर्ड प्रबंधन ने स्नो किट पहुंचा दी है. वहीं, धर्मशाला जोन में आगामी चार दिसंबर को किटों के सैंपल को लेकर बैठक है. कर्मचारी यूनियन ने जनजातीय क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को किट भेजने से पहले कर्मचारी यूनियन को न दिखाने पर भी नराजगी जताई है.

यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि बोर्ड प्रबंधन के साथ हुई बैठक में निणर्य लिया गया था कि स्नो किट भेजने से पहले कर्मचारी यूनियन को किट दिखाई जाएगी, लेकिन जहां मंडी जोन में किट भेजने से पहले यूनियन पदाधिकारियों को किट दिखाई गई. वहीं, शिमला जोन में किट बिना दिखाए बोर्ड ने काजा में भेज दी है.

जनजातीय क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों के लिए यूनियन ने बोर्ड प्रबंधन से पैरामिलिट्री फोर्स के पैर्टन पर किट दिए जाने की बात कही थी, लेकिन किट में घटिया जूते व गॉगल दिए गए हैं. हांलाकि किट में दी गई जैकेट बेहतरीन क्वालटी की है, लेकिन वह भी पैरामिलिट्री फोर्स पैर्टन पर नहीं है.

शिमला: बर्फबारी के बीच अपनी जान हथेली पर रखकर बिजली व्यवस्था सुचारू रखने वाले कर्मचारियों को घटिया किस्म की स्नो किट दी जा रही है. ये आरोप बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने बोर्ड प्रशासन पर लगाया है.यूनियन का कहना है कि कर्मियों को पैरा मिल्ट्री की तरह स्नो सूज, विशेष ऐनक और स्नो सूट दिया जाता है.

ये स्नो किट तीन साल में एक बार दी जाती है, लेकिन इस बार बोर्ड प्रबंधन ने घटिया किस्म की स्नो किट दी है. कर्मचारियों का कहना है कि ये किट इतनी मजबूत नहीं है कि तीन साल तक चल सके.इसके अलावा जूते भी घटिया किस्म के हैं. ऐसे में बिना स्नो किट के जनजातीय क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था सुचारू बनाए रखने में परेशानी झेलनी पड़ती है. कर्मचारियों को जीरो डिग्री से भी कम तापमान में काम करना पड़ता है और पहले भी कई कर्मचारी इस वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं.

वीडियो.

यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि इस किट के तहत कर्मचारियों को गिरगिट शूज दिए जाने थे, लेकिन शूज घटिया किस्म के हैं. किट में शामिल गॉगल भी सफेद रंग के हैं जबकि ये गॉगल रंगीन होनी चाहिए थी. बर्फ में सफेद गॉगल चमकती है, जिस वजह से कर्मचारी सही तरीके से काम नहीं कर पाते.

शिमला व मंडी जोन के जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को बोर्ड प्रबंधन ने स्नो किट पहुंचा दी है. वहीं, धर्मशाला जोन में आगामी चार दिसंबर को किटों के सैंपल को लेकर बैठक है. कर्मचारी यूनियन ने जनजातीय क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को किट भेजने से पहले कर्मचारी यूनियन को न दिखाने पर भी नराजगी जताई है.

यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि बोर्ड प्रबंधन के साथ हुई बैठक में निणर्य लिया गया था कि स्नो किट भेजने से पहले कर्मचारी यूनियन को किट दिखाई जाएगी, लेकिन जहां मंडी जोन में किट भेजने से पहले यूनियन पदाधिकारियों को किट दिखाई गई. वहीं, शिमला जोन में किट बिना दिखाए बोर्ड ने काजा में भेज दी है.

जनजातीय क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों के लिए यूनियन ने बोर्ड प्रबंधन से पैरामिलिट्री फोर्स के पैर्टन पर किट दिए जाने की बात कही थी, लेकिन किट में घटिया जूते व गॉगल दिए गए हैं. हांलाकि किट में दी गई जैकेट बेहतरीन क्वालटी की है, लेकिन वह भी पैरामिलिट्री फोर्स पैर्टन पर नहीं है.

