करसोग: केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून के विरोध में किसानों ने सोमवार को धरना प्रदर्शन किया. हिमाचल संयुक्त किसान मोर्चा की राज्य कमेटी की आह्वान पर करसोग में आयोजित इस धरना प्रदर्शन में किसानों ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की.
इस अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा में एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक मांग पत्र भी सौंपा, जिसमें सरकार से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, आंदोलन कर रहे किसानों के साथ बात करना व स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना और इससे कानूनी दर्जा देना, बिजली कानून में किए जा रहे संशोधन को रद्द जैसी मुख्य मांगें शामिल है.
ये हैं किसान मोर्चा की मांगें
इसके अतिरिक्त संयुक्त किसान मोर्चा ने करसोग में किसानों की बुनियादी एवम ज्वलंत समस्याओं के जल्द समाधान का भी अल्टीमेटम दिया है. इसमें करसोग में मक्की सहित सेब व अन्य फसलों के लिए क्रय केंद्र खोलना, फलों व सब्जियों के भंडारण के लिए सीए स्टोर खोलना. दूध का समर्थन मूल्य 40 रुपये लीटर करना, फसलों का न्यूनतम मूल्य लागत से डेढ़ गुना अधिक धोषित करना, सड़कों में बेसहारा धूम रहे पशुओं को सहारा देना, करसोग में जल्द सब्जी मंडी खोलना, सेब का समर्थन मूल्य 50 रुपये तय करना व कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को समय पर बीज, खाद व दवाइयां उपलब्ध करवाना आदि मांगें शामिल हैं ताकि किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सके.
किसानों के नाम पर राजनीति: गोपाल कृष्ण
किसान नेता गोपाल कृष्ण ने मोदी सरकार को किसान विरोधी नीतियों को लेकर जमकर कोसा. उन्होंने कहा कि किसानों के साथ केवल राजनीति कर रही है. ये किसानों से पूछो की फसलें किस तरह से पैदा होती हैं. उन्होंने कहा कि आज किसान सरकार की गलत नीतियों सहित सूखे और अंध भक्तों की न बोलने देने की मार झेल रहा. ऐसे में किसान भला किस किस की मार को झेलगा. उन्होंने कहा कि अब किसानों को सभी तरह की परेशानियों से बाहर निकलने के लिए एकजुट होकर लड़ने का वक्त आ गया है. ये लड़ाई तब तक लड़नी होगी जब तक सरकार झुक नहीं जाती.
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