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MMU के छात्रों से 103 करोड़ अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूलने का मामला, हाई कोर्ट ने सरकार से तलब किया जवाब

महर्षि मार्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी यानी MMU में छात्रों से 103 करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूलने के मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. खंडपीठ ने जवाब तलब कर अब मामले की सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की गई है. पढ़ें पूरा मामला...

Himachal High Court News
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट.
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Published : Mar 9, 2023, 9:27 PM IST

शिमला: जिला सोलन के कुमारहट्टी स्थित निजी विश्वविद्यालय महर्षि मार्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी यानी MMU में छात्रों से 103 करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूलने के मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. हाई कोर्ट की कार्यवाहक न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए.

खंडपीठ ने जवाब तलब कर अब मामले की सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की गई है. मामले के अनुसार छात्रों की शिकायत पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने जांच के बाद पाया था कि वर्ष 2012 से वर्ष 2020 यानी आठ साल की अवधि के दौरान यूनिवर्सिटी के तहत मेडिकल कॉलेज में पढ़े करीब 1100 एमबीबीएस छात्रों से 103 करोड़, 96 लाख 53 हजार रुपए की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूल गई है. इस कारण महर्षि मार्कंड्येश्वर यूनिवर्सिटी के तहत मेडिकल कॉलेज कुमारहट्टी पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने 45 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया.

MMU प्रशासन ने जुर्माना लगाए जाने के आदेश को हाई कोर्ट के समक्ष याचिका के माध्यम से चुनौती दी. एमएमयू प्रबंधन की याचिका में दलील दी गई है कि प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की तरफ से पारित जुर्माने संबंधी आदेश पर आयोग के संपूर्ण कोरम द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए थे. इस पर आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि कमीशन के दो सदस्यों ने इस मामले की सुनवाई की थी. निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के एक मेंबर शशिकांत शर्मा ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि उनकी बेटी भी यूनिवर्सिटी में नामांकित थी.

आयोग ने उक्त वसूली सबंधी आदेश वर्ष 2013-14 बैच की एमबीबीएस छात्रा निवेदिता राव व यामिनी की शिकायत पर पारित किए थे. छात्राओं ने शिकायत की थी कि उन्होंने अतिरिक्त ट्यूशन फीस की वसूली को लेकर शुरू में ही विरोध किया था, लेकिन उन्हें ये कहकर धमकाया गया कि फीस न जमा करने पर डिग्री पूरी नहीं होने दी जाएगी. आयोग की जांच में ये पाया गया था कि छात्रों से सौ करोड़ रुपए अधिक की एक्स्ट्रा ट्यूशन फीस वसूल की गई. अब पूरे मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

ये भी पढ़ें- UNA: लड़कियों के Viral Video को लेकर दर्ज हुआ केस, एक युवती ने दूसरी को जड़े थे धड़ाधड़ थप्पड़

शिमला: जिला सोलन के कुमारहट्टी स्थित निजी विश्वविद्यालय महर्षि मार्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी यानी MMU में छात्रों से 103 करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूलने के मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. हाई कोर्ट की कार्यवाहक न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए.

खंडपीठ ने जवाब तलब कर अब मामले की सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की गई है. मामले के अनुसार छात्रों की शिकायत पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने जांच के बाद पाया था कि वर्ष 2012 से वर्ष 2020 यानी आठ साल की अवधि के दौरान यूनिवर्सिटी के तहत मेडिकल कॉलेज में पढ़े करीब 1100 एमबीबीएस छात्रों से 103 करोड़, 96 लाख 53 हजार रुपए की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूल गई है. इस कारण महर्षि मार्कंड्येश्वर यूनिवर्सिटी के तहत मेडिकल कॉलेज कुमारहट्टी पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने 45 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया.

MMU प्रशासन ने जुर्माना लगाए जाने के आदेश को हाई कोर्ट के समक्ष याचिका के माध्यम से चुनौती दी. एमएमयू प्रबंधन की याचिका में दलील दी गई है कि प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की तरफ से पारित जुर्माने संबंधी आदेश पर आयोग के संपूर्ण कोरम द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए थे. इस पर आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि कमीशन के दो सदस्यों ने इस मामले की सुनवाई की थी. निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के एक मेंबर शशिकांत शर्मा ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि उनकी बेटी भी यूनिवर्सिटी में नामांकित थी.

आयोग ने उक्त वसूली सबंधी आदेश वर्ष 2013-14 बैच की एमबीबीएस छात्रा निवेदिता राव व यामिनी की शिकायत पर पारित किए थे. छात्राओं ने शिकायत की थी कि उन्होंने अतिरिक्त ट्यूशन फीस की वसूली को लेकर शुरू में ही विरोध किया था, लेकिन उन्हें ये कहकर धमकाया गया कि फीस न जमा करने पर डिग्री पूरी नहीं होने दी जाएगी. आयोग की जांच में ये पाया गया था कि छात्रों से सौ करोड़ रुपए अधिक की एक्स्ट्रा ट्यूशन फीस वसूल की गई. अब पूरे मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

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