शिमला: हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को कार्यभार संभाले हुए 100 दिन हो गए हैं. प्रदेश में 8 दिसंबर 2022 को चुनावी नतीजे आए थे. हिमाचल की जनता ने पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज कायम रखा और कांग्रेस हाईकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के सिर पर सत्ता का ताज रख दिया. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित पार्टी मुखिया मल्किार्जुन खड़गे व अन्य नेताओं की मौजूदगी में शिमला में 11 दिसंबर 2022 को सुखविंदर सुक्खू ने मुख्यमंत्री तथा मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली थी. आज सरकार को 100 दिन हो गए हैं, इस दौरान सुखविंदर सुक्खू के कई फैसलों ने सुर्खियां बटोरी हैं.
सैंकड़ों संस्थान किए डी-नोटिफाई: सरकार बनते ही सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व की जयराम सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2022 के बाद लिए गए फैसलों की समीक्षा का ऐलान किया. सुखविंदर सरकार ने जयराम राज में नए खोले गए और अपग्रेड किए गए 900 से ज्यादा संस्थानों को डिनोटिफाई करने का ऐलान किया. अब तक 19 कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा 228 स्कूल भी 31 मार्च से बंद हो जाएंगे. ये वो शैक्षणिक संस्थान हैं, जिनमें जीरो एडमिशन अथवा तय संख्या से कम एनरोलमेंट है.
इस कड़ी में पिछले दिन 19 और प्राइमरी स्कूल भी जुड़ गए. बाकी संस्थानों को लेकर अभी आदेश जारी होने हैं. सरकार की दलील है कि बिना बजट प्रावधान के सिर्फ चुनाव को देखते हुए ये संस्थान खोलने या अपग्रेड करने का फैसला ले लिया. जबकि बीजेपी ने इसे जनविरोधी फैसला बताकर पहले हस्ताक्षर अभियान चलाया और फिर जिला मुख्यालयों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. बीजेपी इस मुद्दे को लेकर सडक़ से सदन तक आवाज बुलंद कर रही है.
वीआईपी कल्चर पर चलाई कैंची: शपथ लेने के अगले दिन ही मुख्यमंत्री सुक्खू ने विधायकों के वीआईपी ट्रीटमेंट पर कैंची चला दी. सीएम ने फैसला लिया कि दिल्ली और चंडीगढ़ स्थित हिमाचल सदन और हिमाचल भवन में विधायकों को आम आदमी की तरह ही 1200 रुपए प्रति दिन के हिसाब से रूम का किराया चुकाना होगा. इससे पहले विधायकों को रियायती दरों पर कमरे मिलते थे.
6 मुख्य संसदीय सचिव बनाए: अपने शपथ ग्रहण के करीब 1 महीने बाद 8 जनवरी को मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कैबिनेट विस्तार के साथ-साथ 6 मुख्य संसदीय सचिवों को भी शपथ दिला दी. इस फैसले को लेकर विपक्ष ने सरकार के फिजूलखर्ची कम करने की मुहिम पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे. कैबिनेट में 7 मंत्रियों को जगह देने के अलावा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुंदर सिंह ठाकुर, आशीष बुटेल, संजय अवस्थी, मोहन लाल ब्राक्टा, किशोरी लाल और राम कुमार चौधरी को मुख्य संसदीय सचिव बना दिया.
ओल्ड पेंशन स्कीम: 2022 विधानसभा चुनाव में ये कांग्रेस का सबसे बड़ा वादा था. सियासी पंडित मानते हैं कि इस मुद्दे की बदौलत कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो पाई. इसलिय सीएम सुक्खू ने ओपीएस को लागू करने के लिए सबसे पहले कमर कसी और 13 जनवरी 2023 को हुई पहली कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन बहाल करने पर मुहर लगा दी. हालांकि पुरानी पेंशन को लेकर एसओपी अब तक जारी नहीं हुई है, लेकिन सरकार ने ओपीएस के वादे को लगभग अमलीजामा पहना दिया है. पहली अप्रैल से हिमाचल में एनपीएस कंट्रीब्यूशन कटना बंद हो जाएगा. फिलहाल कर्मचारियों को ओपीएस के हिमाचल मॉडल की एसओपी का इंतजार है.
