शिमला: हिमाचल में सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका की प्रारंभिक सुनवाई में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव और वित्त सचिव को नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना और न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मंडी निवासी कल्पना देवी की याचिका की प्रारम्भिक सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव वित्त को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया.
उल्लेखनीय है कि एक अन्य याचिका में भी सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी गयी है. उस याचिका पर सुनवाई 21 अप्रैल को होनी है. वहीं, मंडी निवासी कल्पना की याचिका पर भी सुनवाई हुई है. कल्पना की याचिका में हिमाचल प्रदेश में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. राज्य सरकार ने हाल ही में छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है. अदालत में दाखिल याचिका में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी प्रतिवादी बनाया गया है.
इसमें मुख्यमंत्री के अतिरिक्त अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को भी प्रतिवादी बनाया है. प्रार्थी ने याचिका में यह आरोप लगाया है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति कानून के अनुसार नहीं है. यह लोग मंत्रियों के बराबर वेतन व अन्य सुविधाएं ले रहे हैं. यह पहले से ही प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा एक मामले में जारी किए गए निर्णय के विपरीत है.
यही नहीं संसदीय सचिवों की नियुक्ति को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी गैरकानूनी ठहरा चुका है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती. प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों को नियुक्ति देने के पश्चात मंत्रियों की संख्या में 15 फीसदी से अधिक की वृद्धि हो गई है. इस कारण मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द किया जाना चाहिए. इन नियुक्तियों से राजकोष पर सालाना 10 करोड़ से अधिक का बोझ पड़ेगा.