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कोरोना से निपटने के लिए IGMC प्रशासन ने कसी कमर, आइसोलेशन वार्ड में 198 बेड तैयार

शिमला में बढ़ते कोरोन मामलों को लेकर आईजीएमसी में आईजीएमसी में आइसोलेशन वार्ड में बेड की संख्या बढ़ा कर 198 कर दी है. जरूरत पड़ने पर आइसोलेशन वार्ड में बेड की संख्या 150 तक बढ़ाई जा सकती है. आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी राहुल गुप्ता ने जानकारी दी है.

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Published : Nov 27, 2020, 6:22 PM IST

शिमला: कोरोना के मामलों में आई तेजी के चलते अब जिला शिमला कोरोना हॉटस्पॉट बन गया है. यहां पर रोजाना हो रही मरीजों की मौतें और पॉजिटिव मामलों में हो रही बढ़ौतरी ने चिंता बढ़ा दी है. कोरोना ने रफ्तार इतनी पकड़ ली है कि अब अस्पतालों में भी बैड भर चुके हैं.

हालांकि अस्पतालों में सिर्फ गंभीर मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है. बाकि कोरोना पॉजिटीव मरीजों को घर पर ही आइसोलेट किया जा रहा है. जिला शिमला में रोजाना ही 5 से 7 के बीच मौते हो रही हैं. वहीं कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा भी रोजाना 200 से ऊपर जा रहा है. फिलहाल आईजीएमसी में 95 मरीज भर्ती हैं. आईजीएमसी की हालत तो यह है कि यहां पर पूरे प्रदेश से मरीज भर्ती होते हैं. ऐसे में यहां पर हमेशा ही बैड भरे हुए रहते हैं.

वीडियो.

आईजीएमसी में 198 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार

हिमाचल प्रदेश में कोरोना के बढ़ते रहे हैं. ऐसे में सभी गंभीर मरीज ज्यादातर आईजीएमसी ही रेफर होते हैं. इसी को देखते हुए आईजीएमसी में आइसोलेशन वार्ड में बेड की संख्या बढ़ा कर 198 कर दी है.

जरूरत पड़ने पर बढ़ाए जा सकते हैं 150 बेड

आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी राहुल गुप्ता ने बताया कि आईजीएमसी में जब आइसोलेशन वार्ड शुरू किया गया था, तब 50 बेड थे. अब बढ़ा कर बेड की संख्या को 198 कर दिया गया है. वहीं, अगर जरुरत पड़ी तो 150 बेड और बढ़ाए जा सकते हैं.

अस्पताल में देरी से पहुंच रहे हैं मरीज

जिला शिमला में कोरोना से मौत का कारण यह भी सामने आ रहा है कि लोग कोरोना पॉजिटीव मरीज को देरी से अस्पताल पहुंचा रहे हैं. आईजीएमसी के डाक्टरों का मानना है कि जिन मरीजों की कोरोना से मौत हुई है, उसमें 80 से 90 फीसदी मरीज बहुत ही देरी से अस्पताल लाए गए हैं. यदि ये मरीज समय पर अस्पताल लाए जाते तो शायद उनकी जान को बचाया का सकता था.

सर्दी जुकाम को अनदेखा कर रहे हैं लोग

आईजीएमसी में ने लगभग चार सौ ऐसे गंभीर रोगियों की जान को भी बचाया है, जो पहले से किसी बिमारी से ग्रसित थे. अब दिक्कत ये भी पेश आ रही है कि लोग इसे सामान्य सर्दी जुकाम समझ के अनदेखा कर रहे हैं. जब तक उन्हें अस्पताल पहुंचाते है, उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम हो जाता है.

पढ़ें: कोरोना काल में विपक्ष रहा निकम्मा, घरों में बैठे रहे कांग्रेसी नेता: बिक्रम ठाकुर

पढ़ें: कुल्लू में जनजीवन पर बर्फ'भारी', 125 ट्रांसफार्मर और 41 पेयजल योजनाएं प्रभावित

शिमला: कोरोना के मामलों में आई तेजी के चलते अब जिला शिमला कोरोना हॉटस्पॉट बन गया है. यहां पर रोजाना हो रही मरीजों की मौतें और पॉजिटिव मामलों में हो रही बढ़ौतरी ने चिंता बढ़ा दी है. कोरोना ने रफ्तार इतनी पकड़ ली है कि अब अस्पतालों में भी बैड भर चुके हैं.

हालांकि अस्पतालों में सिर्फ गंभीर मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है. बाकि कोरोना पॉजिटीव मरीजों को घर पर ही आइसोलेट किया जा रहा है. जिला शिमला में रोजाना ही 5 से 7 के बीच मौते हो रही हैं. वहीं कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा भी रोजाना 200 से ऊपर जा रहा है. फिलहाल आईजीएमसी में 95 मरीज भर्ती हैं. आईजीएमसी की हालत तो यह है कि यहां पर पूरे प्रदेश से मरीज भर्ती होते हैं. ऐसे में यहां पर हमेशा ही बैड भरे हुए रहते हैं.

वीडियो.

आईजीएमसी में 198 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार

हिमाचल प्रदेश में कोरोना के बढ़ते रहे हैं. ऐसे में सभी गंभीर मरीज ज्यादातर आईजीएमसी ही रेफर होते हैं. इसी को देखते हुए आईजीएमसी में आइसोलेशन वार्ड में बेड की संख्या बढ़ा कर 198 कर दी है.

जरूरत पड़ने पर बढ़ाए जा सकते हैं 150 बेड

आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी राहुल गुप्ता ने बताया कि आईजीएमसी में जब आइसोलेशन वार्ड शुरू किया गया था, तब 50 बेड थे. अब बढ़ा कर बेड की संख्या को 198 कर दिया गया है. वहीं, अगर जरुरत पड़ी तो 150 बेड और बढ़ाए जा सकते हैं.

अस्पताल में देरी से पहुंच रहे हैं मरीज

जिला शिमला में कोरोना से मौत का कारण यह भी सामने आ रहा है कि लोग कोरोना पॉजिटीव मरीज को देरी से अस्पताल पहुंचा रहे हैं. आईजीएमसी के डाक्टरों का मानना है कि जिन मरीजों की कोरोना से मौत हुई है, उसमें 80 से 90 फीसदी मरीज बहुत ही देरी से अस्पताल लाए गए हैं. यदि ये मरीज समय पर अस्पताल लाए जाते तो शायद उनकी जान को बचाया का सकता था.

सर्दी जुकाम को अनदेखा कर रहे हैं लोग

आईजीएमसी में ने लगभग चार सौ ऐसे गंभीर रोगियों की जान को भी बचाया है, जो पहले से किसी बिमारी से ग्रसित थे. अब दिक्कत ये भी पेश आ रही है कि लोग इसे सामान्य सर्दी जुकाम समझ के अनदेखा कर रहे हैं. जब तक उन्हें अस्पताल पहुंचाते है, उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम हो जाता है.

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