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महिला को सूट वापस करना पड़ा महंगा, गंवा दिए 1.47 लाख - crime news shimla

एक महिला ने एक आनलाइन कंपनी से सूट खरीदा था और पसंद न आने के कारण महिला ने इसको कूरियर कंपनी से वापस भेजना चाहा. महिला ने कंपनी का कांटेक्ट नंबर एक वेबसाइट से लिया. इस पर फोन करने पर महिला से एनीडेस्क एप डाउनलोड करवाया गया, जिसमें अपराधियों ने महिला से उसके डेबिट कार्ड की डिटेल मांगी जो कि महिला ने दे दी. ऐसा करने पर महिला के खाते से अपराधियों ने पैसे उड़ाए दिए.

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साईबर ठगी
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Published : Jan 8, 2021, 4:51 PM IST

शिमला: इंटरनेट एक ऐसी दुनिया जहां इंसान अपने फोन या कंप्यूटर के एक क्लिक मात्र से कोई भी जानकारी हसिल कर सकता है, लेकिन अगर इसका गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो बड़े- बड़े अपराधों को भी कम समय में अंजाम दिया जा सकता है. ऐसी ही एक अपराधिक घटना शिमला जिले में सामने आयी है. जहां साइबर अपराधी ने एक महिला से एनिडेस्क ऐप डाउनलोड करवा कर 1.47 लाख की ठग लिए. महिला ने मामले की सूचना पुलिस को दी है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

महिला ने की थी आनलाईन खरीदारी

जानकारी के अनुसार शिमला की एक महिला ने एक आनलाइन कंपनी से सूट खरीदा था और पसंद न आने के कारण महिला ने इसको कूरियर कंपनी से वापस भेजना चाहा. महिला ने कंपनी का कॉन्टेक्ट नंबर एक वेबसाइट से लिया. इस पर फोन करने पर महिला से एनीडेस्क एप डाउनलोड करवाया गया, जिसमें अपराधियों ने महिला से उसके डेबिट कार्ड की डिटेल मांगी जो कि महिला ने दे दी. ऐसा करने पर महिला के खाते से अपराधियों ने पैसे उड़ाए दिए.

क्या है एनिडेस्क ऐप

यह एक तरीके का ऐप है जिसे आसानी से गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. साइबर सेल के एक्सपर्ट के मुताबिक इसका इस्तेमाल साइबर ठगी करने वाले लोग अपने टारगेट के बैंक या फेसबुक अकाउंट को हैक करने के लिए करते है. इस एप को अपराधी टारगेट यानी धारक के मोबाइल फोन में इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करवाते है. उसके बाद एक 9 अंको कोड जनरेट होता है , जो अपराधी पूछ लेते है, उसके बाद अपने मोबाइल फोन में इस अंक को फीड करते है और टारगेट के मोबाइल या कंप्यूटर का कंट्रोल उनके पास चला जाता है . वह उसे एक्सेस करने की अनुमति भी टारगेट यानी धारक से ले लेता है. इसके बाद फोन या कंप्यूटर का सभी डाटा चुरा लेते है. इस एप से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एप यानी(यूपीआई) से भी रकम उडाई जा सकती है, यहा तक की फेसबुक अकाउंट से पोस्ट भी डाली जा सकती है.

तीन ट्रांजेक्शन में निकाले गए 1.47 लाख

शिकायत में महिला ने कहा कि उसने एक कंपनी से 869 रुपए में एक सूट ऑनलाइन मंगवाया था. कूरिअर कंपनी ने 5 जनवरी को ऑर्डर घर पर डिलीवर करवाया. महिला ने पार्सल खोला तो उसको सूट पसंद नहीं आया. महिला ने सूट वापस करने के लिए एक वेबसाइट से कंपनी का कस्टमर केयर का नंबर लिया और उस पर संपर्क किया.

महिला के अनुसार इस नंबर पर कॉल करने पर कंपनी के प्रतिनिधि ने सूट वापस करने से पहले उससे मोबाइल फोन पर एनीडेस्क एप डाउन लोड करवाया. इस एप में बैंक डेबिट कार्ड से संबंधित सारी डिटेल मांगी. ऐसा करते ही महिला के बैंक खाते से तीन ट्रांजेक्शन में 1.47 लाख रुपए निकाले गए.

