शिमलाः अकसर चुनाव हारने वाले राजनीतिक दल हार का ठीकरा फोड़ने के लिए बाद में दोषारोपण करते हैं. देश में कई बार देखा गया है कि राजनीतिक दल अथवा नेता विशेष चुनाव में पराजय का सामना करने के बाद ईवीएम को दोष देते हैं. इसी माहौल के बीच हिमाचल में नगर निगम चुनाव हुए, लेकिन इस चुनाव में ईवीएम पाक-साफ निकली है. पालमपुर और सोलन में जीत के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. पार्टी को कहीं से भी ईवीएम में खराबी नहीं दिखाई दी. ये बात अलग है कि कांग्रेस ने दोष किसी और रूप में मढ़ा.
कांग्रेस का कहना है कि नगर निगम का चुनाव छोटे स्तर का होता है और इसमें भाजपा की सरकार कोई छेड़छाड़ नहीं करती. अलबत्ता बड़े स्तर के चुनाव में ईवीएम से छेड़छाड़ होती है. कांग्रेस इसका विरोध भी जताती है. दिलचस्प बात ये है कि जब कांग्रेस ने पंजाब और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीता था तो ईवीएम में खराबी की बात नहीं की थी. खैर, इस बार हिमाचल में नगर निगम चुनाव में ईवीएम पर कोई दोष नहीं आया है. कांग्रेस की प्रवक्ता किरण धांटा कहती हैं कि ईवीएम को संदेह की नजर से देखा तो जाता ही है. भाजपा इसका दुरुपयोग करती है.
अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं है. इसी साल गुजरात में नगर निगम के चुनाव हुए तो कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ईवीएम से छेड़छाड़ हुई है. गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोषी ने आरोप लगाया था राजकोट में ईवीएम से छेड़खानी की गई. गुजरात में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की पराजय हुई थी. वहीं, एक दिलचस्प किस्सा दिल्ली यूनिवर्सिटी के चुनाव का है. दिल्ली स्टूडेंट यूनियन यानी डुसू के चुनाव में कांग्रेस ने ईवीएम से छेड़खानी का आरोप लगाया. तब आरोप लगाने वाले कांग्रेस के नेता अजय माकन थे. 3 साल पहले ये चुनाव हुए थे तो एबीवीपी को 3 और एनएसयूआई को 1 सीट मिली थी. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में तो ईवीएम आरोपों के बोझ तले कराहने लगती है. हारने वाला दल अकसर कहता है कि ईवीएम में कहीं पर भी बटन दबाओ, कमल को वोट जाता है.
फिलहाल, हिमाचल में 4 नगर निगम चुनाव में सत्ताधारी दल भाजपा को असहज परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है. केवल मंडी में वो शानदार तरीके से जीती. पालमपुर में करारी हार मिली. सोलन में भी नाकों चने चबाने पड़े. धर्मशाला में भी टक्कर कांटे की रही, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस ने ईवीएम को बख्श दिया. यानी जहां सुविधा हो, वहां विपक्ष को ईवीएम पसंद है.
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