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जानिए गुड़िया रेप मर्डर केस की पूरी कहानी, कैसे नीलू चरानी तक पहुंची थी सीबीआई

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Published : Jun 18, 2021, 8:44 PM IST

बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी को लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार सजा सुना दी गई. आरोपी नीलू चरानी ने कोटखाई के दांदी जंगल में दसवीं कक्षा की छात्रा के साथ 4 जुलाई 2017 को दुष्कर्म हुआ और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी. नौ महीने की जांच में सीबीआई ने गुड़िया के गुनहगार को पकड़ा था, लेकिन इस बीच राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम के अफसर भी लापरवाही के कारण कानून के शिकंजे में आए. आईजी रैंक के अफसर को जेल जाना पड़ा.

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फोटो.

शिमला: बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी को लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार सजा सुना दी गई. सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी को अलग-अलग धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई. इसके साथ ही दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

इस बहुचर्चित अपराध के कारण उस समय कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था और विपक्ष ने चुनावों में कानून व्यवस्था का मुद्दा जोरों से उठाया था. हालांकि अदालत के फैसले के बाद दोषी नीलू ने खुद को बेगुनाह बताया. पत्रकारों द्वारा पूछने पर दोषी ने कहा कि वह बेगुनाह है और जानबूझ कर सीबीआई ने फसाया है.

आपको बता दें कि कोटखाई के दांदी जंगल में दसवीं कक्षा की छात्रा के साथ 4 जुलाई 2017 को दुष्कर्म हुआ और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई. दो दिन बाद उसका पार्थिव शरीर नग्न अवस्था में एक खाई में मिला. जनता के आक्रोश का दबाव और हाईकोर्ट की पहल पर जांच सीबीआई को सौंपी गई. नौ महीने की जांच में सीबीआई ने गुड़िया के गुनहगार को पकड़ लिया, लेकिन इस बीच, राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम के अफसर भी लापरवाही के कारण कानून के शिकंजे में आए. आईजी रैंक के अफसर को जेल जाना पड़ा.

नीलू ने की दुष्कर्म के बाद हत्या

गुड़िया के लिए 4 जुलाई का वो अभागा दिन था, जब वो स्कूल से घर के लिए अकेली निकली. जान-पहचान का रास्ता और वही जाने-पहचाने दांदी के जंगल के देवदार, लेकिन एक दरिंदे के वहशीपन ने एक मासूम के सपने का संसार पल भर में नष्ट कर दिया. गुड़िया को अकेला पाकर चरानी नीलू के भीतर का शैतान जाग गया और उसने दरिंदगी की हदें पार करते हुए गुड़िया के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी.

शिमला पुलिस ने पहले जांच की और फिर सरकार ने जांच के लिए एसआईटी बना दी. एसआईटी ने कथित रूप से तत्परता दिखाते हुए कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया और पुलिस ने शिमला में मीडिया से बातचीत में अपनी पीठ थपथपा ली. इसी बीच, एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए एक नेपाली की हवालात में मौत हो गई. इससे मामला बिगड़ गया. जन आक्रोश फैला तो जांच सीबीआई को दी गई. सीबीआई ने गुड़िया रेप एंड मर्डर केस से पहले हवालात में मौत का केस सुलझाने पर फोकस किया और एसआईटी के मुखिया जहूर जैदी सहित अन्य को गिरफ्तार कर लिया.

नीलू चरानी की गिरफ्तारी

उसके बाद सीबीआई ने गुड़िया के गुनहगार को पकड़ने पर ध्यान दिया और साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर एक चरानी नीलू की गिरफ्तारी हुई. मामले में चालान पेश किया गया और अदालत में सुनवाई शुरू हुई, लेकिन कोविड़ संकट के कारण सुनवाई धीमी गति से चलती रही. गुड़िया के गुनहगार को पकड़ना सीबीआई के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हो गया था. एक तो हिमाचल पुलिस की लापरवाही से मौके पर के सारे सुबूत नष्ट हो गए थे, ऊपर से प्रदेश की जनता में ये संदेश गहरे तक चला गया था कि गुनहगार प्रभावशाली लोग हैं.

