मंडी: परंपरा के अनुसार मंडी जिला के हर घर में अंगीठा जलाने की रस्म निभाई गई. शहरों और गांवों में दिनभर जगह-जगह ढोल-नगाड़ों के साथ टोलियां देर शाम तक लोहड़ी मांगती रहीं. सुंदरनगर की रोपा विकास समिति ने भी लोहड़ी पर अंगीठा जलायी. वहीं, लोग वीरवार सुबह घरों में खिचड़ी बनाकर ईष्ट देवताओं को चढ़ाने की परंपरा निभाई जा रही हैं.
खिचड़ी खिलाने की परंपरा
इस दिन सगे संबंधियों सहित आसपड़ोस को खिचड़ी खिलाने की परंपरा है. मंडी और इसके साथ लगते जिलों में शायद ही कोई घर ऐसा होगा जहां पर आज माश की दाल की खिचड़ी न बनी हो.
हिंदी पंचांग के अनुसार आज शुरू हो रहा है माघ महीना
14 जनवरी को दिनभर दान करना शुभ है. अपनी इच्छा और दान पुण्य कर ग्रहों की शांति की जा सकती है. हिंदी पंचांग के अनुसार आज धर्मी महीना यानी माघ शुरू हो रहा है. इस दिन दान की परंपरा पूरा माह तक जारी रहती है. यूं तो लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है लेकिन हिमाचल में मकर संक्रांति को आम भाषा में लोहड़ी कहा जाता है. इस दिन की खासियत यह है कि आज माश की दाल की खिचड़ी को देसी घी, दूध और मक्खन के साथ परोसा जाता है.
सदियों से त्योहार मनाने की परंपरा
मंडी जनपद में मकर संक्रांति का त्योहार मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. मान्यता है कि इस दिन से भयंकर सर्दी का प्रकोप धीरे-धीरे कम होने लगता है. दिन भी बड़े होने लगते हैं. इसी उपलक्ष्य पर इस त्योहार को मनाने की परंपरा चली आ रही है.
तीर्थ स्थलों पर होता है पवित्र स्नान
मंडी में मकर संक्रांति तीर्थ स्थलों में जाकर पवित्र स्नान किया जाता है. जप, तप, अनुष्ठान और दान की परंपरा है. कईं लोग तुला दान कर नवग्रहों को प्रसन्न करते हैं. मंडी शहर के मंदिरों खिचड़ी के भंडारे लगाए जाते थे. लेकिन कोरोना ने लोहड़ी का रंग फीका कर दिया.
ये भी पढ़ें- वीसी की नियुक्ति में सरकार ने UGC के नियमों को ताक पर रखकर चहेतों को पदों पर बैठाया: राजेंद्र राणा