शिमला: प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय में अब उच्च शिक्षा निदेशक से मिलना आसान नहीं होगा. उनके कार्यालय तक पहुंचने के लिए आपको कार्यालय भवन के प्रवेश गेट पर ही तैनात सुरक्षा कर्मी को पहले अपना नाम,पता, मिलने की वजह तक बतानी होगी जिसके बाद रिसेप्शन पर आपको पास मिलेगा और उसी पास के आधार पर आपको शिक्षा निदेशक से मिलने की अनुमति मिल पाएगी.
साथ ही अगर कोई खास वजह आपके पास शिक्षा निदेशक से मिलने की नहीं हुई तो निदेशक से मिलना मुश्किल हो सकता है.
अब उच्च शिक्षा निदेशक से मिलना नहीं होगा आसान, पास पर ही मिलेगी एंट्री
प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय में शिक्षा निदेशक से मिलना अब आसान नहीं है. उनके कार्यालय तक पहुंचने के लिए आपको कार्यालय के भवन के प्रवेश गेट पर ही तैनात सुरक्षा कर्मी को पहले अपना नाम, पता, मिलने की वजह तक बतानी होगी जिसके बाद रिसेप्शन पर आपको पास मिलेगा और उसी पास के आधार पर आपको शिक्षा निदेशक से मिलने की अनुमति मिल पाएगी.
उच्च शिक्षा निदेशालय में पास पर ही मिलेगी एंट्री
शिमला: प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय में अब उच्च शिक्षा निदेशक से मिलना आसान नहीं होगा. उनके कार्यालय तक पहुंचने के लिए आपको कार्यालय भवन के प्रवेश गेट पर ही तैनात सुरक्षा कर्मी को पहले अपना नाम,पता, मिलने की वजह तक बतानी होगी जिसके बाद रिसेप्शन पर आपको पास मिलेगा और उसी पास के आधार पर आपको शिक्षा निदेशक से मिलने की अनुमति मिल पाएगी.
साथ ही अगर कोई खास वजह आपके पास शिक्षा निदेशक से मिलने की नहीं हुई तो निदेशक से मिलना मुश्किल हो सकता है.
Intro:प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय में अगर आपको उच्च शिक्षा निदेशक से मिलना है तो इस खबर को जरा ध्यान से देख लें। शिक्षा निदेशक से मिलना अब आसान नहीं है उनके कार्यालय तक पहुंचने के लिए आपको कार्यालय के भवन के प्रवेश गेट पर ही तैनात सुरक्षा कर्मी को पहले अपना नाम,पता, मिलने की वजह तक बतानी होगी जिसके बाद रिसेप्शन पर आपको पास मिलेगा और उसी पास के आधार पर आपको शिक्षा निदेशक से मिलने की अनुमति मिल पाएगी। साथ ही अगर कोई खास वजह आपके पास शिक्षा निदेशक से मिलने की नहीं हुई तो क्या पता आपको किसी मीटिंग या फिर व्यवस्तता का बहाना दे कर तीन से चार घंटे बाद आने को भी कहा जा सकता है।
Body:यह दूसरी बार है कि उच्च शिक्षा निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा की ओर से यह नई व्यवस्था निदेशालय में की गई है। हालांकि इस तरह की व्यवस्था इतने वर्षों में अभी तक निदेशालय में देखने को नहीं मिली लेकिन शिक्षा निदेशक बार बार इस व्यवस्था को यहां आने वाले विजिटर्स ओर यहां तक कि मीडियाकर्मियों पर भी लागू करते हुए नज़र आ रहे है। बड़ी बात यह है कि उच्च शिक्षा निदेशक के पास रोजना अपने कार्य को लेकर काफी लोग पहुंचते है जिसमें आम जनता से लेकर शिक्षक और अन्य कर्मचारी भी शामिल होते है। अभी तक इन सभी लोगों को शिक्षा निदेशक के कार्यालय में जाने के लिए शिक्षा निदेशक के पीए के पास जा कर स्लिप देनी पड़ती थी लेकिन अब इस नई व्यवस्था के तहत निदेशक से मिलने से पहले रिसेप्शन पर ही निदेशक से मिलने की वजह का ब्यौरा देना होगा।
