शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद की बैठक में कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने सोमवार को दिव्यांग छात्रों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए विश्वविद्यालय में अतिरिक्त उपाय किए जाने की जानकारी दी.एचपीयू कार्यकारिणी परिषद में फैसला लिया गया कि एचपीयू में एमफिल और पीएचडी में दिव्यांग छात्रों के लिए एक सीट रिजर्व रखी जाएगी.
एचपीयू कार्यकारिणी परिषद के सदस्य और विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले पर विचार करने के लिए 23 नवंबर को उनकी मांग पर कार्यकारिणी परिषद ने एक समिति बनाई थी.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एमफिल और पीएचडी में हर विभाग में दिव्यांग छात्रों को एक अतिरिक्त सीट दी जा सकती है. इसका किसी दूसरे आरक्षित वर्ग की सीटों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अब विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद में ये फैसला लिया गया कि दिव्यांग छात्रों को एक सीट अतिरिक्त देने पर विभाग के किसी एक शिक्षक को भी उसके शोधार्थियों के कोटे में एक सीट अतिरिक्त दी जाएगी.
अभी तक जहां सामान्य कोर्सिज में दिव्यांग छात्रों को हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत पांच फीसदी आरक्षण मिल रहा था. इन विषयों में सीटों की संख्या 40 थी, लेकिन पीएचडी में मात्र 20 ही सीटें होती हैं. ऐसे में यहां दिव्यांग छात्रों को आरक्षण नहीं मिल पा रहा था, जिसका अब विकल्प एचपीयू ने निकाला है.
प्रो.अजय श्रीवास्तव ने कहा की एचपीयू इस फैसले को लागू करने वाला उत्तर भारत का पहला विश्वविद्यालय है. ऐतिहासिक फैसले को लागू करने के लिए उन्होंने एचपीयू कुलपति का आभार जताया है. प्रदेश के दिव्यांग छात्रों को अब एमफिल ओर पीएचडी में प्रवेश की राह आसान होगी, जिससे दिव्यांग छात्र उच्च शिक्षा हासिल कर सकेंगे.