ये सब हिमाचल पुलिस की लापरवाह जांच के कारण हुआ था. हैरानी की बात है कि आईजी रैंक के अफसर, एसपी व डीएसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारी इस कदर जल्दबाजी में थे कि उन्होंने बेसिर-पैर की थ्योरी तैयार कर निर्दोष लोग पकड़ लिए. यदि हिमाचल पुलिस की एसआईटी धैर्य के साथ जांच करती और जुन्गा फॉरेंसिक लैब में आए सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार करती तो आईजी जहूर एच जैदी और अन्य पुलिस अधिकारी हिरासत में न होते. सीबीआई की अंतिम स्टेट्स रिपोर्ट के बाद ये तय हो गया था कि गुनहगार केवल व केवल चरानी अनिल उर्फ नीलू ही है. नीलू की आपराधिक पृष्ठभूमि व नशेड़ी स्वभाव की पुष्टि उसके परिवार वालों ने भी की है.

नशे में किया दुष्कर्म और की गुड़िया की हत्या

साइंटिफिक एविडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से गुड़िया के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी. जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त 2017 में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं. यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे. उस जांच के बाद ये तय हो गया कि गुनहगार एक ही है.

गुड़िया के सीने पर थे नीलू के दांत के निशान

गुनहगार नीलू ने गुड़िया के सीने पर दांत से काटा था. जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि मृत शरीर में सीने से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था. बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली लैब में इस जांच को पुष्ट किया. मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी. उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि केवल एक आदमी ने ही दुष्कर्म किया है, न कि गैंगरेप हुआ है.

सीबीआई ने लिए थे 250 सैंपल

सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुड़िया के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ. यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का नहीं था. कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी.

लीनिएज सैंपलिंग से मिली मदद

इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा. सीबीआई ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया. इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुड़िया के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया. इससे ये पक्का हो गया कि नीलू ही गुनहगार है. लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई. चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है.

बाद में सीबीआई ने ऐसे आदमियों की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. इन लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क रहता था. नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया. नीलू ने इसी बीच हाटकोटी से एक आदमी को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम को लेकर पूछताछ की. सीबीआई इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी. जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया.

अपराधी मानसिकता वाला हो गया था नीलू

नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया. अब सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा था. इसके आधार पर सीबीआई ने चार्जशीट तैयार की. यहां बता दें कि आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेड़खानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था. उस मामले में बाद में उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो आदतन अपराधी मानसिकता वाला हो गया था.

  • कब क्या हुआ
    4 जुलाई 2017- कोटखाई के हलाईला क्षेत्र के स्कूल की छात्रा गायब.
    5 जुलाई परिजनों ने छात्रा की जंगल में तलाश की.
    6 जुलाई हलाइला के जंगल में मिला शव, पुलिस ने की जांच शुरु.
    7 जुलाई पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि.
    10 जुलाई राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की, आइजी जहूर जैदी को सौंपा गया जिम्मा।
    11 जुलाई चार युवकों को पूछताछ के लिए पकड़ा.
    18 जुलाई आधी रात को पुलिस हिरासत में एक कथित आरोपित की हत्या।
    19 जुलाई हाईकोर्ट ने सीबीआइ को सौंपा जांच का जिम्मा।
    22 जुलाई सीबीआइ ने दिल्ली में किए दो अलग-अलग मामले दर्ज।
    29 अगस्त आइजी सहित आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार.
    16 नवंबर पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआइ ने किया गिरफ्तार.
    25 नवंबर सीबीआइ द्वारा एसआईटी के खिलाफ चार्जशीट दायर.
    25 अप्रैल 2018 सीबीआइ ने कोर्ट में फाईनल स्टेट्स रिपोर्ट पेश की.
    5 अप्रैल 2019 आईजी जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत.
    18 अप्रैल 2019 पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को हाईकोर्ट से मिली जमानत.
  • 28 अप्रैल 2021 को नीलू चरानी दोषी करार.
  • 18 जून 2021 को कोर्ट ने नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई.