महिलाओं को 1500 रुपये: कांग्रेस की दूसरी सबसे बड़ी घोषणा 18 से 59 साल की महिलाओं को 1500 रुपये मासिक देने की थी. सीएम सुक्खू ने इस गारंटी को पूरा करने के लिए कैबिनेट सब कमेटी भी बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट सीएम को सौंपी. मुख्यमंत्री ने भी 17 मार्च को अपने पहले बजट में पहले चरण में 2.31 लाख महिलाओं को 1500 रुपये देने का ऐलान कर दिया. लेकिन सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं, क्योंकि बीजपी का कहना है कि महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा किया गया था. जबकि पहले चरण में 1000 और 1150 रुपए पेंशन ले रही महिलाओं की कुल राशि बढ़ाकर 1500 की जा रही है. सरकार ने अभी पहले चरण में 2.31 लाख महिलाओं को इसमें शामिल किया है. भाजपा के विरोध और जनता के आक्रोश को देखते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार इस मसले पर असहज स्थितियों का सामना कर रही है.
सुखाश्रय योजना: सुखविंदर सिंह सरकार ने प्रदेश के अनाथ बच्चों के साथ-साथ निराश्रित महिलाओं और बुजुर्गों की मदद के लिए सीएम सुखाश्रय कोष की शुरुआत की. इसके लिए सरकार ने 101 करोड़ के फंड का प्रावधान करने के बाद लोगों से भी अंशदान की अपील की है. सुखाश्रय योजना के तहत प्रदेश के करीब 6000 अनाथ बच्चों को इस योजना के दायरे में लाया जाएगा. सरकार 27 साल तक इन बच्चों की पढ़ाई से लेकर हर जरूरत का ध्यान रखेगी. सभी निराश्रित बच्चे चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट होंगे.
कर्मचारी चयन आयोग किया भंग: 21 फरवरी को सीएम सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को भंग कर दिया. दरअसल कर्मचारी चयन आयोग द्वारा करवाई जा रही भर्तियों में लगातार धांधली के मामले सामने आ रहे थे. नई सरकार बनने के बाद जेओए पेपर लीक मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि सुक्खू सरकार को 100 दिन के कार्यकाल का सबसे बड़ा फैसला लेना पड़ा. हिमाचल में फिलहाल लोक सेवा आयोग अब क्लास थ्री के पदों की नई भर्ती के लिए तैयार हो गया है.
शराब पर लगाया मिल्क सेस: सीएम सुक्खू ने 17 मार्च को बजट पेश किया तो ये फैसला सबसे बड़े फैसलों में शुमार था. हिमाचल में शराब की हर बोतल पर 10 रुपये मिल्क सेस लगाने का ऐलान किया गया. जिससे सरकार को 120 करोड़ से अधिक राजस्व मिलने का अनुमान है. ये रकम पशुपालकों और खासकर दुग्ध उत्पादकों के लिए खर्च होगी.
शराब ठेकों की खुली नीलामी: इसके अलावा सुक्खू सरकार ने शराब ठेकों की खुली नीलामी का ऐलान किया था. जिससे सरकार को 1815 करोड़ का अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है. सुखविंदर सुक्खू का कहना है कि पूर्व की सरकार के दौरान शराब के ठेके महज 10 फीसदी अधिक की दर पर हर साल एक्सटेंड या रिन्यू कर दिए जाते थे लेकिन कांग्रेस सरकार ने ठेकों की खुली नीलामी का ऐलान किया है जिससे लगभग 40 फीसदी तक अधिक राजस्व प्राप्ति हुई है.
हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाना: सुखविंदर सुक्खू ने साल 2026 तक हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए प्रदेश में वाहनों को सिलसिलेवार तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जाएगा. सुखविंदर सुक्खू ने अपने बजट में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विस्तार के ऐलान करने के साथ-साथ ई-बस, ई-ट्रक की खरीद पर 50 लाख तक और ई-टैक्सी की खरीद पर 50 फीसदी सब्सिडी देने का ऐलान किया है. इसके अलावा प्रदेश में फॉरेस्ट कवर बढ़ाने से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हाइवे और चार्जिंग स्टेशन विकसित करने की भी घोषणा की गई है.
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