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250 करोड़ से अधिक के स्कॉलरशिप स्कैम में सीबीआई की बड़ी कार्रवाई, 3 आरोपित गिरफ्तार

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Published : Jan 3, 2020, 9:52 PM IST

Updated : Jan 3, 2020, 10:20 PM IST

स्कॉलरशिप घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई. निजी शिक्षण संस्थान का वाइस चैयरमेन, प्रदेश शिक्षा विभाग के अधीक्षक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का मुख्य कैशियर गिरफ्तार.

scholarship scam
छात्रवृत्ति घोटाला


शिमला : हिमाचल प्रदेश को हिला देने वाले 250 करोड़ रुपए से अधिक के स्कॉलरशिप स्कैम में सीबीआई ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है. सीबीआई ने इस केस में तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तार आरोपितों में हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के तत्कालीन सुपरिंटेंडेंट ग्रेड टू अरविंद राजटा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हेड कैशियर हितेश गांधी और ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन के उपाध्यक्ष एसपी सिंह शामिल हैं. अरविंद राजटा अभी हायर एजूकेशन विभाग के तहत मशोबरा के बलदेयां स्कूल में अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं.

कुछ महीने पहले सीबीआई ने शिमला में राजटा के तीन ठिकानों पर दबिश दी थी. दबिश के समय राजटा आरोपित नहीं थे. इसके बाद सीबीआई ने उन्हें आरोपित बनाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी. अनुमति मिलते ही अरविंद राजटा को आरोपित बनाया गया.

सीबीआई ने तीनों आरोपितों की अलग अलग जगह से गिरफ्तारी की है. अब शनिवार को आरोपितों को शिमला की कोर्ट में पेश किया जाएगा. कोर्ट में इनका रिमांड मांगा जाएगा.

वहीं, अरविंद राजटा अगर 48 घंटे तक पुलिस कस्टडी में रहे तो उनकी डीम्ड सस्पेंशन मानी जाएगी. सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ के अनुसार घोटाले के संबंध में 21 जगहों पर निजी शिक्षण संस्थानों पर छापे डाले थे. इनमें कुछ लोगों की घोटाले में भूमिका पाई गई. आरोप है कि छात्रों के आय, जाति प्रमाण भी जाली बनाए गए. सीबीआई ने राज्य सरकार के आग्रह पर पिछले साल 7 मई को सीबीआई की शिमला ब्रांच में केस दर्ज किया था. करीब 22 निजी शिक्षण संस्थान इस घोटाले की जद में हैं.

गौरतलब है कि छात्रवृत्ति घोटाले की जड़ें देश के कई राज्यों में फैली हुई हैं. इसके अलावा कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं. शिक्षा विभाग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया है. साल 2013-14 से लेकर साल 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनीटरिंग नहीं हुई. जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ निजी संस्थानों में बांटा गया जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला.

विभागीय जांच में सामने आया है 4 साल में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19,915 को 4 मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई. इसी तरह 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति 4 ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई. 5,729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है. छात्रवृत्ति आबंटन में निजी शिक्षण संस्थानों ने सभी नियमों को ताक पर रखा.

छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ने इसकी सीबीआई जांच करवाने की बात कही थी. इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई राशि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है. ऐसे में मामले के दायरे को देखते हुए सरकार ने सीबीआई जांच करवाने का निर्णय लिया था.


शिमला : हिमाचल प्रदेश को हिला देने वाले 250 करोड़ रुपए से अधिक के स्कॉलरशिप स्कैम में सीबीआई ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है. सीबीआई ने इस केस में तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तार आरोपितों में हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के तत्कालीन सुपरिंटेंडेंट ग्रेड टू अरविंद राजटा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हेड कैशियर हितेश गांधी और ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन के उपाध्यक्ष एसपी सिंह शामिल हैं. अरविंद राजटा अभी हायर एजूकेशन विभाग के तहत मशोबरा के बलदेयां स्कूल में अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं.