ये भी पढ़ें: गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामला: दोषी नीलू को कोर्ट ने सुनाई सजा

शिमला: बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी को लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार सजा सुना दी गई. सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी को अलग-अलग धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई. इसके साथ ही दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

इस बहुचर्चित अपराध के कारण उस समय कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था और विपक्ष ने चुनावों में कानून व्यवस्था का मुद्दा जोरों से उठाया था. हालांकि अदालत के फैसले के बाद दोषी नीलू ने खुद को बेगुनाह बताया. पत्रकारों द्वारा पूछने पर दोषी ने कहा कि वह बेगुनाह है और जानबूझ कर सीबीआई ने फसाया है.

आपको बता दें कि कोटखाई के दांदी जंगल में दसवीं कक्षा की छात्रा के साथ 4 जुलाई 2017 को दुष्कर्म हुआ और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई. दो दिन बाद उसका पार्थिव शरीर नग्न अवस्था में एक खाई में मिला. जनता के आक्रोश का दबाव और हाईकोर्ट की पहल पर जांच सीबीआई को सौंपी गई. नौ महीने की जांच में सीबीआई ने गुड़िया के गुनहगार को पकड़ लिया, लेकिन इस बीच, राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम के अफसर भी लापरवाही के कारण कानून के शिकंजे में आए. आईजी रैंक के अफसर को जेल जाना पड़ा.

नीलू ने की दुष्कर्म के बाद हत्या

गुड़िया के लिए 4 जुलाई का वो अभागा दिन था, जब वो स्कूल से घर के लिए अकेली निकली. जान-पहचान का रास्ता और वही जाने-पहचाने दांदी के जंगल के देवदार, लेकिन एक दरिंदे के वहशीपन ने एक मासूम के सपने का संसार पल भर में नष्ट कर दिया. गुड़िया को अकेला पाकर चरानी नीलू के भीतर का शैतान जाग गया और उसने दरिंदगी की हदें पार करते हुए गुड़िया के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी.

शिमला पुलिस ने पहले जांच की और फिर सरकार ने जांच के लिए एसआईटी बना दी. एसआईटी ने कथित रूप से तत्परता दिखाते हुए कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया और पुलिस ने शिमला में मीडिया से बातचीत में अपनी पीठ थपथपा ली. इसी बीच, एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए एक नेपाली की हवालात में मौत हो गई. इससे मामला बिगड़ गया. जन आक्रोश फैला तो जांच सीबीआई को दी गई. सीबीआई ने गुड़िया रेप एंड मर्डर केस से पहले हवालात में मौत का केस सुलझाने पर फोकस किया और एसआईटी के मुखिया जहूर जैदी सहित अन्य को गिरफ्तार कर लिया.

नीलू चरानी की गिरफ्तारी

उसके बाद सीबीआई ने गुड़िया के गुनहगार को पकड़ने पर ध्यान दिया और साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर एक चरानी नीलू की गिरफ्तारी हुई. मामले में चालान पेश किया गया और अदालत में सुनवाई शुरू हुई, लेकिन कोविड़ संकट के कारण सुनवाई धीमी गति से चलती रही. गुड़िया के गुनहगार को पकड़ना सीबीआई के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हो गया था. एक तो हिमाचल पुलिस की लापरवाही से मौके पर के सारे सुबूत नष्ट हो गए थे, ऊपर से प्रदेश की जनता में ये संदेश गहरे तक चला गया था कि गुनहगार प्रभावशाली लोग हैं.

