शिमला: चंबा में दलित युवक मनोहर के निर्मम हत्याकांड के बाद जनता के आक्रोश को देखते हुए अब प्रशासन भी हरकत में आया है. आरोपी परिवार पर सरकारी वन भूमि में अतिक्रमण की बात सामने आते ही तहसीलदार सलूणी विनोद टंडन और वन विभाग के अफसरों ने भूमि की पैमाइश की है. भांदल पंचायत के प्रधान सुरेश के अनुसार आरोपी परिवार के पास कानूनन केवल दो से ढाई बीघा जमीन ही है, लेकिन पैमाइश के बाद करीब सौ बीघा जमीन पर अतिक्रमण पाया गया है. चूंकि इस समय सलूणी में कोई स्थाई एसडीएम नहीं है और इस पद का अतिरिक्त जिम्मा तहसीलदार के पास है, लिहाजा उन्होंने अवैध कब्जे हटाने के निर्देश दिए हैं.
आरोपी परिवार का अतिक्रमण हटाने के आदेश: वहीं, गुरूवार को शिमला में प्रेस वार्ता में पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी खुलासा करते हुए कहा था कि आरोपी परिवार के पास सौ बीघा जमीन है. ये जमीन उसने कैसे कब्जा की, इसकी जांच होनी चाहिए. दूसरी ओर जब कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी भी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंची थी तो उन्होंने एसपी से फोन पर बात की. उस बातचीत में भी आशा कुमारी ने कहा था कि आरोपी परिवार के पास सीमांकित वन वाली जमीन भी कब्जे के रूप में है. स्थानीय लोग भी अब खुलकर इस परिवार की गतिविधियों पर बोल रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि आरोपी परिवार दस हजार फीट की ऊंचाई पर रह रहा था और सर्दियों में छह फीट से अधिक बर्फ में भी उस इलाके को नहीं छोड़ता था.
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आरोपी परिवार पर आंतकी गतिविधियों का आरोप: हिंदू जागरण मंच के प्रदेश महामंत्री कमल गौतम ने कहा कि आरोपी परिवार की संदिग्ध गतिविधियों की एनआईए जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मनोहर हत्याकांड कोई सामान्य घटना नहीं है. आरोपी परिवार के आतंकियों से रिश्ते की आशंका है. कमल गौतम ने बताया कि मनोहर हत्याकांड के आरोपी परिवार की लडकी से जो प्रेम प्रसंग वाली बात उछाली जा रही है, वो भी संदेह के घेरे में है. गौतम का कहना है कि मनोहर ने उस दिन ऐसा क्या देख लिया था कि उसकी हत्या कर दी गई. उन्होंने सवाल उठाया कि सुबह-सवेरे साढ़े सात बजे कौन सिर्फ किसी लड़की से मिलने के मकसद से जा सकता है. ये बात गले नहीं उतरती है. उन्होंने कहा कि आरोपी परिवार पूर्व में सतरुंडी आतंकी हमले में संदेह के घेरे में रहा है और एजेंसी ने उस समय परिवार के मुखिया को जांच में शामिल किया था. ऐसे में मामले की एनआईए जांच जरूरी है.
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