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पति की मौत के 46 साल बाद मिलेगी सैनिक की विधवा को पेंशन, आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल बेंच चंडीगढ़ ने सुनाया फैसला - आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल चंडीगढ़

मंडी में एक सैनिक की विधवा पत्नी को पति की मौत के 46 साल बाद पेंशन मिलेगा. आर्म्ड फोर्सिस ट्रब्यिूनल चंडीगढ़ की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. पढ़ें पूरी खबर..

Armed Forces Tribunal Chandigarh
मंडी में 46 साल बाद मिलेगी सैनिक की विधवा को पेंशन
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Published : Jun 16, 2023, 10:10 PM IST

मंडी: मंडी जिले की बल्ह घाटी के गांव मांडल भंगरोटू की धनी देवी को अपनी सैनिक पति राम रखा की मौत के 46 साल बाद पेंशन मिलेगी. दरअसल, धनी देवी ने अपने वकील गोबिंद राज गौड़ के माध्यम से वर्ष 2019 में आर्म्ड फोर्सिस ट्रब्यिूनल चंडीगढ़ की बेंच के समक्ष की एक अपील पर दो सदस्यों एचसीएस बिष्ट व मोहम्मद ताहिर पर आधारित पीठ ने यह फैसला सुनाया है. याचिका के अनुसार राम रखा ने पाईनियर कोर्पस में 26 जुलाई 1962 को नौकरी ज्वाईन की थी. 13 जून 1970 को उसे शारीरिक तौर पर अनफिट घोषित कर दिया गया जिससे उसे घर भेज दिया गया. 28 मई 1977 को राम रखा की मौत हो गई.

8 प्रतिशत ब्याज के साथ पेंशन जारी करने के आदेश: मिली जानकारी के अनुसार, पति की पेंशन की हकदार पत्नी धनी देवी लगातार सेना के अधिकारियों से पेंशन के लिए कागजी प्रक्रिया करती रही मगर कोई भी असर नहीं हुआ. उसने दो बार अपीलें भी की मगर वह नामंजूर हो गई. 2019 में धनी देवी ने अपने वकील गोबिंद राज गौड़ जो स्वयं एक सैनिक रह चुके हैं और अपनी पेंशन व अन्य देय एरियर की लड़ाई लड़ कर जीत चुके थें के माध्यम से आर्म्ड फोर्सिस ट्रब्यिूनल चंडीगढ़ बैंच के समक्ष अपील दायर की. वही ट्रब्यिूनल ने इस पर 12 अप्रैल 2022 को फैसला सुनाते हुए पिछले तीन सालों से धनी देवी को तीन महीने के अंदर अंदर 8 प्रतिशत ब्याज के साथ पेंशन जारी करने के आदेश सुनाए.

आर्मी अथॉरिटी ने नहीं लिया कोई एक्शन: आदेश जारी होने के बावजूद भी आर्मी अथॉरिटी ने इस पर जब कोई एक्शन नहीं लिया तो 9 दिसंबर 2022 को फिर से ट्रब्यिूनल का दरवाजा खटखटाया. ट्रब्यिूनल ने अपने आदेशों की अवहेलना पर संबंधित अधिकारियों को 15 मई 2023 को नोटिस जारी किया. इस पर सेना के अधिकारियों की नींद टूटी और धनी देवी को वर्ष 2016 जो याचिका दायर करने से तीन साल पहले की अवधि है, से पेंशन की राशि जोड़ करके जारी करने की बात कही.

बता दें, सेना कार्यालय ने इस राशि को तय ब्याज सहित जोड़ जमा करके जारी करने के आदेश अपने वितीय कार्यालय प्रयागराज को दे दिए. धनी देवी को अब वर्ष 2016 से पति की पेंशन व एरियर कभी भी खाते में आ जाएगा. ऐसे में उसे अपनी पति की मौत के 46 और नौकरी छोड़ने 53 साल बाद पेंशन मिलेगी. धनी देवी खुद अब वृद्धावस्था में पहुंच गई है मगर फिर भी न्याय मिलने से खुश है.

ये भी पढ़ें: OPS लागू नहीं होने से आंदोलन के मूड में बिजली कर्मचारी, 21 जून तक का दिया अल्टीमेटम!

मंडी: मंडी जिले की बल्ह घाटी के गांव मांडल भंगरोटू की धनी देवी को अपनी सैनिक पति राम रखा की मौत के 46 साल बाद पेंशन मिलेगी. दरअसल, धनी देवी ने अपने वकील गोबिंद राज गौड़ के माध्यम से वर्ष 2019 में आर्म्ड फोर्सिस ट्रब्यिूनल चंडीगढ़ की बेंच के समक्ष की एक अपील पर दो सदस्यों एचसीएस बिष्ट व मोहम्मद ताहिर पर आधारित पीठ ने यह फैसला सुनाया है. याचिका के अनुसार राम रखा ने पाईनियर कोर्पस में 26 जुलाई 1962 को नौकरी ज्वाईन की थी. 13 जून 1970 को उसे शारीरिक तौर पर अनफिट घोषित कर दिया गया जिससे उसे घर भेज दिया गया. 28 मई 1977 को राम रखा की मौत हो गई.

8 प्रतिशत ब्याज के साथ पेंशन जारी करने के आदेश: मिली जानकारी के अनुसार, पति की पेंशन की हकदार पत्नी धनी देवी लगातार सेना के अधिकारियों से पेंशन के लिए कागजी प्रक्रिया करती रही मगर कोई भी असर नहीं हुआ. उसने दो बार अपीलें भी की मगर वह नामंजूर हो गई. 2019 में धनी देवी ने अपने वकील गोबिंद राज गौड़ जो स्वयं एक सैनिक रह चुके हैं और अपनी पेंशन व अन्य देय एरियर की लड़ाई लड़ कर जीत चुके थें के माध्यम से आर्म्ड फोर्सिस ट्रब्यिूनल चंडीगढ़ बैंच के समक्ष अपील दायर की. वही ट्रब्यिूनल ने इस पर 12 अप्रैल 2022 को फैसला सुनाते हुए पिछले तीन सालों से धनी देवी को तीन महीने के अंदर अंदर 8 प्रतिशत ब्याज के साथ पेंशन जारी करने के आदेश सुनाए.

आर्मी अथॉरिटी ने नहीं लिया कोई एक्शन: आदेश जारी होने के बावजूद भी आर्मी अथॉरिटी ने इस पर जब कोई एक्शन नहीं लिया तो 9 दिसंबर 2022 को फिर से ट्रब्यिूनल का दरवाजा खटखटाया. ट्रब्यिूनल ने अपने आदेशों की अवहेलना पर संबंधित अधिकारियों को 15 मई 2023 को नोटिस जारी किया. इस पर सेना के अधिकारियों की नींद टूटी और धनी देवी को वर्ष 2016 जो याचिका दायर करने से तीन साल पहले की अवधि है, से पेंशन की राशि जोड़ करके जारी करने की बात कही.

बता दें, सेना कार्यालय ने इस राशि को तय ब्याज सहित जोड़ जमा करके जारी करने के आदेश अपने वितीय कार्यालय प्रयागराज को दे दिए. धनी देवी को अब वर्ष 2016 से पति की पेंशन व एरियर कभी भी खाते में आ जाएगा. ऐसे में उसे अपनी पति की मौत के 46 और नौकरी छोड़ने 53 साल बाद पेंशन मिलेगी. धनी देवी खुद अब वृद्धावस्था में पहुंच गई है मगर फिर भी न्याय मिलने से खुश है.

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