ये सब हिमाचल पुलिस की लापरवाह जांच के कारण हुआ था. हैरानी की बात है कि आईजी रैंक के अफसर, एसपी व डीएसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारी इस कदर जल्दबाजी में थे कि उन्होंने बेसिर-पैर की थ्योरी तैयार कर निर्दोष लोग पकड़ लिए. यदि हिमाचल पुलिस की एसआईटी धैर्य के साथ जांच करती और जुन्गा फॉरेंसिक लैब में आए सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार करती तो आईजी जहूर एच जैदी और अन्य पुलिस अधिकारी हिरासत में न होते. सीबीआई की अंतिम स्टेट्स रिपोर्ट के बाद ये तय हो गया था कि गुनहगार केवल व केवल चरानी अनिल उर्फ नीलू ही है. नीलू की आपराधिक पृष्ठभूमि व नशेड़ी स्वभाव की पुष्टि उसके परिवार वालों ने भी की है.

नशे में किया दुष्कर्म और की गुड़िया की हत्या

साइंटिफिक एविडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से गुड़िया के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी. जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त 2017 में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं. यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे. उस जांच के बाद ये तय हो गया कि गुनहगार एक ही है.

गुड़िया के सीने पर थे नीलू के दांत के निशान

गुनहगार नीलू ने गुड़िया के सीने पर दांत से काटा था. जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि मृत शरीर में सीने से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था. बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली लैब में इस जांच को पुष्ट किया. मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी. उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि केवल एक आदमी ने ही दुष्कर्म किया है, न कि गैंगरेप हुआ है.

सीबीआई ने लिए थे 250 सैंपल

सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुड़िया के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ. यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का नहीं था. कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी.

लीनिएज सैंपलिंग से मिली मदद

इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा. सीबीआई ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया. इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुड़िया के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया. इससे ये पक्का हो गया कि नीलू ही गुनहगार है. लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई. चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है.

बाद में सीबीआई ने ऐसे आदमियों की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. इन लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क रहता था. नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया. नीलू ने इसी बीच हाटकोटी से एक आदमी को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम को लेकर पूछताछ की. सीबीआई इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी. जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया.

अपराधी मानसिकता वाला हो गया था नीलू

नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया. अब सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा था. इसके आधार पर सीबीआई ने चार्जशीट तैयार की. यहां बता दें कि आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेड़खानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था. उस मामले में बाद में उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो आदतन अपराधी मानसिकता वाला हो गया था.

  • कब क्या हुआ
    4 जुलाई 2017- कोटखाई के हलाईला क्षेत्र के स्कूल की छात्रा गायब.
    5 जुलाई परिजनों ने छात्रा की जंगल में तलाश की.
    6 जुलाई हलाइला के जंगल में मिला शव, पुलिस ने की जांच शुरु.
    7 जुलाई पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि.
    10 जुलाई राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की, आइजी जहूर जैदी को सौंपा गया जिम्मा।
    11 जुलाई चार युवकों को पूछताछ के लिए पकड़ा.
    18 जुलाई आधी रात को पुलिस हिरासत में एक कथित आरोपित की हत्या।
    19 जुलाई हाईकोर्ट ने सीबीआइ को सौंपा जांच का जिम्मा।
    22 जुलाई सीबीआइ ने दिल्ली में किए दो अलग-अलग मामले दर्ज।
    29 अगस्त आइजी सहित आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार.
    16 नवंबर पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआइ ने किया गिरफ्तार.
    25 नवंबर सीबीआइ द्वारा एसआईटी के खिलाफ चार्जशीट दायर.
    25 अप्रैल 2018 सीबीआइ ने कोर्ट में फाईनल स्टेट्स रिपोर्ट पेश की.
    5 अप्रैल 2019 आईजी जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत.
    18 अप्रैल 2019 पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को हाईकोर्ट से मिली जमानत.
  • 28 अप्रैल 2021 को नीलू चरानी दोषी करार.
  • 18 जून 2021 को कोर्ट ने नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई.

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