शिमलाः सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ठगी का शिकार होने से बचने के लिए शिक्षण संस्थानों का भी सहयोग लिया जाएगा. टेक्नॉलजी की इस दुनिया में छात्रों का सोश्ल मीडिया को लेकर काफी क्रैज है. ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर तो सोशल नेटवर्किंग साइट्स में एक तरह की प्रतिस्पर्धा लगी है. तरह-तरह के प्रोडक्ट्स को सस्ते दामों पर बेचने के लिए लोगों को लुभाया जाता है. लेकिन जागरूकता की कमी से कई बार लोग सोश्ल नेटवार्किंग पर ठगी का शिकार भी हो जाते हैं.
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने शिक्षण संसथानों को जारी किये निर्देश
इस बारे में सरकारी स्तर पर भी जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं. वहीं, अब शिक्षण संस्थानों को भी साइबर क्राइम रिपोर्ट को लेकर छात्रों को जागरूक करने के लिया कहा गया है. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने शिक्षण संसथानों से छात्रों को इस बारे में जागरूक करने के निर्देश दिए हैं.
विश्वविद्यालयों में साइबर क्राइम को लेकर जागरूक करने के आदेश
छात्रों का सोश्ल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करना आम बात है. ऐसे में यूजीसी का मानना है कि युवा अगर खुद जागरूक होगा तो काफी हद तक साइबर अपराध को रोकने में मदद मिलेगी. इस बारे में यूजीसी ने प्रदेश के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में साइबर क्राइम को लेकर जागरूक करने के आदेश जारी किए हैं.
शिक्षण संस्थानों को साइबर क्राइम के बारे में छात्रों को जागरूक करने के लिए शिक्षण संस्थानों में कंपटीशन, वर्कशॉप, सेमिनार करवाने के निर्देश दिए गए हैं. यूजीसी ने कहा है कि शिक्षण संस्थानो में इनमें ऐसे शिक्षाविदों को बुलाया जाए जो इस विषय की जानकारी रखते हों.
यूजी और पीजी के छात्रों को किया जाएगा जागरुक
शिक्षण संस्थान की ऑफिशियल वेबसाइट को भी इस विषय को लेकर एक्टिव किया जा सकता है. जिसमें नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल को संस्थान की वेबसाइट से लिंक किया जा सकता है ताकि छात्रों को इसमें जरूरी जानकारी मिल सके. यूजीसी ने शिक्षण संस्थान को साइबर क्राइम से सम्बंधित कुछ प्वाइंट्स पर काम करने के निर्देश दिए हैं. जिसमें यूजी और पीजी के छात्रों के लिए छात्रों को साइबर क्राइम के बारे ट्रेनिंग देना, सभी विषय के साथ साइबर सेफ विषय को भी स्ट्रीम में शामिल करना, नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करना शामिल है.
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