रामपुर: शिमला जिला में कोटगढ़ क्षेत्र के शथला में कृषि विभाग नारकंडा ने बागवानों व किसानों के लिए एक जागरूक्ता शिविर का आयोजन किया. इस दौरान कृषि विभाग नारकंडा के अतिरिक्त प्रबंधक बिषमा नेगी ने किसानों व बागवानों को जानकारी देते हुए बताया कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने फसल की उत्पादकता और उपज की गुणवत्ता को प्रभावित किया है.
इसलिए प्राकृतिक खेती को अपनाने और इस विषय में सभी को जागरूक और संवेदनशील बनने की जरूरत है. बिषमा ने किसानों से अपने-अपने खेतों में प्राकृतिक खेती शुरू करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा की प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद अच्छी गुणवत्ता वाले होते हैं, जिसका बाजार में अच्छा मूल्य किसानों को मिलेगा.
लागत कम होने से किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी
लागत कम होने से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने परीक्षण के दौरान किसानों व बागवानों द्वारा सीखे गए ज्ञान को अन्य किसानों तक पहुंचाने का भी आग्रह किया और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने की सलाह दी.
इस दौरान अधिकारी बिषमा ने बागवानों व किसानों को गोमूत्र व गोबर से किस तरह से खाद व स्प्रे की दवाई तैयार की जाती है. इससे संबंधित भी सभी गांववासियों को जानकारी दी गई.
कुमारसैन तहसील की 26 पंचायते होंगी जागरूक
यह जानकारी कुमारसैन तहसील की 26 पंचायतों में दी जा रही है और किसानों व बागवानों को प्रकृतिक खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस दौरान शथला के स्थानीय निवासी मंजीत चौहान ने बताया कि कृषि विभाग ने उन्हें आज कृषि से संबंधित बेहद लाभदायक जानकारी दी. जिस पर आगे शथला गांव के ग्रामीण अमल करेंगे और आने वाले समय में प्राकृतिक खेती को अपनाएंगे. कृषि विभाग द्वारा दी गई जानकारी को लेकर उन्होंने सराहना की.
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