Conclusion:बता दे की इससे पहले भी शिक्षा निदेशक की ओर से इस तरह की पहल की गई थी। शिक्षा निदेशालय के गेट के बाहर एक सुरक्षा कर्मी को तैनात किया था। यह सुरक्षा कर्मी भी निदेशालय आने जाने वाले लोगों का ब्योरा लेने के साथ ही शिक्षा निदेशालय के कर्मचारियों के भी आने जाने के समय पर निगरानी रख रहा था लेकिन यह प्रक्रिया ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई और कर्मचारियों के विरोध के बाद इस सुरक्षाकर्मी को निदेशालय के गेट से हटा दिया गया और व्यवस्था पहले की तरह ही कर दी गई थी। अब जब दूसरी बार यही व्यवस्था शिक्षा निदेशक की ओर से की गई है तो इस पर भी सवाल खड़े हो रहे है। हलांकि निदेशालय के अधिकारी व्यवस्था ओर अनुशासन के साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से इस पहल को शुरू करने का तर्क दे रहे है लेकिन बड़ा सवाल यह हैं कि यह व्यवस्था इतने वर्षों बाद शिक्षा निदेशालय में ही कियूं लागू की जा रही हैं। हालांकि निदेशालय के इस भवन में सीसीटीवी कैमरा लगे है ओर उसकी स्क्रीन शिक्षा निदेशक के कार्यालय में है जिस से वह निदेशालय आने जाने वाले हर व्यक्ति पर नजर रख सकते है लेकिन इसके बाद भी सुरक्षाकर्मी की तैनाती के साथ ही पास बनाने की नई व्यवस्था निदेशालय में लागू कर दी गई है।
Body:यह दूसरी बार है कि उच्च शिक्षा निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा की ओर से यह नई व्यवस्था निदेशालय में की गई है। हालांकि इस तरह की व्यवस्था इतने वर्षों में अभी तक निदेशालय में देखने को नहीं मिली लेकिन शिक्षा निदेशक बार बार इस व्यवस्था को यहां आने वाले विजिटर्स ओर यहां तक कि मीडियाकर्मियों पर भी लागू करते हुए नज़र आ रहे है। बड़ी बात यह है कि उच्च शिक्षा निदेशक के पास रोजना अपने कार्य को लेकर काफी लोग पहुंचते है जिसमें आम जनता से लेकर शिक्षक और अन्य कर्मचारी भी शामिल होते है। अभी तक इन सभी लोगों को शिक्षा निदेशक के कार्यालय में जाने के लिए शिक्षा निदेशक के पीए के पास जा कर स्लिप देनी पड़ती थी लेकिन अब इस नई व्यवस्था के तहत निदेशक से मिलने से पहले रिसेप्शन पर ही निदेशक से मिलने की वजह का ब्यौरा देना होगा।
Conclusion:बता दे की इससे पहले भी शिक्षा निदेशक की ओर से इस तरह की पहल की गई थी। शिक्षा निदेशालय के गेट के बाहर एक सुरक्षा कर्मी को तैनात किया था। यह सुरक्षा कर्मी भी निदेशालय आने जाने वाले लोगों का ब्योरा लेने के साथ ही शिक्षा निदेशालय के कर्मचारियों के भी आने जाने के समय पर निगरानी रख रहा था लेकिन यह प्रक्रिया ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई और कर्मचारियों के विरोध के बाद इस सुरक्षाकर्मी को निदेशालय के गेट से हटा दिया गया और व्यवस्था पहले की तरह ही कर दी गई थी। अब जब दूसरी बार यही व्यवस्था शिक्षा निदेशक की ओर से की गई है तो इस पर भी सवाल खड़े हो रहे है। हलांकि निदेशालय के अधिकारी व्यवस्था ओर अनुशासन के साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से इस पहल को शुरू करने का तर्क दे रहे है लेकिन बड़ा सवाल यह हैं कि यह व्यवस्था इतने वर्षों बाद शिक्षा निदेशालय में ही कियूं लागू की जा रही हैं। हालांकि निदेशालय के इस भवन में सीसीटीवी कैमरा लगे है ओर उसकी स्क्रीन शिक्षा निदेशक के कार्यालय में है जिस से वह निदेशालय आने जाने वाले हर व्यक्ति पर नजर रख सकते है लेकिन इसके बाद भी सुरक्षाकर्मी की तैनाती के साथ ही पास बनाने की नई व्यवस्था निदेशालय में लागू कर दी गई है।