शिमला: आंकड़े चौकान्ने वाले हैं कि शांत कहलाए जाने वाली देवभूमि से 12 सालों में 18,571 लोग लापता हो गए. भले ही पुलिस ने काफी जद्दोजहद के बाद लापता हुए 18,571 लोगों में 16,958 लोगों को तो ढ़ूंढ निकाला पर 1,613 लापता लोग कहां है. इसका जवाब अभी तक पुलिस के पास नहीं है.
पुलिस भले ही लापता हुए लोगों को एक विशेष अभियान चलाकर ढूंढने का दावा कर रही है, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि विश्व विख्यात पर्यटन नगरी से आखिर हर साल इतने लोग क्यों और कैसे लापता हो रहे हैं.
पुलिस यह कह रही है कि कोरोना काल में लापता लोगों की पुलिस की बरामदगी दर काफी बेहतर रही. पुलिस ने अगस्त महीने में विशेष अभियान के तहत 414 लापता लोगों को बरामद किया. जिन लोगों को बरामद किया उनमें 10 वर्ष की उम्र से कम आयु के 24 मेल चाइल्ड, 18 वर्ष कीउम्र से अधिक यानी व्यस्क महिलाएं 252, नाबालिग 11 बच्चियां, व्यस्क पुरूष 111 शामिल रहे.
कुल मिलाकर ट्रेस किए गए व्यक्तियों की कुल प्रतिशतता 91.31 फीसदी है. हिमाचल पुलिस ने साल 2013 में लापता लोगों को ढूंढने के लिए दो विशेष अभियान चलाए थे और कुल 304 लापता लोगों का पता लगाया गया.
इसके बाद वर्ष 2015 से 2016 के दौरान लापता बच्चों का पता लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी विशेष अभियान शुरू किया गया. इन्हें ऑपरेशन स्माइल और ऑपरेशन मुस्कान के नाम से चलाया गया. इन अभियानों के दौरान 51 लापता बच्चों का पता लगाया गया. विशेष अभियान के फलस्वरूप साल 2017 के दौरान 210 पुरुष 73, महिला 137, 2018 में 252 व्यक्ति इनमें पुरुष 86 महिला 166 और वर्ष 2019. 365 व्यक्ति, पुरुष 126 महिला 239 का पता लगाया.
डीजीपी संजय कुंडू के अनुसार अभियान की सफलता दर काफी अच्छी रही है. इस वर्ष एक विशेष अभियान 1अगस्त 2020 से 31 अगस्त 2020 तक चलाया गया. इसके दौरान 39 गैरसरकारी संगठनों में 38 हेड कांस्टेबल, 89 कांस्टेबल 46 लेडी कांस्टेबलों और 14 गृह रक्षकों सहित विभिन्न मण्डल स्तरों पर खोजी टीमों का गठन किया गया.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय पोर्टल ट्रैक चाइल्ड विकसित किया है. इसमें न केवल लापता बच्चों का ब्यौरा दर्ज है, बल्कि विभिन्न बाल देखभाल संस्थानों में सेवाओं के लाभार्थी बच्चों की प्रगति की निगरानी के लिए एक लाइव डाटाबेस भी उपलब्ध है.