शिमला: एआईसीसी के सचिव एवं पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और गरीबों को आटा, चावल और दाल देने पर सवाल खड़े किए है. सुधीर ने केंद्र सरकार से राशन की परिभाषा पूछी है?
उन्होंने सरकार से पूछा है कि क्या 80 करोड़ गरीबों को अगले 3 महीनों तक मुफ्त में आटा, चावल और एक किलो दाल दिए जाने से उनका जीवन यापन हो जाएगा? उन्होंने पूछा कि क्या राशन में नमक, चीनी, हल्दी, मसाला, तेल, घी इत्यादि नहीं होना चाहिए.
पूर्व मंत्री ने कहा कि 80 करोड़ लोगों को 3 महीने तक मुफ्त में आटा, चावल और एक किलो दाल देने की जो घोषणा केंद्र ने की है, वे गरीब लोगों के साथ मजाक करना जैसा नहीं है. सरकार को अगर गरीबों को राहत देनी है तो ऐसी देनी चाहिए, जिससे सभी लोग संकट काल में बिना परेशानी के जीवन यापन कर सके.
आटा और दाल मुफ्त में देने से घर की रसाई नहीं चलती. सरकार सभी के खातों में नगद राशि डाले, जिससे संकट की इस घड़ी में लोगों को उसका लाभ मिल सके. सुधीर शर्मा ने कहा कि कारोना काल में करोड़ लोगों की नौकरी चली गई और लोग बेरोजगार हो गए.
ऐसे में उन्हे नगद राशि की आवश्यकता है, जिससे वे किसी के सामने झुके बिना और पूरे सम्मान से अपने परिवार का पालन पोषण कर सके.आत्महत्याओं के बढ़ते मामले चिंताजनक:पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में आत्महत्या के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं.
आत्महत्याओं के लागातार सामने आते मामलों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि संकट की इस घड़ी में आम जनता कितनी परेशानियों से गुजर रहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना से ज्यादा लोग आत्महत्याओं से मर रहे है. ऐसे में केंद्र और प्रदेश सरकार को धरालत पर प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है. लारे-लप्पे और झूठे वायदों से जनता का राहत नहीं मिल सकती.
बसों में 100 प्रतिशत सवारियों का निर्णय गलत
सुधीर शर्मा ने कहा कि लोगों ने केंद्र और राज्य सरकार को कोविड फंड में खुलकर फंड दिया, लेकिन सरकार के मदद के हाथ नजर नहीं आए. उल्टे जनविरोधी निर्णय लेकर जनता की परेशानियों को बढ़ाने के प्रयास हुए. उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग का डीए बंद कर दिया गया.
प्रदेश में सस्ते राशन में कैंची चला दी. पैट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी कर जनता पर मंहगाई थोपी गई. उन्होंने कहा कि कोरोना की वैक्सीन न आने तक बसों में 100 प्रतिशत सवारियों को सफर करने की अनुमति देना गलत निर्णय है.