इसके बाद महिला ने पुलिस में शिकायत दी. पुलिस ने शिकायत के आधार पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. एएसपी प्रमोद शुक्ला ने मामले की पुस्टि की है.

शिमला: इंटरनेट एक ऐसी दुनिया जहां इंसान अपने फोन या कंप्यूटर के एक क्लिक मात्र से कोई भी जानकारी हसिल कर सकता है, लेकिन अगर इसका गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो बड़े- बड़े अपराधों को भी कम समय में अंजाम दिया जा सकता है. ऐसी ही एक अपराधिक घटना शिमला जिले में सामने आयी है. जहां साइबर अपराधी ने एक महिला से एनिडेस्क ऐप डाउनलोड करवा कर 1.47 लाख की ठग लिए. महिला ने मामले की सूचना पुलिस को दी है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

महिला ने की थी आनलाईन खरीदारी

जानकारी के अनुसार शिमला की एक महिला ने एक आनलाइन कंपनी से सूट खरीदा था और पसंद न आने के कारण महिला ने इसको कूरियर कंपनी से वापस भेजना चाहा. महिला ने कंपनी का कॉन्टेक्ट नंबर एक वेबसाइट से लिया. इस पर फोन करने पर महिला से एनीडेस्क एप डाउनलोड करवाया गया, जिसमें अपराधियों ने महिला से उसके डेबिट कार्ड की डिटेल मांगी जो कि महिला ने दे दी. ऐसा करने पर महिला के खाते से अपराधियों ने पैसे उड़ाए दिए.

क्या है एनिडेस्क ऐप

यह एक तरीके का ऐप है जिसे आसानी से गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. साइबर सेल के एक्सपर्ट के मुताबिक इसका इस्तेमाल साइबर ठगी करने वाले लोग अपने टारगेट के बैंक या फेसबुक अकाउंट को हैक करने के लिए करते है. इस एप को अपराधी टारगेट यानी धारक के मोबाइल फोन में इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करवाते है. उसके बाद एक 9 अंको कोड जनरेट होता है , जो अपराधी पूछ लेते है, उसके बाद अपने मोबाइल फोन में इस अंक को फीड करते है और टारगेट के मोबाइल या कंप्यूटर का कंट्रोल उनके पास चला जाता है . वह उसे एक्सेस करने की अनुमति भी टारगेट यानी धारक से ले लेता है. इसके बाद फोन या कंप्यूटर का सभी डाटा चुरा लेते है. इस एप से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एप यानी(यूपीआई) से भी रकम उडाई जा सकती है, यहा तक की फेसबुक अकाउंट से पोस्ट भी डाली जा सकती है.

तीन ट्रांजेक्शन में निकाले गए 1.47 लाख

शिकायत में महिला ने कहा कि उसने एक कंपनी से 869 रुपए में एक सूट ऑनलाइन मंगवाया था. कूरिअर कंपनी ने 5 जनवरी को ऑर्डर घर पर डिलीवर करवाया. महिला ने पार्सल खोला तो उसको सूट पसंद नहीं आया. महिला ने सूट वापस करने के लिए एक वेबसाइट से कंपनी का कस्टमर केयर का नंबर लिया और उस पर संपर्क किया.

महिला के अनुसार इस नंबर पर कॉल करने पर कंपनी के प्रतिनिधि ने सूट वापस करने से पहले उससे मोबाइल फोन पर एनीडेस्क एप डाउन लोड करवाया. इस एप में बैंक डेबिट कार्ड से संबंधित सारी डिटेल मांगी. ऐसा करते ही महिला के बैंक खाते से तीन ट्रांजेक्शन में 1.47 लाख रुपए निकाले गए.

इसके बाद महिला ने पुलिस में शिकायत दी. पुलिस ने शिकायत के आधार पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. एएसपी प्रमोद शुक्ला ने मामले की पुस्टि की है.

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