Intro:शिमला. बर्फबारी के बीच अपनी जान हथेली पर रखकर बिजली व्यवस्था सुचारू रखने वाले कर्मचारियों को घटिया किस्म की स्नो किट दी जा रही है यह आरोप बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने बोर्ड प्रशासन पर लगाया है यूनियन के अनुसार कर्मियों को पैरा मिल्ट्री की तरह स्नो सूज, विशेष ऐनक और स्नो सूट दिया जाता है यह स्नो किट 3 साल में एक बार दी जाती है लेकिन इस बार बोर्ड प्रबंधन ने घटिया किस्म की स्नो किट दी है. कर्मचारियों के अनुसार यह किट इतनी मजबूत नहीं है कि तीन साल तक चल सके इसके अलावा जूते भी घटिया किस्म के हैं ऐसे में बिना स्नो किट के जनजातीय क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था सुचारू बनाए रखने में परेशानी झेलनी पड़ती है कर्मचारियों को जीरो डिग्री से भी कम तापमान में जान गवानी पड़ सकती है. पहले भी कई कर्मचारी अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं.

Body:बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि इस किट के तहत कर्मचारियों को गिरगिट शूज दिए जाने थे, लेकिन शूज घटिया किस्म के हैं। किट में शामिल गॉगल भी वाईट रंग भेज दी है जबकि यह गॉगल रंगीन होनी चाहिए थी, क्योंकि बर्फ में वाईट गॉगल चमकती है और कर्मचारी सही तरीके से कार्य नहीं कर पाते हैं। वहीं कर्मचारियों से यूनियन तक पहुंचाई गई जानकारी के अनुसार किट में दी गई जैकेट बेहतर क्वालटी की तो है लेकिन वह भी पैरामिट्री पैर्टन पर नहीं दी गई है ताकि बर्फ के बीच ठंड से पूरी तरह से बचा जा सके और बिजली लाईन टूटने पर ठंड से बचते हुए लाइनों को ठीक किया जा सके। बिजली बोर्ड प्रबंधन के घटिया स्नोकिट पर बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने सवालों के घेरे में लिया है। यह भी आरोप लगाए है कि बिजली बोर्ड अधिकारियों ने किट भेजने से पहले कर्मचारी यूनियन को भी किट नहीं दिखाई है।



शिमला व मंडी जोन के जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को बोर्ड प्रबंधन द्वारा स्नोकिट पहुंचा दी गई है। वहीं धर्मशाला जोन में आगामी 4 दिसंबर को किटों के सैंपल को लेकर बैठक है। कर्मचारी यूनियन ने जनजातीय क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को किट भेजने से पहले कर्मचारी यूनियन को न दिखाने पर भी नराजगी जताई है। यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि बोर्ड प्रबंधन के साथ हुई बैठक में निणर्य लिया गया था कि स्नो किट भेजने से पहले कर्मचारी यूनियन को किट दिखाई जाएगी। लेकिन जहां मंडी जोन में किट भेजने से पहले यूनियन पदाधिकारियों को किट दिखाई गई। वहीं शिमला जोन में किट बिना दिखाए बोर्ड ने काजा पर अन्य स्थानों को भेज दी।

Conclusion:जनजातीय क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों के लिए यूनियन ने बोर्ड प्रबंधन से पैरामिलिट्री फोर्स के पैर्टन पर किट दिए जाने की बात कही थी। लेेकिन किट में घटिया जूते व गॉगल दे गई है। हांलाकि किट में दी गई जैकेट बेहतरी क्वालटी की है लेकिन वह भी पैरामिलिट्री फोर्स पैर्टन पर नहीं है। बिजली बोर्ड प्रबंधन को किट के बजट को बढ़ाकर कर्मचारियों को बेहतर किट देनी चाहिए।
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