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चंबा में 14 की जगह ठेकेदार ने काट दिए 57 देवदार के पेड़, हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा मामला दर्ज क्यों नहीं किया

हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि चंबा के चुराह में अवैध रूप से देवदार के पेड़ काटने के मामले में ठेकेदार पर मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया. वहीं, अदालत ने इस मामले में वन निगम के एमडी को प्रतिवादी बनाए जाने के आदेश जारी किया.

Case of illegal tree cutting in Chamba
Case of illegal tree cutting in Chamba
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Published : May 5, 2023, 6:32 AM IST

शिमला: जिला चंबा के चुराह में अवैध रूप से देवदार के 57 हरे पेड़ काटने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने इसे लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि ठेकेदार पर आपराधिक मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया?. यही नहीं अदालत ने हिमाचल प्रदेश वन निगम के एमडी यानी प्रबंध निदेशक को इस मामले में प्रतिवादी बनाए जाने के आदेश भी जारी किए हैं.

9 मई को फिर होगी सुनवाई: हाईकोर्ट ने वन निगम के निदेशक से दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला न चलाने के बारे में स्पष्टीकरण भी तलब किया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 9 मई को निर्धारित की है.
जिला चंबा के चुराह में देवदार के हरे पेड़ों पर अवैध रूप से कुल्हाड़ी चलाई गई.

14 की जगह 57 पेड़ काट दिए: मामले के अनुसार चुराह में ठेकेदार को 14 सूखे पेड़ काटने के लिए मंजूरी दी गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि सूखे पेड़ों को काटने की आड़ में झगड़ सिंह नामक ठेकेदार ने देवदार के 57 हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला दी. वन विभाग ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि इस जुर्म के लिए ठेकेदार पर 16.67 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस पर खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए है कि वह अदालत को बताए कि दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला क्यों नहीं चलाया गया है?. साथ ही अदालत ने पूछा कि ठेकेदार से जुर्माने की राशि को वसूलने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?.

सुबूत मिटाने की कोशिश : इस संदर्भ में अदालत ने दाखिल की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुराह वन मंडल के दायरे में आने वाले शक्ति जंगल में देवदार के पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है. शक्ति जंगल में वन निगम को 25 से 30 सूखे पेड़ों को काटने का लॉट जारी हुआ था. निगम के ठेकेदार झगड़ सिंह ने इस लॉट की आड़ में अधिक देवदार के कीमती हरे पेड़ों की बलि दे दी. इतना ही नहीं, काटे हुए पेड़ों के ठूंठों को जलाकर सुबूत मिटाने की कोशिश भी की गई.

शिकायत के बाद भी नहीं की कार्रवाई: वन निगम के ठेकेदार को चचोल वन बीट में भी सूखे पेड़ों को काटने का लॉट दिया गया है. याचिकाकर्ता ने अंदेशा जताया है कि ठेकेदार ने वहां भी हरे पेड़ों का अवैध कटान किया होगा. याचिका में वन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि लिखित शिकायत करने के बावजूद ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है.

सरकार से स्पष्टीकरण मांगा: याचिकाकर्ता ने अदालत ने गुहार लगाई है कि अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए जाए. प्रतिवादी ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की गुहार भी लगाई गई है. हाईकोर्ट ने इस केस में न केवल वन निगम के एमडी को प्रतिवादी बनाया, बल्कि सरकार से स्पष्टीकरण भी तलब किया है.

ये भी पढ़ें : हिमाचल प्रदेश में धड़ाधड़ लीज पर दी जा रही जमीन के तंत्र को खत्म करने की उठी मांग

शिमला: जिला चंबा के चुराह में अवैध रूप से देवदार के 57 हरे पेड़ काटने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने इसे लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि ठेकेदार पर आपराधिक मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया?. यही नहीं अदालत ने हिमाचल प्रदेश वन निगम के एमडी यानी प्रबंध निदेशक को इस मामले में प्रतिवादी बनाए जाने के आदेश भी जारी किए हैं.

9 मई को फिर होगी सुनवाई: हाईकोर्ट ने वन निगम के निदेशक से दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला न चलाने के बारे में स्पष्टीकरण भी तलब किया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 9 मई को निर्धारित की है.
जिला चंबा के चुराह में देवदार के हरे पेड़ों पर अवैध रूप से कुल्हाड़ी चलाई गई.

14 की जगह 57 पेड़ काट दिए: मामले के अनुसार चुराह में ठेकेदार को 14 सूखे पेड़ काटने के लिए मंजूरी दी गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि सूखे पेड़ों को काटने की आड़ में झगड़ सिंह नामक ठेकेदार ने देवदार के 57 हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला दी. वन विभाग ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि इस जुर्म के लिए ठेकेदार पर 16.67 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस पर खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए है कि वह अदालत को बताए कि दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला क्यों नहीं चलाया गया है?. साथ ही अदालत ने पूछा कि ठेकेदार से जुर्माने की राशि को वसूलने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?.

सुबूत मिटाने की कोशिश : इस संदर्भ में अदालत ने दाखिल की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुराह वन मंडल के दायरे में आने वाले शक्ति जंगल में देवदार के पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है. शक्ति जंगल में वन निगम को 25 से 30 सूखे पेड़ों को काटने का लॉट जारी हुआ था. निगम के ठेकेदार झगड़ सिंह ने इस लॉट की आड़ में अधिक देवदार के कीमती हरे पेड़ों की बलि दे दी. इतना ही नहीं, काटे हुए पेड़ों के ठूंठों को जलाकर सुबूत मिटाने की कोशिश भी की गई.

शिकायत के बाद भी नहीं की कार्रवाई: वन निगम के ठेकेदार को चचोल वन बीट में भी सूखे पेड़ों को काटने का लॉट दिया गया है. याचिकाकर्ता ने अंदेशा जताया है कि ठेकेदार ने वहां भी हरे पेड़ों का अवैध कटान किया होगा. याचिका में वन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि लिखित शिकायत करने के बावजूद ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है.

सरकार से स्पष्टीकरण मांगा: याचिकाकर्ता ने अदालत ने गुहार लगाई है कि अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए जाए. प्रतिवादी ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की गुहार भी लगाई गई है. हाईकोर्ट ने इस केस में न केवल वन निगम के एमडी को प्रतिवादी बनाया, बल्कि सरकार से स्पष्टीकरण भी तलब किया है.

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