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कोरोना काल में पीपीई किट खरीद में घोटाले से जुड़े मामले में पूर्व स्वास्थ्य निदेशक की जमानत याचिका खारिज

कोरोना के समय में कोरोना योद्धाओं के लिए मास्क, ग्लव्स, थर्मल स्कैनर और पीपीई किट जैसे उपकरणों की खरीद की पेमेंट रिलीज करने के लिए लाखों के लेनदेन से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. (PPE Kit Scam during corona in Himachal) (Anticipatory Bail Plea Of Former Director Dr Ajay) (Himachal High Court)

Anticipatory Bail Plea Of Former Director Dr Ajay Kumar Gupta Rejected
कोरोना काल में पीपीई किट खरीद में घोटाले से जुड़े मामले में पूर्व स्वास्थ्य निदेशक की जमानत याचिका खारिज
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Published : Dec 11, 2022, 11:10 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना के समय में कोरोना योद्धाओं के लिए मास्क, ग्लव्स, थर्मल स्कैनर और पीपीई किट जैसे उपकरणों की खरीद की पेमेंट रिलीज करने के लिए लाखों के लेनदेन से जुड़े मामले में स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि जनहित के सामने निजी हित के संतुलन को देखते हुए अंतरिम जमानत प्रदान करने योग्य यह मामला नहीं बनता. (PPE Kit Scam during corona in Himachal) (Anticipatory Bail Plea Of Former Director Dr Ajay) (Himachal High Court)

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता और बलराम के बीच आपसी बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ था. इसकी जांच में जुटी विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो को अहम सुबूत मिले थे. जांच में सामने आया था कि डील उसी दिन हुई, जिस दिन फोन पर रिकॉर्डिंग की गई. स्टेट विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो के जांच अधिकारी डीएसपी ने सरकार से पूर्व निदेशक के खिलाफ नियमित मामला पंजीकृत करने के लिए अनुमति मांगी थी. 17 सितम्बर 2022 को अनुमति मिलने के बाद 22 सितम्बर को स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

मामला वर्ष 2020 का है जब कोरोना वारियर्ज की सुरक्षा के लिए जरूरी मशीनों और उपकरणों की खरीद स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई थी. पांच एबीजी मशीनों की खरीद के लिए 30 लाख रुपए एक कंपनी के नाम स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने स्वीकृत किए थे. बलराम और डॉ. अजय कुमार गुप्ता के बीच 85 हजार रुपए प्रति मशीन कमीशन तय हुई थी जिसमें 80 फीसदी पूर्व निदेशक ने लिए और 20 फीसदी बलराम ने फिर रिश्वत की राशि 4 लाख 25 हजार बनाई गई. अंतत: डॉक्टर ने रिश्वत के 3 लाख 40 हजार की मांग की. बलराम ने अपना अकाउंट एनआईटी सिमरन डायग्नोस्टिक्स के नाम खोला था जिसमें मैसर्ज क्रोमा सिस्टम कंपनी ने लगभग साढ़े 14 लाख रुपए भेजे.(PPE Kit Scam during corona in Himachal) (Anticipatory Bail Plea Of Former Director Dr Ajay) (Himachal High Court)

इसके बाद बलराम ने डॉक्टर का शेयर 3 लाख 40 हजार रुपए रेणु बाला के अकाउंट में भेजे. जांच के अनुसार रेणु बाला के अकाउंट में जो रुपए भेजे गए थे वो बलराम ने डॉ. अजय कुमार गुप्ता के कहने पर डाले गए थे. इतना ही नहीं बलराम ने प्रति थर्मल स्कैनर के लिए 1500 रुपए कट मनी देने का वादा भी डॉक्टर से किया था. सरकार ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इतने ऊंचे ओहदे पर बैठे एक डॉक्टर से आपातकाल में ऐसी रिश्वतखोरी की कतई उम्मीद नहीं की जा सकती. उन्हें महामारी के दौरान आवश्यक उपकरणों की खरीद में पारदर्शिता बरतनी चाहिए थी. जांच के मुताबिक डॉक्टर ने रिश्वत की मांग भी की और उसे स्वीकार भी किया.

ये भी पढ़ें: नेशनल कंज्यूमर फोरम के आदेश को हाईकोर्ट के समक्ष नहीं दी जा सकती चुनौती, हिमुडा की याचिका खारिज

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना के समय में कोरोना योद्धाओं के लिए मास्क, ग्लव्स, थर्मल स्कैनर और पीपीई किट जैसे उपकरणों की खरीद की पेमेंट रिलीज करने के लिए लाखों के लेनदेन से जुड़े मामले में स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि जनहित के सामने निजी हित के संतुलन को देखते हुए अंतरिम जमानत प्रदान करने योग्य यह मामला नहीं बनता. (PPE Kit Scam during corona in Himachal) (Anticipatory Bail Plea Of Former Director Dr Ajay) (Himachal High Court)

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता और बलराम के बीच आपसी बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ था. इसकी जांच में जुटी विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो को अहम सुबूत मिले थे. जांच में सामने आया था कि डील उसी दिन हुई, जिस दिन फोन पर रिकॉर्डिंग की गई. स्टेट विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो के जांच अधिकारी डीएसपी ने सरकार से पूर्व निदेशक के खिलाफ नियमित मामला पंजीकृत करने के लिए अनुमति मांगी थी. 17 सितम्बर 2022 को अनुमति मिलने के बाद 22 सितम्बर को स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

मामला वर्ष 2020 का है जब कोरोना वारियर्ज की सुरक्षा के लिए जरूरी मशीनों और उपकरणों की खरीद स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई थी. पांच एबीजी मशीनों की खरीद के लिए 30 लाख रुपए एक कंपनी के नाम स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने स्वीकृत किए थे. बलराम और डॉ. अजय कुमार गुप्ता के बीच 85 हजार रुपए प्रति मशीन कमीशन तय हुई थी जिसमें 80 फीसदी पूर्व निदेशक ने लिए और 20 फीसदी बलराम ने फिर रिश्वत की राशि 4 लाख 25 हजार बनाई गई. अंतत: डॉक्टर ने रिश्वत के 3 लाख 40 हजार की मांग की. बलराम ने अपना अकाउंट एनआईटी सिमरन डायग्नोस्टिक्स के नाम खोला था जिसमें मैसर्ज क्रोमा सिस्टम कंपनी ने लगभग साढ़े 14 लाख रुपए भेजे.(PPE Kit Scam during corona in Himachal) (Anticipatory Bail Plea Of Former Director Dr Ajay) (Himachal High Court)

इसके बाद बलराम ने डॉक्टर का शेयर 3 लाख 40 हजार रुपए रेणु बाला के अकाउंट में भेजे. जांच के अनुसार रेणु बाला के अकाउंट में जो रुपए भेजे गए थे वो बलराम ने डॉ. अजय कुमार गुप्ता के कहने पर डाले गए थे. इतना ही नहीं बलराम ने प्रति थर्मल स्कैनर के लिए 1500 रुपए कट मनी देने का वादा भी डॉक्टर से किया था. सरकार ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इतने ऊंचे ओहदे पर बैठे एक डॉक्टर से आपातकाल में ऐसी रिश्वतखोरी की कतई उम्मीद नहीं की जा सकती. उन्हें महामारी के दौरान आवश्यक उपकरणों की खरीद में पारदर्शिता बरतनी चाहिए थी. जांच के मुताबिक डॉक्टर ने रिश्वत की मांग भी की और उसे स्वीकार भी किया.

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