हैदराबाद: सोशल मीडिया को लेकर केंद्र सरकार ने अपना रुख और कड़ा कर लिया है. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक बार फिर अपनी बात को दोहराया है, उन्होंने दो टूक कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारतीय कानूनों को मानना ही होगा. साथ ही, उन्होंने व्हाट्सएप को कोर्ट में जवाब देने की बात भी कही. इसके साथ रविशंकर की ट्विवटर पर तल्खी साफतौर पर नजर आई.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने पूछा कि ट्विवटर ने लद्दाख को चीन का हिस्सा क्यों बताया. साथ ही उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग ट्विवटर पर राजनैतिक एजेंडा चलाते हैं, एजेंडा चलाने वाले निष्पक्ष कैसे हो सकते हैं. इसके साथ मीडिया आजादी के सवाल पर आईटी मंत्री ने कहा कि अमेरिका में बैठी कंपनियां भारत को नसीहत ना दें और ना ही भारत की कानून व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास करें.
ट्विटर के बयान की सरकार ने की निंदा
आईटी मंत्रालय ने कहा, 'ट्विटर की ओर से जारी किया गया बयान दुर्भाग्यपूर्ण और पूरी तरह से निराधार है. सरकार भारत को बदनाम करने की कोशिश की निंदा करती है.'
इससे पहले गुरुवार को ट्विटर ने दिल्ली पुलिस द्वारा अपने कार्यालयों की यात्रा को 'डराने' का एक रूप बताया और कहा कि वह अपने कर्मचारियों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे के बारे में चिंतित है.
ट्विटर ने सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं द्वारा विपक्ष के एक कथित रणनीति दस्तावेज पर COVID-19 पर सरकार को 'मैनिपुलेटेड मीडिया' के रूप में लक्षित करने के लिए कई ट्वीट्स को चिह्नित किया था. हालांकि कंपनी ने कहा कि वह देश में अपनी सेवा उपलब्ध रखने के लिए भारत में लागू कानून का पालन करने का प्रयास करेगी.
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने आगे कहा कि वह नए आईटी नियमों के तत्वों में बदलाव के लिए स्वतंत्र और खुली सार्वजनिक बातचीत की वकालत करने की योजना बना रहा है.
व्हॉट्सएप यूजर्स को डरने की जरूरत नहीं
प्रसाद ने कहा, 'व्हॉट्सएप के आम उपयोगकर्ताओं को नए नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं है. इनका मूल मकसद यह पता लगाना है कि नियमों में उल्लिखित विशिष्ट अपराधों को अंजाम देने वाले संदेश को किसने शुरू किया. 'उन्होंने कहा कि नए आईटी नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को एक भारत केंद्रित शिकायत निवारण अधिकारी, अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, ताकि सोशल मीडिया के लाखों उपयोगकर्ताओं को उनकी शिकायत के निवारण के लिए एक मंच मिल सके.
व्हॉट्सएप ने दी है नए नियमों को चुनौती
व्हॉट्सएप ने सरकार के नए डिजिटल नियमों को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है जिसके एक दिन बार सरकार की यह प्रतिक्रिया आई है. व्हॉट्सएप का कहना है कि कूट संदेशों तक पहुंच उपलब्ध कराने से निजता का बचाव कवर टूट जायेगा. नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी. इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हॉट्सएप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों (जिनके देश में 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं) को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी.
इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं. नियमों का पालन न करने पर इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपने इंटरमीडिएरी दर्जे को खोना पड़ सकता है. यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा 'होस्ट' किए गए डाटा के लिए देनदारियों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है. दूसरे शब्दों में इसका दर्जा समाप्त होने के बाद शिकायत होने पर उन पर कार्रवाई की जा सकती है.
निजता के अधिकार का सम्मान करती है सरकार
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार निजता के अधिकार का पूरा सम्मान करती है. व्हॉट्सएप जैसे संदेश मंचों को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है. इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से नये नियमों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है.
ये भी पढ़ें: ट्विटर का 'डराने-धमकाने' संबंधी आरोप झूठा, आधारहीन : आईटी मंत्रालय