ETV Bharat / state

सकोडी पुल के पास स्थापित हुई स्वतंत्रता सेनानी रानी खैरगढ़ी की प्रतिमा, राम स्वरूप शर्मा ने किया अनावरण - Himachal latest news

रानी खैरगढ़ी की प्रतिमा मंडी शहर के सकोडी पुल के पास स्थापित कर दी गई है. आज सांसद राम स्वरूप शर्मा ने इस प्रतिमा का विधिवत रूप से अनावरण किया. सांसद राम स्वरूप शर्मा ने कहा कि प्रतिमा के स्थापित होने से भावी पीढ़ियों को रानी खैरगढ़ी के योगदान का पता चलेगा और इससे प्रेरणा मिलेगी.

Statue of freedom fighter Rani Khairagarh installed in mandi
फोटो
author img

By

Published : Mar 2, 2021, 5:46 PM IST

मंडीः राज परिवार की सुख सुविधाओं को छोड़कर देश की आजादी में अपना अहम योगदान देने वाली रानी खैरगढ़ी की प्रतिमा मंडी शहर के सकोडी पुल के पास स्थापित कर दी गई है. आज सांसद राम स्वरूप शर्मा ने इस प्रतिमा का विधिवत रूप से अनावरण किया.

लोक निर्माण विभाग ने करवाया निर्माण

बता दें कि यह प्रतिमा राज्य सरकार और सांसद निधि से दिए गए पैसों से निर्मित और स्थापित हुई है. इसका निर्माण लोक निर्माण विभाग ने करवाया गया. प्रतिमा के साथ रानी खैरगढ़ी के इतिहास का वर्णन भी किया गया है. सांसद राम स्वरूप शर्मा ने कहा कि प्रतिमा के स्थापित होने से भावी पीढ़ियों को रानी खैरगढ़ी के योगदान का पता चलेगा और इससे प्रेरणा मिलेगी.

वीडियो

रानी खैरगढ़ी का ये था इतिहास

रानी खैरगढ़ी का असली नाम ललिता कुमारी था. ललिता कुमारी मंडी के राजा भवानी सिंह की पत्नी थी. 1912 में भवानी सेन की मृत्यु के उपरांत राजमहल का वैधव्य जीवन छोड़कर क्रांति की राह पर चल पड़ी. वह क्रांतिकारी आंदोलनों से जुड़ने वाली हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्र के राजघराने की पहली महिला थी जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और रानी खैरगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध हुई.

क्रांतिकारियों की सहयोगी बनकर की आर्थिक मदद

रानी खैरगढ़ी ने अंग्रेजी हकुमत के खिलाफ लड़ रहे क्रांतिकारियों की सहयोगी बनकर उनकी आर्थिक मदद की. उन्होंने 1914 में मंडी में गदर पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अतिरिक्त लाला लाजपत राय के क्रांतिकारी संगठन से जुड़कर नेतृत्व प्रदान किया और असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया. रानी क्रांतिकारियों को आंदोलन का खर्च करने के लिए धन उपलब्ध करवाती थी. रानी खैरगढ़ी मंडी में क्रांतिकारी दल की संरक्षिका थी और वह भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्षा भी रही.

ये भी पढ़ेंः- वीरेंद्र कश्यप को बनाया गया बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

मंडीः राज परिवार की सुख सुविधाओं को छोड़कर देश की आजादी में अपना अहम योगदान देने वाली रानी खैरगढ़ी की प्रतिमा मंडी शहर के सकोडी पुल के पास स्थापित कर दी गई है. आज सांसद राम स्वरूप शर्मा ने इस प्रतिमा का विधिवत रूप से अनावरण किया.

लोक निर्माण विभाग ने करवाया निर्माण

बता दें कि यह प्रतिमा राज्य सरकार और सांसद निधि से दिए गए पैसों से निर्मित और स्थापित हुई है. इसका निर्माण लोक निर्माण विभाग ने करवाया गया. प्रतिमा के साथ रानी खैरगढ़ी के इतिहास का वर्णन भी किया गया है. सांसद राम स्वरूप शर्मा ने कहा कि प्रतिमा के स्थापित होने से भावी पीढ़ियों को रानी खैरगढ़ी के योगदान का पता चलेगा और इससे प्रेरणा मिलेगी.

वीडियो

रानी खैरगढ़ी का ये था इतिहास

रानी खैरगढ़ी का असली नाम ललिता कुमारी था. ललिता कुमारी मंडी के राजा भवानी सिंह की पत्नी थी. 1912 में भवानी सेन की मृत्यु के उपरांत राजमहल का वैधव्य जीवन छोड़कर क्रांति की राह पर चल पड़ी. वह क्रांतिकारी आंदोलनों से जुड़ने वाली हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्र के राजघराने की पहली महिला थी जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और रानी खैरगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध हुई.

क्रांतिकारियों की सहयोगी बनकर की आर्थिक मदद

रानी खैरगढ़ी ने अंग्रेजी हकुमत के खिलाफ लड़ रहे क्रांतिकारियों की सहयोगी बनकर उनकी आर्थिक मदद की. उन्होंने 1914 में मंडी में गदर पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अतिरिक्त लाला लाजपत राय के क्रांतिकारी संगठन से जुड़कर नेतृत्व प्रदान किया और असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया. रानी क्रांतिकारियों को आंदोलन का खर्च करने के लिए धन उपलब्ध करवाती थी. रानी खैरगढ़ी मंडी में क्रांतिकारी दल की संरक्षिका थी और वह भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्षा भी रही.

ये भी पढ़ेंः- वीरेंद्र कश्यप को बनाया गया बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.