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हाईकोर्ट की सख्ती से टूटी सरकार की नींद, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायकों के लिए पॉलिसी में संशोधन

प्रदेश सरकार ने अदालत के आदेश की अनुपालना करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायकों के पद भरने के लिए नीति में आवश्यक संशोधन कर दिया है.

policy for Anganwadi workers and assistants
हाईकोर्ट की सख्ती से टूटी सरकार की नींद, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायकों के लिए पॉलिसी में संशोधन
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Published : Dec 5, 2019, 8:02 AM IST

शिमला: हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार की नींद टूटी है. प्रदेश सरकार ने अदालत के आदेश की अनुपालना करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायकों के पद भरने के लिए नीति में आवश्यक संशोधन कर दिया है. इस बारे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को सभी संबंधित अधिकारियों से मीटिंग करने और नई पॉलिसी तैयार करने की संभावना तलाश करने के आदेश दिए थे.

अदालत ने आदेश दिए थे कि नई पॉलिसी प्रैक्टिकल व तर्कपूर्ण होनी चाहिए. अब नई पॉलिसी के अनुसार अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय रखा गया है. इसी तरह अपील का निपटारा करने के लिए 60 दिनों का समय तय किया गया है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और हेल्पर की पात्रता के लिए वार्षिक आय 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 35 हजार रुपए रखी गई है.

वीडियो.

इससे पहले लागू पॉलिसी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या हेल्पर की नियुक्ति को चुनौती सिर्फ 15 दिनों के भीतर ही दी जा सकती थी. यही नहीं अपील को निपटाने के लिए भी 15 दिनों का ही समय दिया गया था. यह व्यवहारिक और तर्कपूर्ण नहीं था.

ये भी पढ़ें: लोकसभा में बोले सांसद रामस्वरूप शर्मा, भारत में ही बने इंटरनेट डेटा यूजर केंद्र

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान के राज्य सरकार के उन कर्मचारियों और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की थी जो एक ही छत्त के नीचे काम करते हैं और उसी भवन में स्थापित दूसरे दफ्तर से डाक के माध्यम से पत्राचार करते हैं. अदालत ने हैरानी जताई थी कि ये काम सेवादार के जरिये और ईमेल या अन्य माध्यम से क्यों नहीं किया जाता.

अदालत की इस सख्ती के बारे में अनुपालना रिपोर्ट दायर कर बताया गया कि राज्य सरकार ने जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं. राज्य सरकार के नए आदेश के अनुसार एक ही छत के नीचे काम कर रहे विभिन्न कार्यालयों में पत्राचार सेवादार के जरिए किया जाए इसके आलावा न्यायिक और अर्ध न्यायिक शक्तियां रखने वाले अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा कि न्यायिक कार्य करते हुए कोई कोताही न बरती जाए.

शिमला: हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार की नींद टूटी है. प्रदेश सरकार ने अदालत के आदेश की अनुपालना करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायकों के पद भरने के लिए नीति में आवश्यक संशोधन कर दिया है. इस बारे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को सभी संबंधित अधिकारियों से मीटिंग करने और नई पॉलिसी तैयार करने की संभावना तलाश करने के आदेश दिए थे.

अदालत ने आदेश दिए थे कि नई पॉलिसी प्रैक्टिकल व तर्कपूर्ण होनी चाहिए. अब नई पॉलिसी के अनुसार अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय रखा गया है. इसी तरह अपील का निपटारा करने के लिए 60 दिनों का समय तय किया गया है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और हेल्पर की पात्रता के लिए वार्षिक आय 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 35 हजार रुपए रखी गई है.

वीडियो.

इससे पहले लागू पॉलिसी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या हेल्पर की नियुक्ति को चुनौती सिर्फ 15 दिनों के भीतर ही दी जा सकती थी. यही नहीं अपील को निपटाने के लिए भी 15 दिनों का ही समय दिया गया था. यह व्यवहारिक और तर्कपूर्ण नहीं था.

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न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान के राज्य सरकार के उन कर्मचारियों और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की थी जो एक ही छत्त के नीचे काम करते हैं और उसी भवन में स्थापित दूसरे दफ्तर से डाक के माध्यम से पत्राचार करते हैं. अदालत ने हैरानी जताई थी कि ये काम सेवादार के जरिये और ईमेल या अन्य माध्यम से क्यों नहीं किया जाता.

अदालत की इस सख्ती के बारे में अनुपालना रिपोर्ट दायर कर बताया गया कि राज्य सरकार ने जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं. राज्य सरकार के नए आदेश के अनुसार एक ही छत के नीचे काम कर रहे विभिन्न कार्यालयों में पत्राचार सेवादार के जरिए किया जाए इसके आलावा न्यायिक और अर्ध न्यायिक शक्तियां रखने वाले अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा कि न्यायिक कार्य करते हुए कोई कोताही न बरती जाए.

हाईकोर्ट की सख्ती से टूटी सरकार की नींद, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायकों के लिए पॉलिसी में संशोधन
शिमला। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार की नींद टूटी है। प्रदेश सरकार ने अदालत के आदेश की अनुपालना करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायकों के पद भरने के लिए नीति में आवश्यक संशोधन कर दिया है। इस बारे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को सभी संबंधित अधिकारियों से मीटिंग करने और नई पॉलिसी तैयार करने की संभावना तलाश करने के आदेश दिए थे। अदालत ने आदेश दिए थे कि नई पॉलिसी प्रैक्टिकल व तर्कपूर्ण होनी चाहिए। अब नई पालिसी के अनुसार अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय रखा गया है। इसी तरह अपील का निपटारा करने के लिए 60 दिनों का समय तय किया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और हेल्पर की पात्रता के  लिए वार्षिक आय 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 35 हजार रुपए रखी गई है। इससे पहले लागू पालिसी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या हेल्पर की नियुक्ति को चुनौती सिर्फ 15 दिनों के भीतर ही दी जा सकती थी। यही नहीं अपील को निपटाने के लिए भी 15 दिनों का ही समय दिया गया था। यह व्यवहारिक और  तर्कपूर्ण नहीं था।  न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान के राज्य सरकार के उन कर्मचारियो और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की थी जो एक ही छत्त के नीचे काम करते हैं और उसी भवन में स्थापित दूसरे दफ्तर से डाक के माध्यम से पत्राचार करते हैं। अदालत ने हैरानी जताई थी कि ये काम सेवादार के जरिये और इमेल या अन्य माध्यम से क्यों नहीं किया जाता। अदालत की इस सख्ती के बारे में अनुपालना रिपोर्ट दायर कर बताया गया कि राज्य सरकार ने जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार के नए आदेश के अनुसार एक ही छत के नीचे काम कर रहे विभिन्न कार्यालयों में पत्राचार सेवादार के जरिए किया जाए। इसके आलावा न्यायिक और अर्ध न्यायिक शक्तियां रखने वाले अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा कि न्यायिक कार्य करते हुए कोई कोताही न बरती जाए।
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