कुछ महीने पहले सीबीआई ने शिमला में राजटा के तीन ठिकानों पर दबिश दी थी. दबिश के समय राजटा आरोपित नहीं थे. इसके बाद सीबीआई ने उन्हें आरोपित बनाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी. अनुमति मिलते ही अरविंद राजटा को आरोपित बनाया गया.

सीबीआई ने तीनों आरोपितों की अलग अलग जगह से गिरफ्तारी की है. अब शनिवार को आरोपितों को शिमला की कोर्ट में पेश किया जाएगा. कोर्ट में इनका रिमांड मांगा जाएगा.

वहीं, अरविंद राजटा अगर 48 घंटे तक पुलिस कस्टडी में रहे तो उनकी डीम्ड सस्पेंशन मानी जाएगी. सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ के अनुसार घोटाले के संबंध में 21 जगहों पर निजी शिक्षण संस्थानों पर छापे डाले थे. इनमें कुछ लोगों की घोटाले में भूमिका पाई गई. आरोप है कि छात्रों के आय, जाति प्रमाण भी जाली बनाए गए. सीबीआई ने राज्य सरकार के आग्रह पर पिछले साल 7 मई को सीबीआई की शिमला ब्रांच में केस दर्ज किया था. करीब 22 निजी शिक्षण संस्थान इस घोटाले की जद में हैं.

गौरतलब है कि छात्रवृत्ति घोटाले की जड़ें देश के कई राज्यों में फैली हुई हैं. इसके अलावा कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं. शिक्षा विभाग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया है. साल 2013-14 से लेकर साल 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनीटरिंग नहीं हुई. जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ निजी संस्थानों में बांटा गया जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला.

विभागीय जांच में सामने आया है 4 साल में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19,915 को 4 मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई. इसी तरह 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति 4 ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई. 5,729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है. छात्रवृत्ति आबंटन में निजी शिक्षण संस्थानों ने सभी नियमों को ताक पर रखा.

छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ने इसकी सीबीआई जांच करवाने की बात कही थी. इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई राशि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है. ऐसे में मामले के दायरे को देखते हुए सरकार ने सीबीआई जांच करवाने का निर्णय लिया था.

Intro:शिमला। सीबीआइ ने अरबों रुपयों के छात्रवृति घोटाले में बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए आज

निजी शिक्षण संस्थान के वाइस चैयरमेन, प्रदेश शिक्षा विभाग के अधीक्षक और सेंट्रल बैंक आफ

इंडिया के मुख्य कैशियर को गिरफतार किया है।
सीबीआइ प्रवक्ता आर के गौड़ ने कहा इस मामले में प्रदेश शिक्षा विभाग के अधीक्षक ग्रेड 2

अरविंद राजटा,के सी ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस के वाइस चैयरमैन हितेश गांधी और सेंट्रल बैंक आफ

इंडिया के हैड कैशियर एस पी सिंह को गिरफतार किया है।Body:गौरतलब है कि छात्रवृत्ति घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। इसके अलावा कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं। शिक्षा विभाग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया है। साल 2013-14 से लेकर साल 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनीटरिंग नहीं हुई। जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ निजी संस्थानों में बांटा गया जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला।

विभागीय जांच में सामने आया है 4 साल में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19,915 को 4 मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई। इसी तरह 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति 4 ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। 5,729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है। छात्रवृत्ति आबंटन में निजी शिक्षण संस्थानों ने सभी नियमों को ताक पर रखा।

छात्रवृत्ति घोटाले में कई बड़े नामी निजी शिक्षण संस्थान शामिल हैं। इनमें प्रदेश से ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर के शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार सूबे के 26 से अधिक निजी शिक्षण संस्थान जांच दायरे में आ सकते हैं।

Conclusion:छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ने इसकी सी.बी.आई. जांच करवानेकी बात कही थी। इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई राशि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है। ऐसे में मामले के दायरे को देखते हुए सरकार ने सी.बी.आई. जांच करवाने का निर्णय लिया था।
Last Updated : Jan 3, 2020, 10:20 PM IST
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