मंडी: लॉकडाऊन के बीच पूरे विश्व से प्रदूषण कम होने की खबरें आ रही हैं और इसी कड़ी में अब हिमाचल प्रदेश से भी अच्छी खबर ये है कि तैरते टापुओं के लिए मशहूर मंडी जिला की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की ऋषि पराशर झील भी इन दिनों कई चमत्कार दिखाने लगी है. यहां कई दशकों से झील में टापू नुमा भूखंड ठहर सा गया था, लेकिन इस बार इसकी हलचल तेज हो गई है.
जिला मंडी के धार्मिक तीर्थ स्थल पराशर में स्थित प्राचीन मंडी रियासत के कुल देवता के रूप में पूजे जाने वाले ऋषि पराशर के मंदिर स्थल में प्राकृतिक झील में यह तैरता हुआ भूखंड इन दिनों में गतिमान हो गया है. कभी-कभी यह दिन में तीन बार पूरी झील में चक्कर लगाते हुए देखा गया है.
ऋषि पराशर के मुख्य पुजारी अमर ङ्क्षसह का कहना है कि अकसर यह भूखंड झील में तैरता रहता है. पिछले कई वर्षों से यह भूखंड कम ही गतिमान होता हुआ दिखाई देता था. कभी-कभी तो साल में एक-दो बार ही चलता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते लोगों का यहां आना-जाना ना के बराबर हुआ है.
पुजारी ने बताया कि जब-जब यह भूखंड सुचारू रूप से चलने लगता है तो यह शुभ संकेत माना जाता है. कोरोना के वैश्विक महासंकट के परिदृश्य में स्थानीय लोग भी इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देख रहे हैं. कई स्थानीय युवाओं ने हर एंगल से इस भूखंड के चित्र लिए हैं और सोशल मीडिया में कई दावे भी कर रहे हैं.
हालांकि यह कोई नई बात नहीं है कि प्राकृतिक झील में यह तैरता हुआ भूखंड इन दिनों यहां से वहां दूसरे छोर तक घुम रहा है लेकिन जानकारों का मानना है कि यह इस बार बहुत ज्यादा गतिमान हो गया है क्योंकि झील के आसपास आजकल मानवीय दखल कम है और पर्यटन गतिविधयां भी शून्य के बराबर हैं तो ऐसे में यहां पुजारियों की नजर इस पर पड़ी तो देखा कि इसके घुमने का क्रम तेज हो गया है.
ऐसा झील में जलस्तर बढ़ने से भी संभव है, लेकिन स्थानीय लोगों और कमेटी का कहना है कि बर्फबारी से पहले भी जलस्तर बढ़ता रहा है, लेकिन इस प्रकार तेज गति से भूखंड का तैरना चमत्कारिक घटना ही है. पराशर ऋषि मंडी कमेटी अध्यक्ष बलबीर ठाकुर का कहना है कि मैं यह पूरे यकीन से कह सकता हूं कि यह टापू दैविक शक्ति द्वारा संचालित होता है.
बलबीर ठाकुर का कहना है कि मुझे याद है जब मैं 10-12 साल का था तो यह टापू समय के साथ चलता था यानी सुवह यह पूर्व में और शाम को पश्चिम में पहुंच जाता था परंतु आज यह अपनी इच्छा से साल में दो-चार बार चलता है. कभी-2 यज्ञ पाठ के चलते भी यह अचानक चल पड़ता है. सामाजिक मान्यता व आस्था के अनुसार इसका चलना तथा रूकना एक अच्छे व बुरे समय का संकेत माना जाता है. कभी-कभी हमें ऐसा भी लगा कि पराशर ऋशि अपनी उपस्थिति को इस को गतिमान कर प्रकट करते हैं जिसे मैंने स्वयं महसूस किया है.
वहीं, डीएफओ मंडी एसएस कश्यप का कहना है कि अर्थ और मून की ग्रेविटी के आधार पर ये संभव है. इसका जल्स्तर बढ़ने से कोई लिंक नहीं है. आजकल बायोटिक कंपोनैंट कम हुए हैं जिससे बहुत सारे बदलाव हमने इन दिनों में देखे हैं. जहां मानवीय दखल ज्यादा बढ़ गया था वहां अब नेचर में भी कई बदलाव आए हैं. ये अच्छे संकेत हैं.
ये भी पढ़ें- खुशखबरी लाएगा लॉकडाउन 3.0! जानें किया बोले प्रदेश के सीएम